श्री पांडेय के ट्वीट को वरिष्ठ पत्रकार अशोक श्रीवास्तव ने अपनी टिप्पणी के साथ कुछ ट्वीट किए। जिनमें से एक ट्वीट श्री श्रीवास्तव ने यूपी सरकार को भी टैग किया था कि इस मामले की जांच होनी चाहिए।
जब भारत समाचार से सहानुभूति रखने वाले लोगों ने सुधीर पांडे की रिपोर्ट के तथ्यों को लेकर सवाल उठाया तो अशोक श्रीवास्तव ने सुधीर पांडेय से उनकी खबर की प्रामाणिकता के संबंध में अपने एक मित्र के माध्यम से जानकारी हासिल की। सुधीर पांडे ने बताया कि उनकी खबर पक्की है। समाचार से जुड़े सभी दस्तावेज भी उनके पास हैं।
हुआ यह कि अपनी रिपोर्ट में सुधीर ने एक चैनल का नाम गलत बोल दिया है। इसे मानवीय भूल के अन्तर्गत रखा जा सकता है। इस तरह की गलती तथ्यों को लेकर पत्रकारिता में होती है। जिसे मीडिया में भूल सुधार के अन्तर्गत दुरुस्त करने की परंपरा भी है।
अशोक श्रीवास्तव को जैसे ही चैनल का नाम गलत जाने की जानकारी मिली, उन्होंने बिना देर किए ट्वीट डिलीट कर दिया लेकिन यूपी सरकार से मामले की जांच का उनका ट्वीट अभी भी कायम है।
दूसरी तरफ सिर्फ चैनल का नाम गलत हो जाने से सुधीर पांडे की पूरी रिपोर्ट को संदिग्ध नहीं बनाया जा सकता। वे भी अपनी बात पर कायम हैं और वे आज 30 अप्रैल को अपनी खबर की पुष्टि के पक्ष में सारे दस्तावेज उपलब्ध कराने वाले हैं। हो सकता है कि जब आप यह रिपोर्ट पढ़ रहे हों, सुधीर पांडेय वे सारे दस्तावेज सार्वजनिक कर चुके होंगे।
सुधीर पांडे अपनी खबर को लेकर अब भी कायम हैं। उन्होंने एफआईआर के बाद भी अपनी रिपोर्ट डिलीट नहीं की है। उनका दावा है कि कोर्ट में मामला जायेगा तो पत्रकारों को ज़मीने बांटने के कुछ और केस खुलेंगे लेकिन इस बीच कथित तौर पर उस चैनल ने अपने स्टिंगर और रिपोर्टर्स से यूपी के अलग अलग थानों में FIR लिखानी शुरू कर दी है।
ऐसा लगता है कि इस पूरे मामले आरोपी सुधीर पांडे को छोड़कर जानबूझकर अशोक श्रीवास्तव को निशाना बना रहे हैं। जाहिर सी बात है कि ‘इंडि—इको सिस्टम’ को अशोक श्रीवास्तव पर निशाना साधना ज्यादा मुफीद लगता है। ताकि वे डर जाएं। अब पूरा मामला सुधीर पांडेय द्वारा डॉक्यूमेंट्स सार्वजनिक करने पर निर्भर करता है।