लालू परिवार में सियासी संग्राम: तेजप्रताप, तेजस्वी और हरियाणा कनेक्शन

1-5.png

पटना। बिहार की सियासत में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के भीतर उथल-पुथल मची हुई है। सूत्रों के हवाले से खबर है कि पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव अपने बड़े बेटे तेजप्रताप यादव को पार्टी से बाहर किए जाने के पक्ष में नहीं थे। बताया जाता है कि जब सोशल मीडिया पर तेजप्रताप के खिलाफ बयानबाजी हुई, उस वक्त लालू को इसकी जानकारी तक नहीं थी कि उनके नाम से ऐसा कुछ लिखा गया है। इस पूरे घटनाक्रम में राज्यसभा सांसद संजय यादव की भूमिका अहम बताई जा रही है।

संजय यादव, जो रशेल गोडिन्हो को अपनी बहन मानते हैं, ने इस मामले में तेजस्वी यादव को समर्थन देकर पार्टी की कमान अपने प्रभाव में लेने की कोशिश की है। सूत्र बताते हैं कि संजय ने न केवल तेजस्वी को लालू के खिलाफ खड़ा किया, बल्कि तेजप्रताप की वापसी को भी उनके लिए “आत्मघाती” करार दिया। संजय और रशेल, दोनों का हरियाणा से होना इस कहानी में एक रोचक संयोग जोड़ता है। संजय की बढ़ती सक्रियता और प्रभाव को लेकर लालू परिवार में नाराजगी भी साफ दिख रही है। एक मौके पर संजय ने कथित तौर पर तेजस्वी की कुर्सी पर कुछ समय के लिए कब्जा भी कर लिया था, जिसे लालू परिवार ने अच्छा नहीं माना।

लालू परिवार में दो धड़े

वर्तमान में लालू प्रसाद का परिवार दो खेमों में बंट गया है। एक तरफ लालू प्रसाद और राबड़ी देवी हैं, जो तेजप्रताप को पार्टी में वापस लाने के पक्ष में हैं। दूसरी तरफ तेजस्वी यादव हैं, जिन्हें संजय यादव का समर्थन प्राप्त है। सूत्रों के मुताबिक, लालू और राबड़ी तेजप्रताप को फिर से पार्टी में शामिल करना चाहते हैं, लेकिन संजय ने तेजस्वी को यह समझा रखा है कि तेजप्रताप की वापसी उनके राजनीतिक भविष्य के लिए खतरा साबित हो सकती है।

हरियाणा कनेक्शन और सियासी समीकरण

संजय यादव और रशेल गोडिन्हो का हरियाणा कनेक्शन इस सियासी ड्रामे को और दिलचस्प बनाता है। संजय, जो हरियाणा से हैं, ने तेजस्वी को “बाहरी और भीतरी” की सियासत का पाठ पढ़ाया है। उनके बढ़ते दखल ने राजद के भीतर एक नए सत्ता केंद्र की नींव रख दी है। इस बीच, तेजस्वी को “हरियाणा के सपोर्ट” से मजबूती मिल रही है, जबकि लालू प्रसाद और उनका खेमा फिलहाल कमजोर पड़ता दिख रहा है।

आने वाली सियासी जंग

बिहार की राजनीति में अब दोहरी लड़ाई के आसार हैं। एक तरफ सत्ता और विपक्ष के बीच जंग होगी, तो दूसरी तरफ लालू परिवार और तेजस्वी खेमे के बीच सियासी वर्चस्व की लड़ाई तेज होगी। तेजस्वी इस समय संजय यादव के समर्थन से मजबूत स्थिति में हैं, लेकिन लालू प्रसाद और राबड़ी देवी का अनुभव और पार्टी पर उनकी पकड़ इस जंग को और रोचक बना सकती है।

राजद के भीतर चल रही यह सियासी उठापटक न केवल लालू परिवार की एकता को चुनौती दे रही है, बल्कि बिहार की राजनीति में भी नए समीकरण बना रही है। तेजप्रताप की वापसी और संजय यादव की बढ़ती सक्रियता इस कहानी के अगले अध्याय को और दिलचस्प बनाने वाले हैं। फिलहाल, “हरियाणा कनेक्शन” के दम पर तेजस्वी की स्थिति मजबूत दिख रही है, लेकिन लालू प्रसाद जैसे अनुभवी नेता का अगला कदम क्या होगा, यह देखना बाकी है।

Share this post

आशीष कुमार अंशु

आशीष कुमार अंशु

आशीष कुमार अंशु एक पत्रकार, लेखक व सामाजिक कार्यकर्ता हैं। आम आदमी के सामाजिक सरोकार से जुड़े मुद्दों तथा भारत के दूरदराज में बसे नागरिकों की समस्याओं पर अंशु ने लम्बे समय तक लेखन व पत्रकारिता की है। अंशु मीडिया स्कैन ट्रस्ट के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं और दस वर्षों से मानवीय विकास से जुड़े विषयों की पत्रिका सोपान स्टेप से जुड़े हुए हैं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

scroll to top