लहराते तो हैं, मगर संविधान में गांधी परिवार के काले कारनामों पर चुप क्यों राहुल गांधी: अनुराग सिंह ठाकुर

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नई दिल्ली: पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद श्री अनुराग सिंह ठाकुर ने आज संसद भवन में संविधान पर चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद राहुल गांधी द्वारा भाजपा पर लगाए आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि संविधान की वो लाल किताब जिसे राहुल गांधी जी हर जगह लहराते तो फिरते हैं, मगर उसके अंदर छिपे गांधी परिवार के काले कारनामों पर कभी बात क्यों नहीं करते?

श्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा “ राहुल गांधी और उनकी कांग्रेसी जमात संविधान प्रेम का ढोंग रचते हैं, मगर चलते-फिरते संविधान की कॉपी दिखाने और इसकी झूठी कसमें खाने से सच्चाई नहीं बदल जाएगी। संविधान की वो लाल किताब जिसे राहुल गांधी जी हर जगह लहराते तो फिरते हैं, मगर उसके अंदर छिपे गांधी परिवार के काले कारनामों पर कभी बात क्यों नहीं करते? अगर किसी ने संविधान का अपमान किया है तो वो कांग्रेस और गांधी परिवार है…1975 में आपातकाल लगाकर पूरे विपक्ष को जेल में डाल कर इन्होंने पूरा संविधान ही बदल दिया, संविधान की प्रस्तावना जिसे संविधान की आत्मा कही जाती है इन लोगों ने संविधान को उसकी आत्मा से ही अलग कर दिया था। क्या राहुल गांधी ने संविधान की प्रस्तावना को पढ़ा भी है जिसमें लिखा है कि इंदिरा गांधी जी की यातनाओं को ख़त्म करने का काम बाबा साहब के संविधान में किया था। राहुल जी को पहले संविधान की प्रस्तावना पढ़नी चाहिए और देश को बताना चहिए कि इसमें क्या लिखा है… वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन जी द्वारा लिखी संविधान की जो किताब राहुल जी इधर उधर लहराते फिरते हैं उसमें कांग्रेस सरकार के काले कारनामे और संविधान विरोधी करतूतों का पूरा वर्णन है। एकलव्य के अंगूठे को काटने की बात करने वाले राहुल गांधी कैसे भूल जाते हैं कि इन लोगों ने सिखों का गला काटा है।

आगे बोलते हुए श्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा “संविधान की किताब राहुल जी लहराते फिरते हैं उसी में श्री केके वेणुगोपाल जी ने लिखा है कि कांग्रेस सरकार न्यायपालिका को धमकाती थी और उसे अंजाम भुगतने की धमकी भी देती थी…जब इलाहाबाद हाइकोर्ट नें इंदिरा गांधी का चुनाव रद्द कर दिया था तो श्रीमती इंदिरा गांधी ने देश पर आपातकाल लागू कर दिया… इंदिरा गांधी जी ने न्यापालिका को कमजोर करने का कोशिश की” उसी संविधान की किताब में वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकर नाराय़णन ने लिखते हैं “यदि यह दस्तावेज मजबूत न होता, तो इंदिरा गांधी को आपातकाल समाप्त करके स्वतंत्र भारत के सबसे काले प्रकरण को समाप्त करने के लिए बाध्य नहीं होना पड़ता, और देश के सबसे गरीब लोगों को सूचना के अधिकार अधिनियम द्वारा सशक्त नहीं बनाया जाता”….राहुल गांधी उस दस्तावेज़ से स्पष्ट रूप से अपरिचित हैं जिसके वे समर्थन में वो दिन रात संविधान की दुहाई देते हैं। ऐसा लगता है कि गांधी वंश पुस्तक के प्रस्तावना और भूमिका के शुरुआती पन्नों तक भी नहीं पहुँच पाया है। यह एक अनुस्मारक है कि संविधान की सच्ची संरक्षकता के लिए इसे केवल धारण करने से अधिक की आवश्यकता होती है; इसके लिए इसकी सामग्री और सिद्धांतों को समझना और उनका सम्मान करना आवश्यक है”

श्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा “ राहुल गांधी संविधान की कॉपी तो लहराते हैं लेकिन कई बार वो ये भूल जाते हैं कि ये वही संविधान है जिसे उनके परिवार ने अपने निजी लाभ के लिए एक बार नहीं बल्कि बार बार तार तार किया है। संविधान देने वाले बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर जी को ही कांग्रेस पार्टी ने सत्ता और राजनीति से बाहर करने अति निंदनीय काम किया। राहुल गांधी संविधान को लहराते समय कई उन तथ्यों को अनदेखा कर देते हैं जो कि यदि उन्होंने संविधान के खंडों को पढ़ा होता, तो वे दस्तावेज़ को इतनी सहजता से दिखाने की हरकत पर पुनर्विचार कर सकते थे।
“प्रस्तावना के कुछ खास अंश संविधान की प्रस्तावना का एक खास तौर पर उल्लेखनीय अंश भारत की विधायी और न्यायिक शाखाओं के बीच ऐतिहासिक तनाव को रेखांकित करता है। इसमें कहा गया है: आरंभिक वर्षों से ही, राज्य की विधायी शाखा और कार्यकारी शाखा ने दूसरी ओर न्यायिक शाखा का सामना किया, इस आरोप के साथ कि उन्होंने उन शक्तियों का अतिक्रमण किया है जो उन्हें नहीं दी गई हैं, बल्कि कार्यकारी को दी गई हैं। तत्कालीन कानून मंत्री ने 28 अक्टूबर 1976 को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को एक सख्त चेतावनी जारी की कि “टकराव का माहौल उन लोगों द्वारा बनाया जाना चाहा गया, जिनका कर्तव्य यह देखना था कि वे उस क्षेत्र का अतिक्रमण न करें जो वैध रूप से उनका नहीं है। अब यह सुनिश्चित करने के लिए कुछ भी नहीं छोड़ा जाना चाहिए कि ऐसी स्थिति फिर से न आए। हम उन्हें उन शक्तियों में घुसपैठ करने के प्रलोभन से बचाने की कोशिश कर रहे हैं जो उनकी नहीं हैं। आज हम जो कर रहे हैं वह लोगों को न्यायाधीशों से बचाना नहीं है, बल्कि वास्तव में न्यायाधीशों को खुद से बचाने में सक्षम बनाना है”, यह आपातकाल के दौरान कहा गया था, जिसने देश को सुनामी की तरह प्रभावित किया और यह एहसास दिलाया कि संविधान को उलटा जा सकता है। ईस्टर्न बुक कंपनी द्वारा प्रकाशित संविधान की एक प्रति लहराते हुए राहुल गांधी को देख कर हंसी यह आती है कि राहुल गांधी ने ईबीसी द्वारा प्रकाशित संविधान की प्रति की प्रस्तावना भी नहीं पढ़ी है और वे जगह-जगह लहराते हैं। अगर उन्होंने इसे पढ़ा होता, तो उन्हें पता होता कि गांधी परिवार ने उसी संविधान पर कितने सुनियोजित तरीक़े से हमले किए जिसे इस किताब में उजागर किया गया है। राहुल गांधी को यह पढ़ना चाहिए, उन पर विचार करना चाहिए और फिर अपना बेशर्म पाखंड छोड़ देना चाहिए।

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