-डॉ० प्रवेश कुमार
आज भारत सीना तान के अपनी शर्तों पर विश्व पटल पर अपनी भूमिका का निर्वहन कर रहा है। ऐसे में वैश्विक मंच पर भारत की छवि को बढ़ाने वाले श्री नरेन्द्र मोदी जी का व्यक्तित्व और उनके कृतित्व पर एक दृष्टि डालने की आवश्यकता ज़रूर है। देश और वैश्विक रणनीतिक मंच पर भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी जी के निडर,सशक्त और सबल नेतृत्व के कारण से भारत के जनमानस के प्रति दुनिया की दृष्टि में परिवर्तन आया है। ऐसे में जब 17सितंबर, 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 75 वर्ष के हो जाएंगे। इस अवसर पर उनकी उपलब्धियों और नेतृत्व शैली पर चर्चा स्वाभाविक है। समाज में उनकी पहचान जहाँ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वारा प्रशिक्षित स्वयंसेवक, प्रचारक, हिन्दू ह्रदय सम्राट के रूप है। तो वही वह एक कुशल प्रशासक, एक राजनेता के रूप है।
इसी प्रकार से श्री नरेन्द्र मोदी जी की छवि ‘प्रधानसेवक’के रूप में भी है। यह शब्द उन्होंने स्वयं अपनाया, जो उनकी कार्यशैली और जनता के प्रति समर्पण को दर्शाता है। वही भारत मूल्यों, दर्शन की प्रति उनके अगाध आस्था को भी बताता है। भारत में शासक प्रजा का पालक है, राजा पिता की भाँति अपनी प्रजा को अपनी संतान मानते हुए उनके कल्याण के लिए काम करना है। भारत में “योगक्षेम” का पूरा विचार समाज कल्याण पर आधारित है। इसी प्रकार भगवान राम ने कहा “ राजा के सुख के स्थान पर जनता का सुख, उनका कल्याण किसी भी शासन को उच्चता की श्रेणी में लाता है”।हम यदि वर्तमान श्री नरेन्द्र मोदी जी की सरकार का एक सूक्ष्म आकलन करे तो हमे स्वतः ज्ञात हो जाएगा कि यह सरकार जनसेवा, जनकल्याण, समाज में अंतिम व्यक्ति के सबसे ज़्यादा कल्याण को समर्पित है। यही कारण है कि श्री नरेन्द्र मोदी जी को ‘प्रधानसेवक’कहा जाता है। लेकिन हमारे प्रधानमन्त्री जितना सर्वकल्याण आधारित नीतियों का निर्माण कर लोकप्रिय है तो वही पारंपरिक राजनीति करने वाले विपक्ष के लिए हमेशा आलोचना के केंद्र में भी है। लेकिन हम आकलन करे की क्या?
श्री नरेन्द्र मोदी जी जी असल में प्रधानसेवक है। इस प्रश्न का उत्तर हमे उनके कार्यों, नीतियों और जनसंपर्क के तौर-तरीकों में छिपा दिखता है।आइए हम देखते है श्री नरेन्द्र मोदी जी के व्यक्तित्व और उनके कृतत्व के विभिन्न पक्षों को- श्री नरेन्द्र मोदी जीएकसेवक के रूप में –वर्ष 2014में पहली बार श्री नरेंद्र मोदी जी देश के प्रधानमंत्री बने।श्री नरेंद्र मोदी जी जी दो दशको से चली आ रही मिलीजुली सरकार के स्थान पर पूर्ण बहुमत की सरकार के मुखिया बने। लेकिन अपने दल के पूर्ण बहुमत में भी उन्होंने गठबंधन धर्म को निभाया। यह श्री नरेंद्र मोदी जी के प्रति जनता का भाव,उनका समर्थन था, जिसने मुख्यमंत्री मोदी को देश का प्रधानमंत्री, प्रधानसेवक बनाया। इसी का परिणाम था कि श्री नरेंद्र मोदी जी का जनता के लिए समर्पण है। उन्होंने प्रधानमंत्री बनने के बाद अपने पहले भाषण में ही कहा की “मैं आपका सेवक हूं, न कि शासक”यह कथन केवल शब्दों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उनकी नीतियों और कार्यों में भी झलकता है। गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल से लेकर केंद्र में प्रधानमंत्री के रूप में, उन्होंने जनता की सेवा को प्राथमिकता दी। उनकी यह सोच “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास,सबका प्रयास”के नारे में स्पष्ट दिखाई देती है,जो समावेशी विकास का प्रतीक बन गया। प्रधानमंत्री के तौर पर उन्होंने कई ऐसी योजनाएं शुरू कीं, जो सीधे आम जनता की जरूरतों को संबोधित करती हैं। चाहे वह ‘प्रधानमंत्री जन धन योजना’ हो, जिसने लाखों गरीब परिवारों को बैंकिंग सेवाओं के साथ जोड़ा, या ‘आयुष्मान भारत’ योजना, जिसने गरीबों को मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान कीं। ये योजनाएं उनकी उस सोच को दर्शाती हैं, जिसमें जनता की सेवा सर्वोपरि है।
श्री नरेन्द्र मोदी जीका जनता से सीधा संवाद- नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का एक बड़ा कारण उनकी जनता से सीधे संवाद करने की क्षमता है। ‘मन की बात’कार्यक्रम इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। इस रेडियो कार्यक्रम के माध्यम से वे देशवासियों से सीधे जुड़ते हैं,उनकी समस्याओं को समझते हैं और छोटी-छोटी कहानियों के जरिए समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की प्रेरणा देते हैं।यह कार्यक्रम न केवल जनता की आवाज को मंच देता है, बल्कि सरकार की नीतियों को भी सरल भाषा में समझाता है। इसके अलावा, सोशल मीडिया के जरिए भी मोदी जनता के बीच अपनी उपस्थिति बनाए रखते हैं। ट्विटर (अब एक्स X) और अन्य प्लेटफॉर्म्स पर वे नियमित रूप से अपनी योजनाओं, विचारों और देश की प्रगति को साझा करते हैं।यह उनकी पारदर्शी और जवाबदेह कार्यशैली को दर्शाता है, जो एक सेवक की तरह जनता के प्रति उनकी जिम्मेदारी को रेखांकित करता है। श्री नरेन्द्र मोदी जीकीनीतियों में सबका प्रयास, सबका सहभाग की नीति -प्रधानमंत्री मोदी जी ने अपनी नीतियों और योजनाओ में जान सेवा को प्राथमिकता दी वही जनसेवा के अभियान को जन-जन के सहभाग के साथ जोड़ना। हम देखे ‘स्वच्छ भारत अभियान’ इस अभियान ने सरकार के कार्ययोजना में जनता को सहभागी बनाया। इस अभियान के तहत देश भर में लाखों शौचालयों का निर्माण हुआ, जिसने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वच्छता और सम्मान की भावना को बढ़ावा दिया। यह अभियान केवल बुनियादी ढांचे तक सीमित नहीं था, बल्कि यह सामाजिक जागरूकता और जनभागीदारी का भी प्रतीक बना। इसी तरह, ‘मेक इन इंडिया’ और ‘डिजिटल इंडिया’ जैसी पहल ने न केवल भारत को वैश्विक मंच पर मजबूत किया, बल्कि युवाओं को रोजगार और तकनीकी सशक्तीकरण का अवसर भी प्रदान किया। इन योजनाओं का आधार यह था कि देश का हर नागरिक सशक्त हो और आत्मनिर्भर बने। यह दृष्टिकोण एक सेवक की तरह काम करने की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।श्री नरेन्द्र मोदी जीका संकट में नेतृत्व-एक सच्चे सेवक की पहचान संकट के समय में होती है। कोविड-19महामारी के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने जिस तरह नेतृत्व किया, वह उनकी सेवक भावना का प्रतीक है। उन्होंने न केवल देशवासियों को एकजुट करने का प्रयास किया, बल्कि ‘आत्मनिर्भर भारत’का नारा देकर देश को आर्थिक और सामाजिक रूप से मजबूत करने की दिशा में कदम उठाए। ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना’के तहत लाखों गरीब परिवारों को राशन उपलब्ध कराया गया, जिससे संकट के समय में कोई भूखा न रहे। इसके अलावा, भारत ने वैक्सीन निर्माण और वितरण में जो वैश्विक नेतृत्व दिखाया, वह भी मोदी की दूरदर्शिता का परिणाम था। ‘वैक्सीन मैत्री’के तहत भारत ने कई देशों को मुफ्त वैक्सीन प्रदान की, जो उनकी वैश्विक स्तर पर सेवा की भावना को दर्शाता है।सामाजिक समावेश और सशक्तीकरण- प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों में सामाजिक समावेश और सशक्तीकरण का विशेष स्थान है। चाहे वह ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’अभियान हो या ‘उज्ज्वला योजना’, जिसके तहत गरीब महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन प्रदान किए गए, इन सभी पहलों का उद्देश्य समाज के कमजोर वर्गों को मुख्यधारा में लाना रहा है। महिलाओं, युवाओं और ग्रामीण भारत को सशक्त बनाने की उनकी प्रतिबद्धता उनकी सेवक भावना का एक और प्रमाण है।
चुनौतियां और आलोचनाएं-हालांकि, कोई भी नेतृत्व आलोचनाओं से अछूता नहीं रहता। कुछ लोग मानते हैं कि उनकी नीतियों में और सुधार की गुंजाइश है। उदाहरण के लिए, नोटबंदी और जीएसटी जैसे कदमों ने शुरुआत में कुछ आर्थिक चुनौतियां पैदा कीं। लेकिन यह भी सच है कि इन कदमों ने लंबे समय में अर्थव्यवस्था को पारदर्शी और मजबूत बनाने में मदद की। उनकी सेवक भावना पर सवाल उठाने वाले भी हैं, लेकिन यह उनकी कार्यशैली और जनता के प्रति समर्पण से नकारा नहीं जा सकता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘प्रधानसेवक’ कहना केवल एक शब्द का प्रयोग नहीं है, बल्कि यह उनकी कार्यशैली, नीतियों और जनता के प्रति उनकी जवाबदेही का प्रतीक है। चाहे वह स्वच्छता, स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार या वैश्विक मंच पर भारत की पहचान हो, उन्होंने हर क्षेत्र में जनता की सेवा को प्राथमिकता दी है। उनकी सादगी, जनता से सीधा संवाद और संकट में नेतृत्व की क्षमता ने उन्हें न केवल भारत, बल्कि विश्व स्तर पर एक लोकप्रिय नेता बनाया है।75वें जन्मदिन के अवसर पर, यह कहना गलत नहीं होगा कि नरेंद्र मोदी ने ‘प्रधानसेवक’ की भूमिका को न केवल अपनाया, बल्कि उसे जीया भी है। उनकी यह यात्रा देशवासियों के लिए प्रेरणा है कि सच्ची सेवा ही सच्चा नेतृत्व है।