डॉ. विनीत उत्पल
मैथिल पुत्र प्रभात झा नहि रहलाह। हुनकर देहावसान सँ मिथिलाक की क्षति भेल अछि, ओकर पूर्ति करब असंभव अछि. प्रभात झा मतलब एकटा इनसाइक्लोपीडिया, जे मिथिला, बिहार, मध्यप्रदेश, पंजाब, छत्तीसगढ़, चंडीगढ़ सहित संसदक गलियारा के एकटा पोथी जे जीवन जतेक पन्ना पलटि, ततेक कथा. प्रभात झा एकटा पत्रकार। प्रभात झा मतलब एकता राजनीतिक गुरु। प्रभात झा मतलब एकटा संगठन गुरु। प्रभात झा मतलब एकटा अभिभावक आ संरक्षक। माता जानकीक जन्मस्थली पुनौराधामकेँ दुनियाक आगू अनबाक आ पर्यटनक मानचित्र पर आनय बला एकमात्र लोक छलाह. संसदकेँ मैथिलीमे संबोधित करय बला सांसद छलाह सीतामढ़ी जिलाक कोरियाही गामक प्रभात झा. भले ही हुनकर कर्मस्थली मध्यप्रदेश हुए मुदा हुनकर प्राण जतेक मध्यप्रदेशमे रहैत छल ओतबेक मिथिलामे सेहो. मिथिला के लोकक लेल हुनकर बंगलाके द्वार सदिक्खन खुजल रहल. संसद मे हुनकर अंतिम भाषण मैथिलीमे मैथिलीक पढाय दिल्ली विश्वविद्यालयमे हुए, एकर मांगक लेल छल. ओ मैथिल लोक के जगाबैत कहैत छलाह, “मैथिली बाजू, मैथिली लिखू आ एही सँ बेसी अपन घरमे बाल-बच्चा सँ मैथिली बाजू।”
प्रभात झा केर जन्म चारि जून, 1957 मे दरभंगाक हरिहरपुर मे भेल आ पढाय-लिखाय ग्वालियरमे भेल छल. ओ वर्ष 2010 मे भारतीय जनता पार्टी के मध्यप्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष भेलाह। ओ भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सेहो छलाह आ भाजपा केर मुखपत्र ‘कमल संदेश’ के संपादक सेहो छलाह। वर्ष 2008मे ओ पहिलुक बेर राज्यसभा के रूप मे चुनल गेलाह आ 2020 धरि उच्च सदनक सदस्य रहलाह। राज्यसभा सांसद रहय काल ओ ग्रामीण विकास संबंधी स्थायी समिति आ संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी स्थाई समिति के सदस्य सेहो रहलाह। मध्यप्रदेश भाजपामे ओ मीडिया प्रभारी आ प्रवक्ता केर दायित्व सेहो सम्हारने छलाह। पहिने ओ अपन शुरुआती पेशा मध्यप्रदेशक ग्वालियरमे ‘स्वदेश’ अख़बार सं पत्रकारिता शुरू केने छलाह आ संपादक बनलाह.
वर्ष 2017 मे जखन अखिल भारतीय मिथिला संघ अपन स्वर्ण जयंती मनौलक तखन राजधानी दिल्लीक तालकटोरा स्टेडियम मे भेल कार्यक्रम के संयोजक प्रभात झा छलाह। तत्कालीन गृहमंत्री राजनाथ सिंह मुख्य अतिथि छलाह। तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, बिहारक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, सांसद हुकुमदेव नारायण यादव सहित देश भरि के तमाम मैथिल जमा भेल छल. ओहि अवसर पर अखिल भारतीय मिथिला संघक द्वारा प्रकाशित मैथिलीक शोध पत्रिका ‘तीरभुक्ति’ केर विमोचन सेहो भेल छल जेकर संपादन के भार हमरा देल गेल छल. हमरा संगे ऋतेश पाठक सेहो संपादक भेलाह। आ प्रभात झा एही पत्रिका केँ संरक्षक केर दायित्य लेलाह. विजय चंद्र झा एही पत्रिका के प्रकाशक बनलाह। ओना अखिल भारतीय मिथिला संघ सँ हमरा जोड़य बला ऋतेश पाठक छलाह। अखिल भारतीय मिथिला संघक अध्यक्ष विजय चंद्र झा लिखने छथि, “हुनकर निधन सँ परिवारक अपूर्णीय छथि भेल. हमहुँ अपन संगठनमे अनाथ भ’गेलहुँ। ओ सभ मैथिली संगठन खोज-खबरि लैत छलाह।”
स्वर्ण जयन्ती समारोहक लेल तैयारीमे ओ एतेक उत्साही रहैत छलाह जे राति के करीब दू बजय धरि लोक केँ आमंत्रित करैत छलाह आ फोनसँ एक-एक गोटासँ गप करहिके कार्यक्रममे जुटल लोक लग बताबैत छलाह जे फलां लोक कार्यक्रम मे आबैक लेल तैयार भ’ गेलाह। एहिना एकदिन देर राति तत्कालीन गृहमंत्री राजनाथ सिंह मुख्य अतिथि लेल जखन तैयार भेलाह ते प्रभात झा अपन छोटका फोन हाथमे लेने निकरनुमा पेंट पहिरने नवम्बर-दिसंबरक दिल्लीकेँ कंपकंपाबय बला ठामरमे अहातामे बनल छोटकासँ कोठरीमे पहुँचल छलाह। ताकहँ सभ कियो अपन-अपन घर जेबाक लेल तैयार छल. मुदा हुनकर आग्रह भेल जे एखने चिट्ठी बनाओ लेल जाय आ पठा देल जाय. अखिल भारतीय मिथिला संघक तमाम वार्षिक कार्यक्रममे भाजपाक अध्यक्ष जे.पी. नड्डा, राजयसभा के उपाध्यक्ष हरिवंश, शीला दीक्षित, महाबल मिश्रा, संजय झा, देवेशचंद्र ठाकुर, विनोदानंद झा, मनोज तिवारी, गोपालजी ठाकुर जेहन लोक आयल छल.
प्रभात झा देर राति देशमे पसरल आम कार्यकर्त्ता सँ हरदम जुड़ल रहैत छलाह. दिल्लीक बुरारीमे एकटा मिथिला केर कार्यक्रम छल. ओ कार्यक्रममे जायत ते छलाह मुदा किछु खायत नहि छलाह। घुरयमे रातिक डेढ़ बजि गेल छल. गाड़ीमे ड्राइवरक बगलमे बैसल छलाह आ हम हुनका पाँछाँ बला सीट पर बैसल छलहुँ। ओ कोनो कार्यकर्त्ता सँ फोनसँ गप क’रहल छलाह। गप ख़त्म भेलाहक बाद हम पुछलहुँ जे “भाय साहेब एतेक राति अहाँकेँ के फोन क’रहल छथि.” ओ बजलाह, ”हे यौ, संगठन ओना नहि चलैत छै. कार्यकर्ता आ नेता दिन राति काज करैत छै तखने कोनो संगठन सशक्त होयत अछि. जौं हम एही समय ओहि कार्यकर्ताकेँ फोन नहि उठैतहुँ तेँ ओकरा कतेक निराशा होयतिये जे हम तकलीफमे छी आ प्रभात झा फोन नहि उठा रहल छैथ.” एक दिन हुनका सँ हुनकर जीवन आ संगठन केर गप होयत छल ते अचानक ओ कहलाह, “हे यौ संगठनमे दिन-राति काज करय पड़ैत अछि आ संगठनमे बड़ ताकत होयत अछि. आय हमरा एहन लोककेँ के पूछतियै। देखियो संगठन हमारा सड़कसँ उठाकेँ संसदमे पहुंचा देलक। सेहो एक बेर नहि दू-दू बेर. ”
‘तीरभुक्ति’ केँ विमोचन आ स्वर्ण जयंती समारोहक बाद एक साँझ हुनकर मंडी हाउस बला बीस नंबर बंगला पर गेल छलहुँ। एहिना हुनका सँ बाजलहुँ, “भाय साहेब, अहाँ तेँ हमर पत्रिका केँ संरक्षक छी.’ एहि पर हँसैत बजलाह, ‘हम तेँ अहाँ के तीरभुक्तिक पत्रिकाक संग कतेक लोक आ संगठनक संरक्षक छी जेकर लिस्टे नहि अछि हमरा लग.’ प्रभात झा अपन ड्राइंग रूममे हय बला गपक विषय राजनीतिक आ सामाजिक राखैत छलाह। एक साँझ राजनीतिक आ सामाजिक गप बढ़ैत-बढ़ैत सलमान खान पर आबि गेल ते ओ कहलाह, “देखियो गपक स्तर की भ’गेल अछि जे एकटा राजनेताक ठाम फ़िल्मी दुनियाक गप भ’रहल अछि.’ बस फेर की छल, सभ कियो लोक फेर अपन मुख्य विषय राजनीति आ सामाजिक पर आबि गेल.
भारतीय जन संचार संस्थान के पूर्व महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी लिखैत छथि, “हुनकर उत्साह, ऊर्जा आ युवा पत्रकारकेँ प्रोत्साहित केँ दुनियाकेँ आगू ठाढ़ करहि बला हुनकर स्वभाव हुनका ख़ास बनाबैत छल. हुनका पर्याय नहि अछि. ओ अपन ढंगक असगरे राजनेता छल, जिनका पत्रकार, लेखक, बुद्धिजीवी सहित पार्टी केर साधारण कार्यकर्ता धरि आत्मीय संपर्क छल.” ग्वालियर के वरिष्ठ पत्रकार जयंत सिंह तोमर लिखैत छैथ, “पिछ्ला तीन दशकमे जे लोक ग्वालियर के सामंती दासता केर भावनासँ मुक्त केलाह ओहिमे प्रभात झा सेहो एकटा छलाह। हुनके जेहन लोकक प्रयास छल जे लोक किनको अपना संग बैसय योग्य नहि बुझैत छलाह हुनकर व्यवहारमे कनि परिवर्तन भेल आ बराबरी केर भाव अपन मनमे आनलक।”
प्रभात झा एकरा लोकप्रिय नेता छलाह। ओ दिल्ली रहैत छलाह, ग्वालियर रहैत छलाह, भोपाल रहैत छलाह, हुनकर शहरमे उपस्थिति लोककेँ आकर्षित करैत छलाह। सामान्य कार्यकर्ता सँ ल’ केँ विधायक, सांसद, मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रोफेसर, सिविल सेवक आदि सभ हुनका सँ सदिक्खन भेंट करहि लेल आबैत छल आ नव ऊर्जा ग्रहण करैत छल. हुनकर मित्र आ आदर देबय बला लोकमे केवल भाजपा के लोक नहि छल मुदा आन पार्टीक नेता सेहो रहैत छल. हुनकर एक फोन पर लोक दौड़ल आबि जायत छल. हुनकर सुपुत्रकेँ दिल्ली के अशोका होटल मे जखन ब्याहक कार्यक्रम भेल तखन भारतक राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, रक्षामंत्री, स्वामी रामभद्राचार्य, शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती महाराज, एखुनका राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सहित मिथिलाक कतेक रास लोक शामिल भेल छल.
प्रभात झा युवाकेँ बेसी प्रोत्साहित करैत छलाह। बुजुर्ग के सेहो ओतबे सम्मान दैत छलाह। मिथिलाक संस्कृति जीबैत छलाह, बिहारक उत्कर्ष चाहैत छलाह। मिथिलाक विकास दिलोदिमाग सँ चाहैत छलाह। देशक विकास चाहैत छलाह। हुनका सँ भेंटि करय बला लोक हुनका सँ संगठन कोना काज करैत अछि, ई सीखैत छलाह. प्रभात झा तमाम लोकमे नेतृत्व क्षमता आनबाक टिप्स दैत छलाह आ जे भी हुनकर सानिध्य मे आयल, ओ हुनकासँ किछु सीखने होयत। प्रभात झा दिलमे नहि दिमागमे बसैत छथि जेकरा बिसुरा पायब शायद होयत.