खेमचंद शर्मा
दिल्ली। 1994 के बोम्मई केस में सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए दिशा निर्देश तय किए थे, जिसके अनुसार – राज्य में संवैधानिक तंत्र का पूरी तरह से टूटना ज़रूरी है और ऐसी स्थिति तब होती है जब, राज्य का शासन पंगु हो जाता है और सरकार असंवैधानिक तरीके से काम कर रही होती है;या संविधान के मूल सिद्धांतों को बनाए रखने में विफलता, जैसे कि विधानसभा को बुलाने में विफल होना या न्यायिक निर्णयों को लागू करने से मना करना या राज्य सरकार का कोई ऐसा कार्य जो देश की अखंडता और संप्रभुता को खतरे में डालता है। (अर्थात अलग राष्ट्र की घोषणा)
बंगाल में देखा जाए तो संवैधानिक तंत्र पूरी तरह चरमरा गया है और ममता बनर्जी संविधान के अनुसार कार्य नहीं कर रही – यदि वह संवैधानिक तरीके से काम कर रही होती तो खुले आम देश को आग लगाने की बात न करती – उसका कहना कि अगर बंगाल जलेगा तो कई राज्यों का नाम लेकर कहा कि ये भी जलेंगे और आग दिल्ली तक भी पहुंचेगी । ममता ने प्रधानमंत्री मोदी को चुनौती देते हुए कहा :-
“मोदी बाबू, कोलकाता के रेप-मर्डर केस में अपनी पार्टी का इस्तेमाल करके बंगाल में आग लगवा रहे हैं, अगर आपने बंगाल को जलाया तो असम, नॉर्थ-ईस्ट, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा और दिल्ली भी जलेंगे- हम आपकी कुर्सी गिरा देंगे।”
देश के प्रधानमंत्री को एक मुख्यमंत्री की यह धमकी देश की अखंडता और संप्रभुता को खतरे में डालने की सीधी चुनौती है और प्रधानमंत्री की सरकार के साथ साथ देश के खिलाफ बगावत है और यह राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए पर्याप्त कारण है,
कुछ दिन पहले राकेश टिकैत ने ममता बनर्जी की वकालत करते हुए कहा था कि दिल्ली में बांग्लादेश बना देंगे । समूचा विपक्ष बंगाल की घटना पर और ममता की धमकी पर खामोश है ।
विपक्ष की साजिश इस बात से भी सामने नज़र आ रही है कि विदेशी राजनयिक विपक्ष के कुछ घटक दलों के नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं। विपक्ष के उन राजनयिकों से मिलने वाले ऐसे लोग हैं, जो मोदी सरकार को अस्थिर करने में बड़ी भूमिका अदा कर सकते हैं और उसका इशारा ममता बनर्जी ने साफ़ साफ़ दे दिया।
जिस प्रकार महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी ने कोलकाता रेप और मर्डर केस पर अपनी पीड़ा व्यक्त की है, उसे देख कर लगता है बंगाल में अब जल्दी ही राष्ट्रपति शासन लग सकता है। कोई जल्दबाजी करने के लिए ‘खटाखट-खटाखट’ अपने विचार व्यक्त न करें, क्योंकि जैसे 370 हटाने के लिए सरकार को बड़े पैमाने पर तैयारी करनी पड़ी थी, बंगाल में राष्ट्रपति शासन के लिए भी तैयारी करनी पड़ेगी। वह भी तब, जब आज ममता ने देश में आग लगाने की धमकी दे दी है और बंगाल एवं असम जब बांग्लादेशियों से भरा पड़ा हैं।