लखनऊ : हाल ही में बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 50% भारी-भरकम टैरिफ (शुल्क) के मुद्दे पर एक ऐसा बयान जारी किया है, जो न केवल परिपक्वता का परिचय देता है, बल्कि विपक्षी दलों के लिए एक सबक भी है। 7 अगस्त 2025 को जारी उनके बयान में, उन्होंने अमेरिका के इस कदम को “अनुचित, अन्यायपूर्ण और अविवेकी” करार देते हुए देश की जनता की भावनाओं को आवाज दी। साथ ही, उन्होंने राजनीतिक स्वार्थ, संकीर्णता और मतभेदों से ऊपर उठकर देशहित में एकजुट होने का आह्वान किया। यह बयान न केवल प्रशंसनीय है, बल्कि इस संकट के दौर में मायावती को एक दूरदर्शी नेता के रूप में स्थापित करता है।
मायावती ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि अमेरिका का यह कदम, जो ब्राजील की तरह भारत पर भी लागू हुआ, भारत को कमजोर करने और विश्वासघात करने वाला है। उन्होंने सुझाव दिया कि इस चुनौती से निपटने के लिए दीर्घकालिक रणनीति, अमन-चैन और कानून व्यवस्था के माहौल के साथ मुस्तैदी से काम करना जरूरी है। उनका यह कहना कि वर्तमान संसद सत्र में इस मुद्दे पर गंभीर चर्चा होनी चाहिए, दर्शाता है कि वे जन और देशहित को प्राथमिकता देती हैं। इसके विपरीत, केंद्र और राज्य सरकारों के बीच अविश्वास और राजनीतिक टकराव को उन्होंने समाप्त करने की वकालत की, जो बीएसपी के “सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय” के सिद्धांत के अनुरूप है।
मायावती का यह रुख उस समय और भी महत्वपूर्ण हो जाता है, जब कांग्रेस, सपा और राजद जैसी पार्टियां सत्ता की भूख में देश से बड़ी अपनी कुर्सी को मानती दिख रही हैं। इन दलों का हालिया व्यवहार, जिसमें वे देश का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपमान कराने को तैयार हैं, मायावती के बयान में साफ तौर पर उजागर हुआ। उनका कहना है कि जब देश पर बाहरी हमला हो, तो पूरे देश को एकजुट होकर खड़ा होना चाहिए, न कि राजनीतिक लाभ के लिए एक-दूसरे पर कीचड़ उछालना। यह टिप्पणी विपक्ष के चरित्र की बखिया उधेड़ती है और मायावती को एक प्रेरक नेता के रूप में स्थापित करती है।
अमेरिका के इस टैरिफ कदम, जिसे 31 जुलाई 2025 को डोनाल्ड ट्रम्प ने घोषित किया और 1 अगस्त से लागू किया गया, ने भारत की अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर डाला है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह टैरिफ भारत के निर्यात, विशेषकर दवा और वस्त्र उद्योग को प्रभावित कर सकता है, जिससे जीडीपी वृद्धि धीमी पड़ सकती है। ऐसे में मायावती का संयमित और देशहित में सोचने वाला बयान एक सकारात्मक बदलाव की उम्मीद जगाता है। उन्होंने जोर दिया कि केन्द्र और राज्य सरकारों को आंतरिक संकीर्ण मुद्दों से ऊपर उठकर एकजुट होना होगा, जो वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में एक बड़ी चुनौती है।
मायावती की इस पहल की खूब प्रशंसा होनी चाहिए। उनका बयान न केवल विपक्ष को आईना दिखाता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि वे एक ऐसी नेता हैं, जो देश की संप्रभुता और सम्मान को सबसे ऊपर रखती हैं। कांग्रेस और अन्य दलों को चाहिए कि वे मायावती के इस परिपक्व रवैये से प्रेरणा लें और देश के सामने खड़े इस आर्थिक संकट से निपटने के लिए एकजुट हों। मायावती का आह्वान कि राजनीति से ऊपर उठकर देश को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, आज के विभाजित विपक्ष के लिए एक सबक है।
आज, जब अमेरिका ने भारत के रूस के साथ व्यापार और ब्रिक्स सदस्यता को आधार बनाकर यह टैरिफ लगाया है, मायावती का बयान एक जागरूक नागरिक के रूप में उनकी भूमिका को रेखांकित करता है। उनका सुझाव कि संसद में इस मुद्दे पर चर्चा हो, दर्शाता है कि वे लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास रखती हैं। इस संदर्भ में, मायावती का नेतृत्व न केवल प्रशंसनीय है, बल्कि यह देश को एक नई दिशा देने की क्षमता रखता है। विपक्ष को चाहिए कि वह मायावती के इस प्रेरक बयान से सीख ले और देशहित में एकजुट होकर आगे बढ़े।