कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटल
दिल्ली । आप राजनीति के लिए भाजपा सरकार की आलोचना कर सकते हैं।ग़लत पर आलोचना करनी ही चाहिए। लेकिन क्रूर माओवादी आतंकवाद (नक्सलवाद) के खात्मे के लिए बीजेपी सरकार ने नई लकीर खींच दी है। आज 17 अक्टूबर 2025 को छग में 210 माओवादियों का समर्पण एक बड़ी और ऐतिहासिक सफलता है। हथियार का रास्ता छोड़कर हाथों में संविधान यानी लोकतंत्र की राह पकड़ने वालों के लिए सरकार ने — रेड कार्पेट बिछाकर स्वागत भी किया। गुलाब देकर अभिनंदन करते हुए बताया कि बारूद नहीं अब पुष्प की भांति ही सुगंध बिखेरिए।
•मुख्यमंत्री Vishnu Deo Sai और गृहमंत्री Vijay Sharma बधाई के पात्र हैं। इन्होंने छत्तीसगढ़ में शांति के संकल्प को केवल नारों और वादों में ही सीमित नहीं रखा। बल्कि उसे साकार कर दिखाया है। इससे पहले भी माओवादी छिटपुट समर्पण करते रहे हैं। लोन वर्राटू अभियान की इसमें बड़ी भूमिका रही है। लेकिन एक साथ 210 की संख्या में माओवादियों का समर्पण सरकार की लोक हितकारी भूमिका का प्रकट करता है।
•सरकार ने ये बता दिया है उसका उद्देश्य बस्तर में स्थायी शांति है। इससे किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जा सकता है। जहां माओवादियों के खिलाफ जवानों ने लगातार आक्रामक कार्रवाई की। वहीं बातचीत के माध्यम से आत्मसमर्पण के रास्ते भी खोले। हथियार छोड़कर मुख्यधारा में शामिल करने के लिए पहल की। इस पर सफलता भी पाई। स्पष्ट है कि ये ‘पुनर्वास से पुनर्जीवन’ लक्ष्य है जिसे मार्च 2026 तक केंद्र की मोदी सरकार और छत्तीसगढ़ सरकार पूरा करने में पूरी ताक़त झोंक चुकी है। लेकिन चुनौतियां अब भी बाकी हैं। अब बस्तर समेत समूचा छत्तीसगढ़ शांति के रास्ते पर बढ़ चला है। बस्तर क्षेत्र में अब बारूद की गंध नहीं बल्कि लोकतन्त्र की छांव में प्रगति के साथ कदम ताल करेगा।