मोदी जी के ग्यारह वर्ष : समृद्ध और सशक्त भारत की ऊँची उड़ान

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प्रधानमंत्री श्रीनरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने बहुआयामी विकास की नई उड़ान भरी है। उनकी नीतियों और निर्णयों से आत्मनिर्भर भारत निर्माण को नई गति मिली है। समृद्धि, सशक्त के साथ वैश्विक सम्मान भी बढ़ा है। भारत ने विश्व की चौथी अर्थ व्यवस्था का स्थान अर्जित कर लिया है।
श्री नरेंद्र मोदी ने भारत के पन्द्रहवें प्रधानमंत्री के रूप में 26 मई 2014 को पहली बार और 9 जून 2024 को अपनी तीसरी पारी केलिये प्रधानमंत्री पद की शपथ ग्रहण की। प्रधानमंत्री के रूप में कार्य करते हुये उन्होंने ग्यारह वर्ष पूरे कर लिये हैं। वे देश पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जिनका जन्म स्वतंत्रता के बाद हुआ। मोदीजी अतिसामान्य परिवार की पृष्ठभूमि से आते हैं। राजनीति में उनका कोई “गाॅड फादर” भी नहीं था। एक सामान्य परिवार की पृष्ठभूमि से आने वाले किसी व्यक्ति केलिये ऐसी यात्रा दुर्लभ होती है। यह उनकी श्रम साधना, मिले हुये कार्य के प्रति समर्पण ही है कि अपने समय के भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेता श्री लालकृष्ण आडवानी ने अपनी रथयात्रा केलिये सारथी के रूप में श्री नरेन्द्र मोदी को ही चुना। इसी यात्रा ने उनकी दिशा बदली और उन्हें एक ऐसी राह मिली जिससे वे गुजरात के मुख्यमंत्री बने और अब भारत के प्रधानमंत्री हैं। मोदीजी की इस सफलता के मूल में उनका पुरूषार्थ, परिश्रम, प्रतिभा और प्रज्ञा शक्ति है। बचपन से लेकर आजतक न तो उनकी संकल्पशीलता बदली और न जीवन शैली। आध्यात्म की ओर जैसा झुकाव बालवय में था। वैसा ही झुकाव आज भी है।

प्रधानमंत्री रहते हुये भी वे वर्ष में एक बार एकांत साधना करते हैं। उनके आत्मविश्वास और संकल्प शक्ति की अति दृढ़ता का आधार उनकी यही साधना है। संसार में वही व्यक्ति अपना विशिष्ट स्थान बनाता है जो लीग से अलग हटकर काम करता है। मोदीजी इसकी झलक ग्यारह वर्ष पहले ही दे दी थी। उन्होंने संसद भवन की सीढ़ियों को नमन करके प्रधानमंत्री के रूप में अपनी पारी की शुरुआत की थी। संसद की सीढ़ियों को नमन् करने वाले वे देश के पहले प्रधानमंत्री हैं। इस नमन् ने उन्हें भारत के सभी प्रधानमंत्रियों से अलग पहचान दी। उनकी यह अलग पहचान उनके हर निर्णय में भी झलकती है। पहली बार शपथ ग्रहण के साथ उन्होंने जो संकल्प व्यक्त किया था, अपनी भावी यात्रा के जो संकेत दिये थे। वे आज भी उस पर कायम हैं। इन ग्यारह वर्षों के कार्यकाल में कितने ही उतार चढ़ाव आये, कितने तनाव आये। उनपर व्यकितगत राजनैतिक हमले भी सतत रहे पर वे कभी विचलित नहीं हुये। अपनी नीति और निर्णय पर सदैव अडिग रहे। उन्होने सिद्धांत से कभी समझौता नहीं किया। उन्होंने कुछ निर्णय तो ऐसे लिये हैं जिनकी किसी ने कल्पना तक नहीं की थी। उनके अभूतपूर्व निर्णयों में एक कश्मीर से धारा 370 को हटाना है। जब धारा 370 को हटने की बात चली तब कश्मीर के कितने ही नेताओं ने खून की नदिया बहने की चेतावनी दी थी। लेकिन मोदीजी बिल्कुल बिचलित नहीं हुये और धारा 370 से कश्मीर मुक्त हो गया। यह धारा कश्मीर को भारत की अभिन्नता से दूर कर रही थी। इसके हटने से कश्मीर से भारत का एकत्व प्रमाणित हुआ। मोदी जी का दूसरा बड़ा निर्णय शरणार्थी नागरिकता कानून CAA है। इसके अंतर्गत भारत के सभी पड़ौसी देश बंगलादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, म्यांमार, चीन नेपाल आदि से आये ऐसे शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान है जिन्हें धार्मिक आधार पर उन देशों में प्रताड़ित किया गया है। इस कानून का लाभ उन सिंध प्रांत के उन शरणार्थियों को भी मिला जो बँटवारे के समय भारत आये थे। मोदी के नेतृत्व में काम कर रही इस सरकार का एक बड़ा निर्णय मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से मुक्ति दिलाने का है। इस कानून के माध्यम से सरकार ने धार्मिक परंरपरा में हस्तक्षेप किये बिना इसके दुरुपयोग पर रोक लगाई है। कुछ लोग इस प्रावधान का दुरुपयोग कर रहे थे और वाट्सअप, फोन अथवा टेलीफोन पर ही तीन बार तलाक कहकर महिलाओं को छोड़ रहे थे। इसका पीड़ित मुस्लिम महिलाओं ने स्वागत किया। इसी श्रृंखला में सरकार ने बक्फ संशोधन विधेयक लाकर इसके भी दुरुपयोग पर रोक लगाई। पुराने बक्फ कानून की आड़ में भूमि पर कब्जा करने की शिकायतें आ रही थीं। इस बक्फ संशोधन विधेयक से अब बक्फ संपत्ति का मुस्लिम समाज के कल्याण में उपयोग हो सकेगा।

मोदीजी का दृढ़ता का परिचय दोनों सर्जिकल स्ट्राइक और एक एयर स्ट्राइक में मिला। बालाकोट के बाद हुये सिन्दूर स्ट्राइक ने भारत का मान पूरी दुनियाँ में बढ़ाया। भारत ने पाकिस्तान के नौ आतंकवादी ठिकानों को नष्ट किया और सौ से अधिक आतंकवादियों को मौत के घाट उतारा। पहलगांव में आतंकवादियों ने जिस प्रकार महिलाओं को सामने खड़ा करके उनका सिन्दूर उजाड़कर मनोबल तोड़ने का प्रयास किया। इसीलिये इस अभियान का नाम “सिन्दूर आपरेशन” रखा और महिला सैन्य अधिकारियों को ही आगे किया। मोदीजी ने भारत राष्ट्र की स्वतंत्रता और संस्कृति रक्षा केलिये बलिदान होने वाले महानायकों के स्मरण का अभियान चलाया। तथा उनके जीवन परिचय को पाठ्यक्रम में जोड़ने की योजना लागू की।

यह मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों का परिणाम है कि भारत अब दुनियाँ की चौथी बड़ी अर्थ व्यवस्था वाला देश बन गया है। मोदीजी ने वर्ष 2027 तक दुनियाँ की तीसरी बड़ी अर्थ शक्ति बनाने का संकल्प व्यक्त किया है और वर्ष 2047 तक दुनियाँ की सबसे बड़ी अर्थ व्यवस्था बनाने का संकल्प किया है। उन्होंने डिजीटलाइजेशन को बढ़ावा देकर कदाचार पर नियंत्रण का कदम उठाया है तो नोटबंदी करके नकली मुद्रा के प्रचलन पर एक बड़ा प्रहार किया था।

उनके निर्णयों में “राजनीति” नहीं होती, “राष्ट्रनीति” होती है। यही राष्ट्रनीति उनके नारों में भी है। इसे हम उनके पहले कार्यकाल में दिये गये नारे “विकास के साथ विरासत” से भी समझ सकते हैं। मोदीजी ने कहा था कि भले हम आकाश की ऊँचाइयों तक विकास कर लें लेकिन हमें अपनी विरासत को भी साथ लेकर चलना है। 2014 में अपनी पहली पारी में विरासत को सहेजने केलिये ही उन्होंने भारत के धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों के विकास और पुनर्प्रतिठा का कार्य हाथ में लिया। इसे पर्यटन मंत्रालय से जोड़ा। और “तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक विरासत संवर्धन अभियान” आरंभ किया। इसके अंतर्गत 46 परियोजनाओं को हाथ में लिया। इसमें केवल सनातन परंपरा के महत्वपूर्ण स्थल ही नहीं हैं। इसमें मुस्लिम और सिख स्थल भी शामिल हैं। इस योजना से जहाँ जन समान्य में अपनी सांस्कृतिक विरासत के प्रति आत्मविश्वास बढ़ा वहीं पर्यटकों की संख्या भी बढ़ी। इसे हम प्रयागराज महाकुंभ में उमड़े जन सैलाव, वैष्णों देवी दक्षिण में रामेश्वरम अथवा उड़ीसा की जगन्नाथ रथ यात्रा से समझ सकते हैं। उनकी नमामि गंगे योजना के अंतर्गत एक ओर पवित्र नदियों के साथ पूरे देश की नदियों की सफाई का अभियान छेड़ा। अपने स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत मोदीजी स्वयं हाथ में झाड़ू लेकर दिल्ली के प्रगति मैदान पहुँचे। उन्होंने आव्हान पर पूरा देश सफाई अभियान में जुट गया। और बदले भारत को आज देखा जा सकता है। सुरक्षा मोदी जी की नीतियाँ किसी वर्ग, किसी वर्ण, किसी क्षेत्र अथवा किसी पंथ विशेष केलिये नहीं अपितु संपूर्ण राष्ट्र और भारत के एक एक जन केलिये है। इसकी झलक मोदी जी नारे “सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास” में मिलती है। उनका चिंतन बहुत व्यापक और समावेशी है। उन्होंने अपने पूरे कार्यकाल में भ्रष्टाचार मुक्त और विकासोन्मुख प्रशासन की नींव रखी है। उनकी नीतियाँ अंतिम छोर के अंतिम व्यक्ति को समृद्ध और समुन्नत बनाने की हैं। सब स्वस्थ रहें सब सुखी रहें। इसी केलिये उन्होंने आयुष्मान भारत अभियान चलाया। सत्तर वर्ष से अधिक आयु के प्रत्येक व्यक्ति को निशुल्क उपचार योजना लागू की। यह संसार की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना है। महिलाओं को धुँये से मुक्ति केलिये उज्ज्वला योजना, हर घर जल और हर घर नल योजना है। देश के लगभग अस्सी करोड़ लोगों को निशुल्क अन्न दिया जा रहा है। इन ग्यारह वर्षों में लगभग 34 करोड़ लोग गरीबी की रेखा से बाहर आये हैं। गरीबों को वित्तीय धारा से जोड़ने केलिये “जनधन योजना” लागू की। इस योजना में अब तक 51 करोड़ से अधिक खाते खोले जा चुके हैं।

मोदीजी ने अपने पहले कार्यकाल के साथ आत्मनिर्भर भारत का जो नारा दिया था। वे इस पर आज भी काम कर रहे हैं। उनका मानना है कि जब तक भारत का प्रत्येक निवासी आत्मनिर्भर नहीं होगा, प्रत्येक समाज आत्मनिर्भर कैसे होगा। तब तक देश आत्म निर्भर नहीं हो सकता। व्यक्ति समाज और देश को आत्मनिर्भर बनने केलिये प्रत्येक व्यक्ति के जीवन की आधारभूत आवश्यकता की पूर्ति होना आवश्यक है। इसके लिये भोजन और आवास जैसी आधारभूत आवश्यकताओं की पूर्ति होना आवश्यक है। मोदीजी ने इसके लिए हर सिर को छत, हर घर को जल और हर घर को गैस कनेक्शन जैसी योजनाएँ आरंभ कीं। मोदीजी के जिस दिन अपना पहला कार्यभार ग्रहण कर रहे थे तब भारत के अठारह हजार गांव ऐसे थे जिनमें बिजली नहीं थी। अब इन सभी गाँवों में बिजली जगमगा रही है। मोदी का मानना है कि जब तक एक भी भारतीय बेघर है तब तक विकास अधूरा है। हर बेघर को घर देने की अपनी योजना के अंतर्गत 2014 से 2024 के बीच 4.2 करोड़ से अधिक घरों को मंजूरी दी गई। जबकि अपने तीसरे कार्यकाल की सत्ता संभालने के बाद पहली कैबिनेट बैठक में ही तीन करोड़ अतिरिक्त ग्रामीण और शहरी परिवारों को घर प्रदान करने की अनुमति दी गई। इसके साथ हर घर शौचालय योजना लागू की। मोदी जी के मन में प्रत्येक नागरिक के लिए गरिमापूर्ण जीवन सुनिश्चित करने का चिंतन है। ये दोनों योजनाएँ उनके चिंतन के अनुरूप परिणाम दे रहीं हैं।

एक समृद्ध और सशक्त राष्ट्र निर्माण केलिये मोदीजी ने gyan का सम्मान एक मंत्र दिया है। इसमें गाँव-गरीब, युवा, किसान और महिला हैं। उनकी ये अधिकांश नीतिया इस समूह की समोन्नति के लिये है। विशेषकर स्टार्टअप से युवाओं में स्वरोजगार के प्रति जाग्रति आई है।

विरासत सहेजने और प्रत्येक व्यक्ति के जीवन की आधारभूत समस्याओं के समाधान कारक कदम उठाने के साथ उन्होंने विकास को नये आयाम देने केलिये भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान को भी नई उड़ान दी। इसके लिये उन्होंने अंतरिक्ष अनुसंधान केन्द्र संगठन इसरो के वैज्ञानिकों से मीटिंग की। उनके अनुसार बजट और अन्य सुविधाएँ बढ़ाने के आदेश दिये। यह इसी का परिणाम है कि आज भारत ने अंतरिक्ष अनुसंधान की तकनीकि में संसार को पीछे छोड़ दिया है। उपग्रहों के प्रक्षेपण और चंद्रयात्रा में हमारी तकनीकी सबसे किफायती है। इसकी प्रशंसा नासा ने भी की। यह मोदीजी के प्रोत्साहन का ही परिणाम है कि भारत अपने मंगल ऑर्बिटर मिशन के अंतर्गत मंगल की कक्षा में पहुंचने वाला पहला एशियाई देश बना। भारत का अभियान अपने पहले ही प्रयास में सफल हुआ। यह भी दुनियाँ में एक कीर्तिमान बना। भारत के क्षेत्रीय उपग्रह नेविगेशन, गगनयान मिशन के साथ वाणिज्यिक प्रक्षेपण में भी कदम बढ़ा लिये हैं। मोदीजी ने वैज्ञानिकों को स्वदेशी तकनीक विकसित करने का आव्हान किया। यह इसी का कारण है कि हमारी लागत विशव के लगभग सभी देशों से कम है ।इसके चलते पूरी दुनियाँभारत की ओर आकर्षित हुई और इसरो ने 300 से अधिक विदेशी उपग्रह प्रक्षेपित किये। इनमें ब्रिटेन जैसे देश भी शामिल हैं। अपने मंगल ऑर्बिटर मिशन के अंतर्गत भारत मंगल की कक्षा में पहुंचने वाला पहला एशियाई देश बना और पहले ही प्रयास ऐसी सफलता प्राप्त करने वाला दुनियाँ का पहला देश। उनके प्रोत्साहन से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो को एक नयी ऊर्जा मिली। जिससे इसरो ने 15 फरवरी 2017 को एक ही बार में 104 सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजकर नया विश्व इतिहास रचा। इससे पहले यह रिकॉर्ड रूस के नाम था। 2019 में भारत ने अपने स्वदेशी लॉन्चर GSLV MKIII का उपयोग करके अपना चंद्रयान-2 लॉन्च किया। क्रायोजेनिक तकनीक में अपनी क्षमता और पहुंच बढ़ाने के साथ-साथ भारत आने वाले वर्षों में चंद्रमा पर मानवयुक्त मिशन के लिए काम कर रहा है। इसरो ने अब 2028 तक तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने की योजना बनाई है। यह नये भारत की विकास यात्रा है।
मोदीजी ने “लोकल फाॅर वोकल और ग्लोबल” का आव्हान भी किया। उनका उद्देश्य केवल अर्थ व्यवस्था में सुधार करना भर नहीं हैं। मोदी जी ने एक ऐसे भारत की कल्पना की है जो न केवल अपनी आवश्यकता का स्वयं उत्पादन करे अपितु निर्यातक भी बने। एक समय था जब भारत बंदूक ही नहीं बंदूक की गोलियाँ भी आयात करता था। भारत के सभी रक्षा उपकरण आयात करना होते थे। किन्तु अब निर्यातक देश बन गया है। जिस ब्रह्मोस मिसाइल ने पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया वह भारत का स्वदेशी उत्पाद है।

मोदीजी ने स्वयं को प्रधानमंत्री के रूप में नहीं अपितु प्रधान सेवक के रूप में प्रस्तुत किया। उनके कार्यकाल के ये ग्यारह वर्ष सशक्त और समृद्ध भारत के निर्माण की नींव है। मोदीजी के विकास के जिस मार्ग पर भारत चल पड़ा है इसकी मंजिल वही है जहाँ पूरी दुनियाँ में भारत की पहचान विश्व गुरु और सोने की चिड़िया के रूप में होगी।

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रमेश शर्मा

रमेश शर्मा

श्री शर्मा का पत्रकारिता अनुभव लगभग 52 वर्षों का है। प्रिंट और इलेक्ट्रानिक दोनों माध्यमों में उन्होंने काम किया है। दैनिक जागरण भोपाल, राष्ट्रीय सहारा दिल्ली सहारा न्यूज चैनल एवं वाँच न्यूज मध्यप्रदेश छत्तीसगढ प्रभारी रहे। वर्तमान में समाचार पत्रों में नियमित लेखन कर रहे हैं।

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