मुजम्मिल शेख, सलीम शेख, सद्दाम शेख, सज्जाद शेख को क्यों बचा रही है गौनाहा पुलिस

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एमएस डेस्क

आरटीआई एक्टिविस्ट आचार्य नितिन कुमार रवि  ने बिहार, डीजीपी को मुजम्मिल शेख, सलीम शेख, सद्दाम शेख,सज्जाद शेख (गम्हरिया, गौनाहा) पर एफआईआर और कार्रवाई ना होने के संबंध में पत्र लिखा है। आचार्य नितिन के अनुसार, उनका मामला कानून व्यवस्था से जुड़ा है। मुजम्मिल शेख, सलीम शेख, सद्दाम शेख, सज्जाद शेख के संबंध में बार बार शिकायत करने के बाद भी गौनाहा पुलिस मामले का सज्ञान नहीं ले रही।

जांच की स्थिति यह है कि इस मामले को पूर्व में देख रहे एसआई विवेक कुमार बालेन्दू फोन पर मीडिया स्कैन से थाना प्रभारी बन कर बात करते हैं और बातचीत के दौरान वे बताते हैं कि उन्हें मामले की जानकारी नहीं है लेकिन इस बातचीत से पहले वे मामले पर रिपोर्ट लिख चुके होते हैं।

नितिन के अनुसार —थाने की लापरवाही या आरोपी को बचाने की मंशा बार बार दिखाई पड़ती है। नितिन पूछते हैं,
फसल की लूट में मुजम्मिल शेख, सद्दाम शेख और सज्जाद शेख शामिल हैं। अब तक लाखों रुपए की लूट हो चुकी है। लेकिन थाने की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई। बिना किसी जांच पड़ताल के थाना यह मान चुका है कि यह जमीन मुजम्मिल शेख, सलीम शेख, सद्दाम शेख, सज्जाद शेख का है? यदि इस निष्कर्ष पर गौनाहा थाना किसी जांच पड़ताल के बाद पहुंचा है तो अब तक उसकी डिटेल उन्होंने पीड़ित पक्ष को उपलब्ध क्यों नहीं कराई है? थाना और अंचल पूरे मामले में इतनी लापरवाही से काम कर रहे हैं कि जांच और आरोपी पर कार्रवाई की जगह,  एक ही मामले में अलग अलग रिपोर्ट पेश कर रहे हैं। पीड़ित पक्ष का थाने की लापरवाही की वजह से जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई कौन करेगा?

मुजम्मिल शेख के अनुसार, वह एक कन्स्ट्रक्शन कंपनी से जुड़ा है। कंपनी के मालिक के संबंध में वह बताता है कि उनके दामाद भारतीय प्रशासनिक सेवा में है। क्या वह इन नामों का इस्तेमाल थाना और अंचल में भी कर रहा है? संभव है कि वह इतने प्रभावशाली लोगों के नाम का इस्तेमाल करके थाना और अंचल पर दबाव बनाने में सफल हुआ हो।

मुजम्मिल शेख

मुजम्मिल से जुड़े कुछ दूसरे मामलों की जानकारी भी मीडिया स्कैन को प्राप्त हुई है। जिसमें पीड़ित पक्ष का आरोप है कि गौनाहा थाना और अंचल ने आरोपी की मदद की। अब गौनाहा में थाना प्रभारी और अंचलाधिकारी बदल चुके हैं। नए थाना प्रभारी और अंचलाधिकारी को इन मामलों की एक बार फिर से जांच करनी चाहिए। थाना और अंचल से स्थानीय लोगों को न्याय नहीं मिलेगा फिर स्थानीय आदमी न्याय के लिए कहां जाएगा? जबकि गौनाहा आदिवासी बहुल प्रखंड है और नेपाल से लगा हुआ होने की वजह से अधिक संवेदनशील भी है।

आरटीआई एक्टिविस्ट नितिन कुमार रवि  के अनुसार कोविड के दौरान जब उनका पूरा परिवार कोविड की चपेट में था। उस समय मुजम्मिल ने कब्जा का पहला प्रयास किया था। जिसकी शिकायत गौनाहा थाना में दर्ज की गई थी। लेकिन थाना ने कोई कार्रवाई नहीं की। थाना की तरफ से जो रिपोर्ट बनाई गई, उसमें भी साफ जल्दबाजी नजर आती है। जैसे बिना किसी जांच के थाने में बैठकर किसी ने रिपोर्ट लिखवाई हो क्योंकि अपनी रिपोर्ट को सपोर्ट करने वाला कोई डाक्यूमेंट गौनाहा थाना अब तक उपलब्ध नहीं करवा पाया है।

आचार्य नितिन कुमार रवि के अनुसार जितना कष्ट उनके परिवार को कोरोना की चपेट में आने के बाद नहीं हुआ, उससे अधिक पीड़ा वे गौनाहा थाना  और  अंचल की वजह से उठा चुके हैं। मुजम्मिल शेख, जिस कन्स्ट्रक्शन कंपनी के मालिक और कथित तौर पर उनके भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी दामाद का जिक्र इस जमीन कब्जा के मामले में कर रहा है। जांच उन सबकी भूमिका की भी होनी चाहिए और जांच तो इस बात की भी होनी चाहिए कि मुजम्मिल शेख पर कई सारी शिकायतों के बावजूद अब तक कोई कार्रवाई गौनाहा में क्यों नहीं हो पा रही है? कौन है जो बार बार उसे बचा रहा है?

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