नहीं रहे सुरिंदर तलवार

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मुकेश कुमार
हमारे लाजपत नगर के वरिष्ठ स्वयंसेवक सुरिंदर जी तलवार हमारे बीच नहीं रहे। 84 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।  जिले में अपने सुरीले कंठ के लिए वे प्रसिद्ध थे। संघ के ढेर सारे गीत, कविता उन्हें कंठस्थ थे। खूब मजाक किया करते थे। शाखा में जब भी वे गाते थे तो पूरी व्यवस्था के साथ गाया करते थे। वे ढपली, स्टैंड और उँगली में पहनने वाली घुँघरू के साथ जब गाते थे तो समां बांध दिया करते थे। क्या अनुभव होता था वह, उसका बयान कर पाना मुश्किल है। पूर्णतः मोहित कर देने वाला दृश्य हुआ करता था । अब वह गीत, वह संगीत हमें नहीं सुनाई देगा। उनकी शाखा में जब भी किसी का जन्मदिन होता था तो उनकी शाखा ने यह नियम बनाया हुआ था कि वे ढपली बजाते हुए गीत, गाते हुए अपने स्वयंसेवक के घर जाएंगे और उसे फूल माला पहनाकर अपने स्वयंसेवक का अभिवादन करेंगे।
उसके विशेष दिन पर उसे विशिष्ट अनुभव कराएंगे। सुरिंदर जी शाखा के नियमित स्वयंसेवकों में से एक थे। हम सबका उनसे मिलना अक्सर एकत्रीकरण में होता था। अक्सर हसंते-मुस्कुराते रहते थे। उनकी हँसी , उनकी मुस्कान बहुत सुंदर थी। वो लाजपत नगर के पुराने स्वयंसेवकों में से एक थे।  पिछले 20 वर्षों में हमने लाजपत नगर के एक से एक बेहतरीन स्वयंसेवकों को खोया है। दिल्ली प्रांत में जहाँ संघ का सबसे अच्छा काम रहा है उसमें से एक लाजपत नगर भी  है। उसकी नींव में तलवार जी जैसे स्वयंसेवक रहे हैं। वे प्रौढ़ अवस्था में भी शाखा आते रहे। स्वास्थ्य खराब होने के बावजूद भी इस अवस्था में भी शाखा आते रहना  हम जैसे स्वयंसेवकों  के लिए प्रेरणा स्रोत का काम करता है। उनकी जिजीविषा अतुल्य थी। तलवार जी जैसे कार्यकर्ता संघ को जीते हैं।
उनका एक गीत मैंनें youtube पर अपलोड किया था। आप लोग उनको सुनिए। 80 की आयु में भी वह बेहतरीन  गाते थे। युवा अवस्था में तो जबरदस्त माहौल बना दिया करते होंगे। जो संघ के स्वयं सेवक हैं ज्यादा कनेक्ट कर पाएंगे।
प्रभु श्री राम उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे।

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