अनिल पुसदकर
रायपुर: फोटोग्राफी की दुनिया के बेताज बादशाह,कैमरे के बेमिसाल कलाकार नरेंद्र बंगाले का आज जन्म दिन है,बधाई नहीं दीजिएगा उसे!
नरेंद्र पता नहीं कब बड़ा हुआ,कब रिटायर भी हो गया,लेकिन फोटोग्राफी की दुनिया में तहलका मचा गया,बेमिसाल फोटोग्राफर और उससे भी ज्यादा शानदार इंसान।
प्रेस जगत में मेरी एंट्री थोड़ा लेट हुई थी,और भास्कर जब नव भास्कर हुआ करता था तब मुझे वहां मिला था नरेंद्र बंगाले।उस समय फोटोग्राफी की दुनिया के भीष्म पितामह स्व बसंत दीवान भी भास्कर में थे।बड़े बड़े बरगदो का जंगल था फोटोग्राफी की दुनिया,और उसमे एक बिल्कुल नया नवेला,बच्चा भी कह सकते है,वो अंकुरित हुआ और ऐसा अंकुरित हुआ कि बड़े बड़े बरगदो के जाल को चीरता हुआ ऊपर उठता ही चला गया और अपना परचम फहराता चला गया।कुछ ही सालों में नरेंद्र बंगले फोटोग्राफी की दुनिया में न केवल जाना माना नाम बन गया बल्कि उसकी शान बन गया।उसकी तस्वीरें बोलती थी।उसकी तस्वीर पर खबर लिखने की भी जरूरत नहीं होती थी,उसकी तस्वीर ही अपने आप में एक कंप्लीट खबर होती थी।
गजब का कलाकार था कैमरे का।वो जमाना फिल्मों को खुद डेवलप करने का था,और नरेंद्र ने कुछ ही समय में उसमें महारथ हासिल कर ली थी।सही मायने में वो कैमरे का जादूगर है।
और इंसान तो बेहद शानदार। मेरे साथ सालो काम किया।मेरा सर्विस रिकॉर्ड बहुत खराब था।हर छह महीने में इस्तीफा देता था और महीने दो महीने बाद वापस बुला लिया जाता था।मगर मजाल नरेंद्र ने कभी संपर्क तोड़ा हो।वो चाहे में भास्कर में रही या न रहूं,हमेशा फोन करता था।
अब बात निकली है तो उसका किस्सा भी सुना ही देता हूं।नरेंद्र की आदत थी लेट नाईट ड्यूटी पर रहते हुए जब फ्री होता तो मुझे फोन लगा देता था।और गहरी नींद से उठकर उसका फोन उठाओ तो उधर से उसकी मीठी हसी के साथ आवाज थी,अरे आप को लग गया क्या भैया?क्या कर रहे थे?अब क्या करूंगा सो रहा था,अरे कोई बात नहीं सो जाओ।और खटाक से फोन कट।और ये एक दो दिन की बात नहीं आए दिन होता था और सालों ये सिलसिला चला।बेहद गुस्सैल होने के बावजूद पता नहीं क्यों नरेंद्र पर कभी गुस्सा नहीं आया। उस पर हमेशा प्यार ही आया।