जलज कुमार अनुपम
मुझे नीजी तौर पर मुख्यमंत्री, हरियाणा मनोहर लाल खट्टर की एक बात शानदार लगी कि वैचारिक युद्ध में शत्रु के प्रति कोई दयाभाव नही होनी चाहिए।
कलाप्रेमी लेखक संघ (कलेस) कहने को एक आम समूह है जिसमें राष्ट्रीय हित का चिंतन मनन करने वाले पत्रकार, स्तम्भकार, लेखक और कला समीक्षा से जुड़े लोग हैं। कोविड के बाद से एक मिलन की योजना बन रही थी जिसको मीडिया स्कैन के तत्वावधान में 26 नवंबर 2022 को धरातल पर उतारा गया। उतरा भी तो क्या गजब उतरा! जो आया कुछ न कुछ लेकर लौटा और जो न शामिल हुए उनके मन में एक मीठी आह उठी की मुझे भी आना था पर कोई बात नही अलगी बार!
राष्ट्रवादी लोगों का सहृदय होना आम बात है लेकिन विचारधारा के आधार पर छोटे को थपथपाना, उनमें हौसला भरना, बड़ो द्वारा विचारधारा के वैश्विक विकास के लिए आबद्ध किये योजनाओं को धरातल पर उतारने में अपना सर्वस्व झोंक देना जैसी भावनाओं में पहले एक गैप दिखती थी जो अब मिटती नजर आ रही है। यह सुखद भविष्य के संकेत हैं।
अब लगता है कि सुदूर गाँव में अपने विचारधारा से जुड़े किसी भाई को दिल्ली से बैठे पुचकारना समान्य बात है।यह हौसला हर को नीज की चिंता छोड़ राष्ट्रीय चिंतन के लिए प्रेरित करेगा।
यह मिलन इसलिए भी अनोखा था कि इसमें सब बराबर थे! यहाँ जब मुख्यमन्त्री भी आये तो ऐसा लगा कि हमारे ही बीच से कोई हैं।
मुझे नीजी तौर पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल महोदय की एक बात शानदार लगी कि वैचारिक युद्ध से शत्रु के प्रति कोई दयाभाव नही होनी चाहिए।
मैं खुद भी यहीं मानते रहा हूँ कि मतभेद और मनभेद के ढोंग से बचना चाहिए। शत्रु के साथ कैसा समझौता! अधर्म का धर्म के साथ आखिर कैसा सबंध!
दुनिया में दो ही खेमे हैं! एक में आप धर्म के साथ हैं और दूसरे में अधर्म के साथ! कर्म और कुकर्म के आलावा किसी अन्य नये वर्गीकरण की कोइ जरुरत नही है।
कुछ वक्ताओं ने ऐसे भाव प्रकट किए कि जैसे वो मेरे ही हों! वहाँ पहुँचने के बाद मैं स्वत: आयोजक का भाव लिए खड़ा था! यह विचारधारा की ताकत है।यह भाव की राष्ट्रीय चिंतन से जुड़ा हर साथी हमारे लिए महत्वपूर्ण है ने इस कार्यक्रम को नये आयाम पर पहुँचा दिया!
कलेस के उन सारे साथियों तक बधाई और मंगलकामना पहुँचे जिन्होंने इस आयोजन को सफल बनाया! राष्ट्रहित आधारित सबके कर्म हो! राष्ट्रहित आधारित मनन हो!
जय हो! जय जय हो!