पटना। नवरात्रि का पावन पर्व, माँ दुर्गा की भक्ति, उपवास, और शुद्धता का समय। लेकिन बिहार की सियासी गलियों में नवरात्रि का रंग कुछ और ही है। इस बार तेजस्वी यादव ने हेलीकॉप्टर से उतरते ही नया कारनामा कर दिखाया। न मछली खा रहे, न मटन का नाम ले रहे, बल्कि पटना की गलियों में राहुल गांधी और लालू प्रसाद के साथ मिलकर चंपारण मटन की कढ़ाई चढ़ा दी। यह नजारा देखकर माँ दुर्गा भी शायद सोच में पड़ जाएँ कि यह भक्ति है या भोज का नया अंदाज?
कहानी कुछ यूं है। नवरात्रि शुरू होते ही तेजस्वी ने सोचा, क्यों न इस बार कुछ अलग किया जाए? हेलीकॉप्टर तो पुराना हो गया, अब तो कढ़ाई में तड़का लगाने का समय है। लालू जी, जो हमेशा चारा कटने की बात करते थे, इस बार मसाले छौंकने में जुट गए। राहुल गांधी, जो कभी पप्पू तो कभी शहजादे कहलाते हैं, मटन काटने की कला में माहिर निकले। पटना के किसी गुप्त ठिकाने पर ये तिकड़ी जमा, और चंपारण मटन की खुशबू ने पूरे बिहार को लपेट लिया।
स्थानीय भक्तों का कहना है, “नवरात्रि में माँ को प्रसाद चढ़ता है, लेकिन यहाँ तो मटन का मेला सजा है!” कोई कहता, “तेजस्वी भइया का हेलीकॉप्टर अब मसाला एक्सप्रेस बन गया।” लालू जी ने हँसते हुए कहा, “देखो बेटा, मटन में मसाला और सियासत में रंग, दोनों सही डालने से ही बनते हैं।” राहुल जी ने भी अपनी ‘भारत जोड़ो’ स्टाइल में जोड़ा, “यह मटन नहीं, एकता का स्वाद है!”
लेकिन सवाल यह है कि नवरात्रि में यह मटन-महोत्सव क्या संदेश दे रहा है? शायद यह कि सियासत में नवरात्रि हो या न हो, स्वाद और वोट का मेल हमेशा चलता है। जनता देख रही है, माँ दुर्गा भी देख रही हैं। अब देखना यह है कि यह चंपारण मटन वोटरों के दिल में उतरता है या सिर्फ़ कढ़ाई तक सीमित रहता है।