नेहरू ने ‘विदेशी महिला के पुत्र’ को इंदौर का राजा बनने से मना करके राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा के प्रधानमंत्री पद पर बैठना भी रोक दिया

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सुभाष चन्द्र

इंदौर: लोकसभा के 2004 चुनाव के बाद डॉ सुब्रमण्यम स्वामी ने राष्ट्रपति के सामने सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री बनने को चुनौती दी थी और कई आपत्तियां दर्ज करा कर उन्हें प्रधानमंत्री बनने से रोक दिया था – लेकिन सोनिया की संतानों राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा के प्रधानमंत्री पद पर बैठने पर तो नेहरू के एक फैसले रोक लगी हुई है –

इंदौर के महाराजा यशवंत राव होलकर-II ने अपने उत्तराधिकारियों में अपनी बड़ी बेटी उषा राजे होलकर और शिवाजी राव होलकर का नाम लिखा था लेकिन विदेशी पत्नी से उत्पन्न पुत्र शिवाजी राव होलकर को नेहरू ने उत्तराधिकारी मानने से मना कर दिया –
नेहरू, सरदार पटेल और राजेंद्र प्रसाद ने आपत्ति जताई कि a son with “foreign blood” could not inherit the princely title after India’s independence और इसलिए यशवंत राव होलकर -II की पहली पत्नी से बड़ी बेटी उषा राव होलकर को “औपचारिक अध्यक्ष) मतलब यशवंत राव का उत्तराधिकारी नियुक्त किया गया –

यशवंत राव होलकर की 3 पत्नियां थी –
-संयोगिता बाई (1924 में शादी – 1937 में मृत्यु)
उनकी और यशवंत राव की बेटी थी उषा राजे होलकर;
-Marguerite Lawler, अमेरिकन पत्नी (शादी 1938 और तलाक़ 1943)
उषा राजे को उन्होंने संयोगिता की मृत्यु के बाद गोद लिया था;
-Euphemia “Fay” Watt (शादी 1943, तलाक़ 1960) – ये भी अमेरिकन थी –
उनका और यशवंत राव होलकर का पुत्र था शिवाजी राव होलकर, उन्हें उनकी माँ ने nickname दिया था Richard)

यशवंत राव होलकर के इंदौर राज्य का 1947 में भारत में विलय हो गया लेकिन 1 जनवरी, 1950 को उन्होंने विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए और 1961 में उनकी मृत्यु के बाद उषा राजे को उनका औपचारिक उत्तराधिकारी बनाया गया जिससे राज्य की संपत्तियों का रख रखाव किया जा सके जो वे अभी भी कर रही हैं –

लेकिन नेहरू, पटेल और राजेंद्र प्रसाद का यह कहना कि (” Son of foreign blood” could not inherit the princely title after India’s independence) अपने आप में बहुत कुछ कह देता है – वह विचार अगर उस समय उपयुक्त थे तो वो आज भी उपयुक्त हैं – सोनिया गांधी भले ही भारतीय नागरिक हो गई हैं लेकिन मूल तो उनका विदेश का ही है – उस समय यशवंत राव की पत्नियों के लिए भारतीय नागरिक बनने का कोई नियम था ही नहीं –

नेहरू, पटेल और राजेंद्र प्रसाद का कथन बिलकुल आचार्य चाणक्य के विचार से लिया हुआ लगता है, कि विदेशी महिला से उत्पन्न संतान कभी देश के लिए निष्ठावान नहीं हो सकती और यह राहुल गांधी सही साबित कर भी रहा है -नेहरू पटेल और राजेंद्र प्रसाद तीनो के जो नाम इस कथन के साथ दिए गए है, वो नेहरू के ही माने जाने चाहिए क्योंकि नेहरू को विदेश का अनुभव ज्यादा था और पटेल की तो 1950 में ही मृत्यु हो चुकी थी जब उषा राजे को यशवंत राव को उत्तराधिकारी बनाया गया –

इसलिए नेहरू के बनाए हुए नियमों के अनुसार ही राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा प्रधानमंत्री पद पर बैठने योग्य नहीं हैं – जब नेहरू ने अमेरिका महिला के उत्पन्न पुत्र को इंदौर जैसे छोटे से राज्य का महाराजा नहीं बनने दिया तो राहुल और प्रियंका को देश का प्रधानमंत्री कैसे बनाया जा सकता है!

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