नेता गायब, भक्तों ने संभाली यमुना तलहटी की सफाई का काम

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आगरा: जो विश्व प्रसिद्ध ताजमहल के लिए जाना जाता है, केवल इस स्मारक तक सीमित नहीं है। यहाँ बहने वाली यमुना नदी शहर की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह नदी न केवल आगरा के जीवन का आधार रही है, बल्कि इसकी धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को भी समृद्ध करती है।

लेकिन आज, प्रदूषण और उपेक्षा के कारण यमुना अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है। नदी का जल विषाक्त हो चुका है, और इसके किनारे कचरे के ढेर में तब्दील हो गए हैं।

इसी चिंता को देखते हुए, रविवार सुबह एत्माद्दौला व्यू प्वाइंट पर यमुना आरती स्थल के पास यमुना सफाई महोत्सव का आयोजन किया गया। इस अभियान में शहरवासियों, पर्यावरणविदों, और नगर निगम के कर्मचारियों ने एकजुट होकर नदी की तलहटी को स्वच्छ करने का बीड़ा उठाया। इस दौरान कई ट्रैक्टरों में भरकर कचरा निकाला गया, जिसमें पॉलीथिन, प्लास्टिक कचरा, खंडित मूर्तियाँ, और घरेलू सामान के अवशेष शामिल थे। लगभग डेढ़ एकड़ क्षेत्र को कचरे से मुक्त किया गया, जो यमुना की सफाई की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

यमुना का ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्वभारतीय संस्कृति में यमुना नदी का विशेष स्थान है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यमुना भगवान श्रीकृष्ण की सखी और सूर्यदेव की पुत्री हैं। मथुरा और वृंदावन के बाद आगरा में यमुना का तट भी कृष्ण भक्ति का केंद्र रहा है। मुगलकाल में यह नदी शाही नौकायन और जल आपूर्ति का प्रमुख स्रोत थी। ताजमहल की सुंदरता को यमुना का स्वच्छ जल और भी निखारता था।
सोशल एक्टिविस्ट पद्मिनी अय्यर ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “आज, औद्योगिक कचरे, सीवेज, और प्लास्टिक प्रदूषण ने इस पवित्र नदी को संकट में डाल दिया है।राष्ट्रीय पर्यावरण अनुसंधान संस्थान (NEERI) की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, यमुना का जल आगरा में इतना प्रदूषित हो चुका है कि इसका ऑक्सीजन स्तर शून्य के करीब है, जिससे जलीय जीवन लगभग नष्ट हो चुका है। नदी में जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग (BOD) स्तर 30 मिलीग्राम/लीटर से अधिक है, जो स्वच्छ जल के लिए निर्धारित 3 मिलीग्राम/लीटर की सीमा से कहीं अधिक है।”

यमुना सफाई महोत्सव:

जनता की पहल
यमुना सफाई महोत्सव में स्थानीय नागरिकों, छात्रों, और पर्यावरण संगठनों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। रिवर कनेक्ट कैंपेन के बृज खंडेलवाल ने कहा, “यमुना केवल एक नदी नहीं, बल्कि हमारी सभ्यता की धमनी है। इसकी सफाई केवल प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है। इस अभियान में युवाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कई घंटों तक कचरा हटाने में श्रमदान किया।”

हालांकि, इस आयोजन में स्थानीय नेताओं और जनप्रतिनिधियों की अनुपस्थिति ने कई सवाल खड़े किए। आगरा के मेयर, विधायक, और सांसद इस अभियान में शामिल नहीं हुए, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या यमुना की सफाई केवल जन आंदोलन तक सीमित रहेगी? रिवर कनेक्ट कैंपेन के जगन प्रसाद तेहरिया ने उम्मीद जताई कि आगामी गंगा दशहरा (5 जून 2025) के लिए होने वाले सफाई अभियान में नेता और उनके समर्थक सक्रिय रूप से भाग लेंगे।

प्रदूषण का संकट और चुनौतियाँ

पर्यावरणविद् डॉ. देवाशीष भट्टाचार्य ने चेतावनी दी, “यमुना आज जीवनदायिनी नहीं, बल्कि विषैला जलाशय बन चुकी है। इसका पानी इतना दूषित है कि इससे त्वचा रोग और अन्य स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं। अगर तत्काल कदम नहीं उठाए गए, तो यमुना केवल इतिहास की किताबों में रह जाएगी।”

आंकड़ों के अनुसार, आगरा में यमुना में प्रतिदिन 150 मिलियन लीटर से अधिक अनुपचारित सीवेज डाला जा रहा है। इसके अलावा, स्थानीय उद्योगों से निकलने वाला रासायनिक कचरा और धार्मिक गतिविधियों में प्रयुक्त सामग्री नदी को और प्रदूषित कर रही है।

आगे की राह और गंगा दशहरा की तैयारी

आगरा नगर निगम के अधिकारियों ने नागरिकों से अपील की है कि वे यमुना की सफाई के प्रति जागरूक रहें और गंगा दशहरा के अवसर पर 5 जून को होने वाले बड़े सफाई अभियान में हिस्सा लें।

यमुना आरती महंत पंडित जुगल किशोर ने कहा, “यमुना की पवित्रता को बचाना हमारा धार्मिक कर्तव्य है। यह अभियान केवल सफाई तक सीमित नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति को जीवित रखने का संकल्प है।”

डॉ. हरेंद्र गुप्ता ने जोर देकर कहा, “यमुना के बिना आगरा और समूचा ब्रज मंडल अधूरा है। अगर हम अब भी नहीं जागे, तो यह नदी पूरी तरह लुप्त हो सकती है।”

रिवर कनेक्ट कैंपेन के चतुर्भुज तिवारी, राहुल, और दीपक ने भी सभी आगरावासियों से यमुना को पुनर्जनन देने में योगदान देने की अपील की।

नागरिकों की जिम्मेदारी

यमुना की सफाई केवल सरकारी योजनाओं या अभियानों तक सीमित नहीं होनी चाहिए। प्रत्येक नागरिक को यह सुनिश्चित करना होगा कि नदी में कचरा न डाला जाए। स्थानीय प्रशासन को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स को और प्रभावी करना होगा, और औद्योगिक कचरे पर सख्त नियंत्रण लागू करना होगा।
आइए, हम सब मिलकर यमुना को फिर से स्वच्छ, जीवंत, और पवित्र बनाएँ, ताकि यह नदी न केवल हमारी सांस्कृतिक धरोहर बनी रहे, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी जीवन का आधार बने।

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Brij Khandelwal

Brij Khandelwal

Brij Khandelwal of Agra is a well known journalist and environmentalist. Khandelwal became a journalist after his course from the Indian Institute of Mass Communication in New Delhi in 1972. He has worked for various newspapers and agencies including the Times of India. He has also worked with UNI, NPA, Gemini News London, India Abroad, Everyman's Weekly (Indian Express), and India Today. Khandelwal edited Jan Saptahik of Lohia Trust, reporter of George Fernandes's Pratipaksh, correspondent in Agra for Swatantra Bharat, Pioneer, Hindustan Times, and Dainik Bhaskar until 2004). He wrote mostly on developmental subjects and environment and edited Samiksha Bharti, and Newspress Weekly. He has worked in many parts of India.

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