निर्मला सीतारमण जी के नाम खुला पत्र

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विषय: टैक्स ऑडिट रिपोर्ट (Form 3CA/3CB-3CD) की अंतिम तिथि में विस्तार हेतु विनम्र निवेदन।

दिल्ली । सविनय निवेदन है कि वर्तमान वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए टैक्स ऑडिट रिपोर्ट की अंतिम तिथि 30 सितंबर 2025 को बढ़ाया जाए। इस वर्ष अनेक अपरिहार्य परिस्थितियों के चलते करदाता, MSME व्यवसायी एवं हम चार्टर्ड अकाउंटेंट्स के समक्ष कई व्यावहारिक एवं तकनीकी बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं, जिनके चलते समय पर और गुणवत्तापूर्ण अनुपालन कर पाना अत्यंत कठिन हो गया है।

तिथि विस्तार की आवश्यकता के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:

अनेक राज्यों में बाढ़ और भारी वर्षा के कारण व्यापारिक गतिविधियां एवं दस्तावेज़ी कामकाज प्रभावित हुआ है।

ITR फॉर्म में बार-बार संशोधन होने से रिटर्न और टैक्स ऑडिट के बीच का समय अत्यधिक सीमित (केवल 12 कार्य दिवस) रह गया है।

त्योहारों का मौसम (विशेषकर दुर्गा पूजा, गणेश चतुर्थी, नवरात्रि) कार्य दिवसों को और सीमित कर रहा है।

Trusts के पंजीकरण/रिन्यूअल की अंतिम तिथि भी 30 सितंबर ही है, जिससे प्रोफेशनल्स पर अतिरिक्त कार्यभार पड़ा है।

Income Tax Portal की तकनीकी समस्याएं जैसे – लॉगआउट, OTP में देरी, डेटा सेव नहीं होना, Upload Error इत्यादि अब तक बनी हुई हैं।

GST 2.0 लागू होने के कारण व्यापारी वर्ग और पेशेवर दोनों उसमें व्यस्त हैं – यह सरकार की सराहनीय पहल है, परन्तु अनुपालन में समय लगता है।

Tax Audit की प्रक्रिया अत्यंत विस्तृत और जटिल है, जिसमें 40+ रिपोर्टिंग पॉइंट्स, GST-TDS-PF-ESI-MSME जैसे कई नियमों का समन्वय आवश्यक होता है।

COVID-19 के बाद बने हालात, स्टाफ की कमी, और अकाउंटिंग के डिजिटल ट्रांजिशन के चलते छोटे व्यापारी अभी भी पूरी तरह सामान्य नहीं हो पाए हैं।

कर पेशेवरों पर कार्यभार अत्यधिक है – सप्ताहांत की छुट्टियाँ नहीं, 12-14 घंटे कार्य, जिससे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर असर हो रहा है।

नॉन-ऑडिट ITR की डेडलाइन पहले ही बढ़ा दी गई थी – ऐसे में टैक्स ऑडिट के लिए भी समान न्यायसंगत व्यवहार अपेक्षित है।

महोदया,

यह केवल एक तारीख बढ़ाने का मामला नहीं है, बल्कि यह “प्राकृतिक न्याय” और “गुणवत्तापूर्ण अनुपालन” सुनिश्चित करने का विषय है।

हम चार्टर्ड अकाउंटेंट्स, व्यवसायियों और करदाताओं की ओर से निवेदन करते हैं कि टैक्स ऑडिट की अंतिम तिथि में कम से कम एक महीने का विस्तार प्रदान किया जाए, ताकि पारंपरिक दो महीने का समय अंतराल फिर से स्थापित हो और सभी संबंधित पक्ष बिना त्रुटि एवं दबाव के अनुपालन कर सकें।

आपसे विनम्र निवेदन है कि इस विषय पर शीघ्र, सहानुभूतिपूर्वक विचार कर आवश्यक निर्णय लिया जाए।

सादर,
सी.ए. हर्ष मिश्रा
(एक जिम्मेदार कर पेशेवर की हैसियत से)

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