ऑपरेशन सिंदूर : संसद में गूंजी विजयघोष की वाणी, राष्ट्र की अस्मिता का सिंहनाद

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 प्रणय विक्रम सिंह

भारत की लोकतांत्रिक परंपरा में वह दृश्य दुर्लभ होता है, जब संसद की छतों पर मात्र तर्क नहीं, राष्ट्रगौरव की ध्वनि गूंजती है। आज लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर संबोधन उस नवभारत की हुंकार था, जो अब आहत होकर नहीं, आक्रोशित होकर खड़ा होता है। जो अब सहन नहीं, सटीक प्रतिकार करता है। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि ‘हम गोली का जवाब गोले से देंगे’, यह मात्र प्रतिक्रिया नहीं, प्रतिज्ञा थी। यह उस भारत की घोषणा थी जो अब आक्रांताओं को मिट्टी में मिलाने का विजयोत्सव मना रहा है।

प्रधानमंत्री ने संसद को बताया कि यह सत्र भारत के गौरवगान का सत्र है। यह शौर्य, संकल्प और संस्कृति के संघर्ष की वह परंपरा है, जिसकी विजयध्वनि अब सदी की सीमाओं को पार कर रही है। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर केवल सैन्य उत्तर नहीं, भारत की 140 करोड़ जनता की इच्छाशक्ति की जीत है और मैं उन्हीं की आवाज लेकर इस सदन में खड़ा हूं। प्रधानमंत्री के स्वर में वह चेतना थी जो कहती है कि ‘सिंदूर की सौगंध को पूरा करने का यह विजय उत्सव है।’

उन्होंने बताया कि पहलगाम में निर्दोष लोगों को नाम पूछकर मारा गया। यह हमला केवल व्यक्ति पर नहीं, भारत की आत्मा पर था। भारत में दंगे फैलाने की गहरी साजिश थी, लेकिन भारत की जनता ने उस साजिश को नाकाम कर दिया। प्रधानमंत्री ने कहा ‘आतंकियों को मिट्टी में मिलाने का वादा किया था और सेना को कार्रवाई की खुली छूट दी गई थी।’ परिणामस्वरूप पाकिस्तान के आतंक आकाओं की नींद उड़ गई। उन्हें समझ में आ गया कि अब भारत आएगा, और मार कर जाएगा। 22 अप्रैल के हमले का बदला 22 मिनट में लिया गया। पाकिस्तान के कोने-कोने में आतंकी अड्डे धुआं-धुआं हो गए। उनकी न्यूक्लियर धमकियों का डर समाप्त हो गया। आज उनका एयरबेस ICU में पड़ा है। भारत ने वर्षों की तैयारी का लाभ उठाया है। यह युग अब तकनीक आधारित युद्ध का है और भारत की तीनों सेनाओं ने पाक के छक्के छुड़ा दिए हैं।

उन्होंने सगर्व बताया कि भारत पर आतंकी हमला हुआ तो हमने जवाब दिया। पाकिस्तान के सीने पर सटीक प्रहार किया गया। और सबसे बड़ी बात यह रही कि दुनिया के किसी नेता ने भारत को यह कार्रवाई रोकने को नहीं कहा। केवल तीन देश पाकिस्तान के पक्ष में खड़े हुए, जबकि शेष दुनिया भारत के साथ आई, यह भारत की कूटनीतिक दृढ़ता और वैश्विक स्वीकार्यता का प्रमाण है।

प्रधानमंत्री ने ट्रंप के बयान को खारिज करते हुए साफ किया कि अमेरिकी राष्ट्रपति से कोई बात नहीं हुई। जेडी वेंस ने 3-4 बार कॉल किया, लेकिन भारत ने किसी भी विदेशी दबाव में नहीं झुकने का निर्णय लिया, यही है आत्मनिर्भर भारत की आत्मा। प्रधानमंत्री ने संसद में दोहराया कि ‘मैं फिर कहता हूं, ऑपरेशन सिंदूर जारी है।’

अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने कांग्रेस के छिछोरेपन और सेना विरोधी रवैये पर भी करारा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि जब सेना सीमा पर दुश्मन को ध्वस्त कर रही थी, तब कांग्रेस मेरे ऊपर निशाना साध रही थी। यह कांग्रेस का पुराना चरित्र है, जो पाकिस्तान को क्लीन चिट देती है, सेना से प्रमाण मांगती है, और विदेश मंत्री के बयान तक को स्वीकार नहीं करती। यह वही कांग्रेस है, जिसकी गलतियों की सजा आज भी देश भुगत रहा है। प्रधानमंत्री ने नेहरू द्वारा किए गए सिंधु जल समझौते को लेकर भी तीखा हमला बोला। बताया कि देश के जल संसाधनों पर भारत का हक रोका गया, और यह समझौता विकास की धारा को जकड़ने वाला बना।

प्रधानमंत्री मोदी ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत ने तीन ऐतिहासिक सिद्धांतों पर अब निर्णायक नीति अपना ली है। पहला, भारत पर कोई भी आतंकी हमला हो, तो भारत अपनी मर्जी से, अपने समय पर, अपनी शैली में उत्तर देगा। दूसरा, परमाणु ब्लैकमेल अब काम नहीं आएगा और तीसरा, आतंकवाद को पनाह देने वालों और आतंकियों के बीच कोई भेद नहीं किया जाएगा।

यह भाषण संसद के इतिहास में केवल एक वीरगाथा नहीं था, यह रणचंडी संसद की हुंकार थी। यह उस राष्ट्र की चेतना थी, जो कहती है कि हम क्षमा कर सकते हैं, लेकिन कायरता को कभी क्षमा नहीं करेंगे। यह वह भारत है, जो अब अपने सैनिकों पर विश्वास करता है, अपने निर्णयों पर दृढ़ होता है और अपनी सीमाओं की नहीं, अपनी संस्कृति की भी रक्षा करता है।

प्रधानमंत्री का यह संबोधन आने वाली पीढ़ियों को सिखाएगा कि संसद में सिर्फ विधेयक ही नहीं गूंजते, कभी-कभी विजयशंख भी बजते हैं। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जारी है और अब भारत की चेतना भी अनवरत जागृत है।

यह वह भारत है जो भूलेगा नहीं, रुकेगा नहीं, और झुकेगा नहीं। यही नया भारत है, जो ‘सिंदूर’ से ‘सिंधु’ तक अपनी अस्मिता की रक्षा करता है।

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