पप्पू और संविधान की रक्षा

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दिल्ली। एक कॉमिक्स लिखने की बात हो रही थी। मैने उन्हें पप्पू नाम का एक कैरेक्टर सुझाया है। जो दिल का अच्छा है। संविधान बचाने की बात करता है। उसके हाथ में हमेशा एक संविधान रहता है। देश प्रेम की बात करता है लेकिन वह अपने व्यवहार से हमेशा देश का नुकसान कर जाता है।

कॉमिक्स का एक हिस्सा आपके साथ शेयर कर रहा हूं। यह कैरेक्टर कैसा लगा जरूर बताइएगा?

इस कॉमिक्स को पूरा किया जाए या छोड़ दिया जाए?

कहानी कुछ इस तरह से शुरू होती है।

पप्पू को खबर मिलती है कि शहर में एक नया नियम लागू होने वाला है, जिसके तहत हर नागरिक को अपने आधार कार्ड से अपनी पहचान साबित करनी होगी। पप्पू इसे सुनते ही भड़क जाता है और चिल्लाता है, “यह संविधान के खिलाफ है! यह हमारी आजादी छीन रहा है!” बादल, जो पास में पान खा रहा होता है, अपनी छाती ठोककर कहता है, “पप्पू भाई, यह तो सरकार की साजिश है! हमें सड़कों पर उतरना होगा। संविधान की रक्षा के लिए हमें आधार कार्ड जलाने का आंदोलन शुरू करना चाहिए!” सुप्रिया तुरंत जोड़ती है, “हां, पप्पू! यह क्रांतिकारी होगा। हम एक विशाल रैली करेंगे, और मैं सोशल मीडिया पर #SanvidhanBachao ट्रेंड करवाऊंगी!”
पप्पू, जो इन दोनों की बातों को ‘संविधान का आदेश ‘ मानता है, तुरंत एक रैली की योजना बनाता है। वह अपने दोस्तों को इकट्ठा करता है, बैनर बनवाता है, और शहर के बीचों-बीच एक चौराहे पर आधार कार्ड जलाने का ऐलान करता है। वह जोश में आकर भाषण देता है, “संविधान कहता है, हमें अपनी आजादी बचानी है! आधार कार्ड जलाकर हम संविधान की रक्षा करेंगे!” भीड़ तालियां बजाती है, लेकिन कोई नहीं समझता कि आधार कार्ड जलाने से क्या होगा।

रैली के दिन, पप्पू एक बड़ा सा ढेर बनाता है, जिसमें लोग अपने आधार कार्ड फेंकने लगते हैं। बादल हवा में उछल-उछलकर “जय संविधान!” चिल्लाता है, और सुप्रिया लाइव वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाल रही होती है। लेकिन तभी एक बुजुर्ग दुकानदार चिल्लाता है, “अरे, आधार कार्ड जलाओगे तो बैंक खाते, राशन, और पेंशन का क्या होगा? यह तो संविधान का अपमान है!” पप्पू हैरान होकर कहता है, “लेकिन… लेकिन मैं तो संविधान बचा रहा था!” तभी पुलिस आती है, और पप्पू, बादल, और सुप्रिया को “सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने” के आरोप में थाने ले जाया जाता है।

थाने में, पप्पू अभी भी अपने संविधान की किताब को सीने से लगाए बैठा है और बड़बड़ा रहा है, “मैंने तो सिर्फ देशभक्ति की…” बादल और सुप्रिया उसे सांत्वना देते हैं, “पप्पू, तू चिंता मत कर! अगली बार हम और बड़ा आंदोलन करेंगे!” कहानी का अंत इस नोट पर होता है कि पप्पू फिर से किसी नई “संविधान बचाने” की योजना में जुट जाता है, बिना यह समझे कि उसका हर कदम संविधान के सिद्धांतों को और कमजोर कर रहा है।

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