पटना में इंजीनियर की काली कमाई की कहानी: रातभर जले नोट, फिर भी बचे 39 लाख

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पटना : बिहार की राजधानी पटना में एक ऐसी घटना सामने आई है, जो न केवल चौंकाने वाली है, बल्कि गहरी विडंबनाओं को भी उजागर करती है। आर्थिक अपराध इकाई (EOU) ने ग्रामीण कार्य विभाग के अधीक्षण अभियंता विनोद राय के घर पर छापेमारी की, जिसमें करोड़ों रुपये की काली कमाई का खुलासा हुआ। छापेमारी में नकदी, जले हुए नोट, आभूषण, और करोड़ों की संपत्ति के दस्तावेज बरामद हुए। खबरों के अनुसार, विनोद राय और उनकी पत्नी ने सबूत मिटाने के लिए रातभर नोट जलाए, जिससे उनके घर की नालियां जाम हो गईं। फिर भी, 39 लाख रुपये की नकदी और अन्य संपत्तियां जांच एजेंसी के हाथ लगीं। यह कहानी बिहार की उस त्रासदी को दर्शाती है, जहां एक ओर भयंकर गरीबी है, तो दूसरी ओर कुछ लोग काले धन के पहाड़ पर बैठे हैं। इस कहानी में एक अजीब ट्विस्ट यह है कि ‘विनोद राय’ नाम जो कभी पूरे भारत में भ्रष्टाचारियों के लिए भय का पर्याय बन गया था, वही नाम आज पटना में सबसे बड़े भ्रष्टाचारी के रूप में सामने आया है। जिनसे भ्रष्टाचारी डरते थे, वे सीएजी थे। पटना में जो गिरफ्तार हुआ है, वह भ्रष्टाचारी है।

विनोद राय: दो चेहरों का ट्विस्ट
“विनोद राय” नाम सुनते ही भारत में लोगों के दिमाग में एक ईमानदार और निष्पक्ष छवि उभरती है। पूर्व नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) विनोद राय ने अपने कार्यकाल में 2G और कोयला घोटाले जैसे बड़े भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर कर भ्रष्टाचारियों के लिए खौफ का प्रतीक बनाया था। उनकी रिपोर्ट्स ने सरकार को हिलाकर रख दिया और भ्रष्टाचार के खिलाफ एक नई लड़ाई छेड़ी। लेकिन पटना के इस विनोद राय ने इस नाम की साख को तार-तार कर दिया। यह विनोद राय, जो ग्रामीण कार्य विभाग का इंजीनियर है, बिहार का नंबर वन भ्रष्टाचारी निकला। यह ट्विस्ट न केवल हैरान करने वाला है, बल्कि यह भी दिखाता है कि एक ही नाम दो विपरीत छवियों को कैसे जन्म दे सकता है—एक भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाला, तो दूसरा भ्रष्टाचार का प्रतीक।

छापेमारी की कहानी: काले धन का साम्राज्य
पटना के भूतनाथ रोड पर स्थित विनोद राय के चार मंजिला आलीशान घर पर EOU की टीम ने गुरुवार रात छापा मारा। सूत्रों के मुताबिक, विनोद राय को छापेमारी की भनक पहले ही लग चुकी थी। जब EOU की टीम उनके घर पहुंची, तो घर बंद मिला। रात 11 बजे से सुबह 5 बजे तक टीम बाहर इंतजार करती रही। इस दौरान विनोद राय और उनकी पत्नी बबली राय छत पर जाकर 2 से 3 करोड़ रुपये की नकदी को कथित तौर पर आग के हवाले करते रहे। जले हुए नोटों की राख ने घर की नालियों को जाम कर दिया, जिसके लिए नगर निगम की टीम को बुलाना पड़ा। फोरेंसिक साइंस लैब (FSL) की टीम ने जले हुए नोटों की जांच की ताकि नष्ट की गई राशि का अनुमान लगाया जा सके।

छापेमारी में EOU ने 39 से 55 लाख रुपये की नकदी, 20 लाख रुपये के जले हुए नोट, 10 से 26 लाख रुपये के सोने-चांदी के आभूषण, और करोड़ों रुपये की संपत्ति के दस्तावेज बरामद किए। इसके अलावा, विनोद राय के पास 12 से अधिक बैंक खाते, राडो और रोलेक्स जैसी महंगी घड़ियां, और लगभग 100 करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्ति होने का अनुमान है। यह संपत्ति एक सरकारी इंजीनियर की वैध आय से कहीं अधिक है, जो भ्रष्टाचार के जरिए काले धन का साम्राज्य खड़ा करने का सबूत है।

बिहार की आर्थिक विडंबना
यह घटना बिहार की उस कटु सच्चाई को उजागर करती है, जहां एक तरफ गरीबी और बेरोजगारी का आलम है, तो दूसरी ओर कुछ लोग काले धन के दम पर ऐशो-आराम की जिंदगी जी रहे हैं। बिहार में रियल एस्टेट की कीमतें आसमान छू रही हैं, और इसका बड़ा कारण काले धन का प्रवाह है। विनोद राय जैसे लोग इस काले धन को रियल एस्टेट और अन्य व्यवसायों में निवेश करते हैं, जिससे आम लोगों के लिए घर खरीदना लगभग असंभव हो गया है। इस ट्विस्ट में विडंबना यह है कि जिस नाम ने कभी भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ी, वही अब उसी भ्रष्टाचार का प्रतीक बन गया।

रेस्टोरेंट और होटल का काला खेल
पटना में रेस्टोरेंट और होटल व्यवसाय भी काले धन के खेल का हिस्सा बन चुके हैं। कई रेस्टोरेंट की कीमतें मेट्रो सिटी से भी अधिक हैं, लेकिन गुणवत्ता बेहद खराब है। इसका कारण यह है कि ये व्यवसाय अक्सर काले धन को सफेद करने के लिए खोले जाते हैं। इनके मालिकों का उद्देश्य ग्राहक संतुष्टि या प्रोफेशनलिज्म नहीं, बल्कि पैसे को वैध बनाना होता है। ऐसे व्यवसाय ग्राहकों को ठगने का जरिया बन जाते हैं, जहां न स्वाद होता है, न सेवा। फिर भी, काले धन के दम पर ये धंधे फलते-फूलते हैं।

भ्रष्टाचार का गहरा जाल
विनोद राय का मामला बिहार में भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों को उजागर करता है। उन्होंने सीतामढ़ी और मधुबनी में अपने कार्यकाल के दौरान टेंडर पास करने और बिलों को मंजूरी देने के लिए करोड़ों रुपये की रिश्वत ली। गुरुवार को वह मधुबनी से 4 करोड़ रुपये लेकर अपनी इनोवा कार से पटना आए थे, जिसका एक हिस्सा किसी “व्हाइट-कॉलर” व्यक्ति को देना था। EOU को इसकी सूचना मिली, जिसके बाद छापेमारी हुई। विनोद राय के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति, सबूत नष्ट करने, और सरकारी काम में बाधा डालने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है। इस मामले को प्रवर्तन निदेशालय (ED) को भी भेजा जा सकता है।

बिहार का दुर्भाग्य
विनोद राय की कहानी बिहार के उस दुर्भाग्य को दर्शाती है, जहां लोग दो वक्त की रोटी के लिए तरस रहे हैं, और कोई रातभर नोट जला रहा है। यह विडंबना तब और गहरी हो जाती है, जब हम इस विनोद राय को उस विनोद राय से जोड़ते हैं, जिन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। यह ट्विस्ट बिहार की सामाजिक और आर्थिक असमानता को उजागर करता है, जहां एक ओर गरीबी है, तो दूसरी ओर भ्रष्टाचार का बोलबाला। यह कहानी न केवल एक इंजीनियर की भ्रष्टाचार की कहानी है, बल्कि उस बिहार की सच्चाई है, जहां अमीरी और गरीबी की खाई दिन-ब-दिन बढ़ रही है।

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