पीटर नवारो का ‘टैरिफ तमाशा’ और X का सच का तीर

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दिल्ली। अरे वाह, पीटर नवारो, ट्रंप के ‘वफादार योद्धा’, फिर से भारत पर बरस पड़े! इस बार उनका ‘ज्ञान’ था कि भारत की ऊंची टैरिफ नीति अमेरिकी नौकरियों को खा रही है और रूस से तेल खरीदकर भारत ‘युद्ध मशीन’ को फंड कर रहा है। लेकिन जनाब, फैक्ट-चेकिंग ने उनके इस ‘महान दावे’ को ऐसा नंगा किया कि बेचारे नवारो का तमाशा बन गया!

नवारो का कहना है कि भारत रूस से तेल खरीदकर ‘मुनाफाखोरी’ कर रहा है, जिससे यूक्रेन में खून-खराबा हो रहा है। लेकिन फैक्ट चेकिंग के नोट ने तो साफ बता दिया कि भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा के लिए तेल खरीदता है, वो भी बिना किसी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध को तोड़े। और हां, नवारो जी, आपके अपने अमेरिका ने भी रूस से सामान आयात किया है, तो ये ‘पाखंड’ का तमगा पहले अपने गिरेबान में झांककर देख लीजिए!

नवारो का ‘ब्राह्मण मुनाफा’ वाला तंज तो और भी हास्यास्पद है। लगता है, हार्वर्ड की PhD में इतिहास और भूगोल छूट गया! भारत का तेल आयात 1% से 35% तक बढ़ा, लेकिन ये ऊर्जा जरूरतों और बाजार की सच्चाई का नतीजा है, न कि कोई ‘क्रेमलिन का लॉन्ड्रोमैट’। और टैरिफ? भारत हर साल 41.8 बिलियन डॉलर का अमेरिकी सामान खरीदता है, जिससे लाखों अमेरिकी नौकरियां चलती हैं।

नवारो जी, फैक्ट चेकिंग ने आपके झूठ को बेनकाब कर दिया। अब थोड़ा ‘सच’ का सामना कर लीजिए, या फिर ‘टैरिफ का महाराजा’ बनकर ट्रंप के तंबू में ही तालियां बटोरते रहिए।

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