पूजा पाल ने पत्र में दावा किया कि उनका सपा से निष्कासन पिछड़े वर्ग, दलितों और आर्थिक रूप से कमजोर तबकों की आवाज को दबाने की साजिश है। उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी में जातिगत भेदभाव चरम पर है, जहां मुस्लिम अपराधियों को संरक्षण दिया जाता है, जबकि दलित, ओबीसी और ईबीसी को हाशिए पर रखा जाता है। पाल ने अपने पति राजू पाल की 2005 में हुई हत्या का जिक्र करते हुए कहा कि मुलायम सिंह यादव के कार्यकाल में यह घटना हुई थी, जो उनके परिवार के लिए खतरे की निशानी है। उन्होंने कहा कि अब उन्हें भी जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं।
हालांकि, पूजा पाल को 14 अगस्त को सपा से इसलिए निष्कासित किया गया था, क्योंकि उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कानून-व्यवस्था की तारीफ की थी और 2024 के राज्यसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवारों के पक्ष में वोट देने का आरोप लगा। उन्होंने अपने निष्कासन को अन्यायपूर्ण करार दिया। यह पत्र न केवल सपा के लिए चुनौती बन सकता है, बल्कि राजनीतिक गलियारों में हत्या की साजिश जैसे गंभीर आरोपों से विवाद को और भड़का सकता है। अब सभी की निगाहें सपा और बीजेपी की प्रतिक्रिया पर टिकी हैं।