दिल्ली। वरिष्ठ पत्रकार अशोक श्रीवास्तव को गंभीर धमकियां मिलने की खबर सामने आई है, जो हाल ही में उनके पत्रकार साथी प्रखर श्रीवास्तव को दी गई धमकियों के बाद चिंता का विषय बन गई है। अशोक श्रीवास्तव ने अपने ट्विटर हैंडल @AshokShrivasta6 के माध्यम से बताया कि उन्हें और प्रखर को कर्नाटक पुलिस द्वारा कुछ दिन पहले उठाने की कोशिश की गई थी। अब उन्हें “सर तन से जुदा” की धमकियां मिल रही हैं, जिसमें पिछले हफ्ते प्रखर की सुरक्षा के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय से अनुरोध के बावजूद कार्रवाई नहीं हुई। अशोक और प्रखर के समर्थक इसे राष्ट्रविरोधी तत्वों की साजिश मान रहे हैं।
इस घटना ने पत्रकारिता की स्वतंत्रता और सुरक्षा पर सवाल उठाए हैं। सोशल मीडिया पर @Uppolice और @ghaziabadpolice को टैग कर कार्रवाई की मांग की जा रही है, जबकि समर्थक केंद्रीय गृह मंत्रालय से सुरक्षा की अपील कर रहे हैं। यह मामला भारत में पत्रकारों पर बढ़ते हमलों की बढ़ती प्रवृत्ति को दर्शाता है, जहां हाल के वर्षों में सेंसरशिप, कानूनी कार्रवाई और शारीरिक खतरे आम हो गए हैं।
अशोक और प्रखर जैसे राष्ट्रवादी पत्रकारों के लिए तत्काल सुरक्षा सुनिश्चित करना आवश्यक है, अन्यथा यह घटना पत्रकारिता जगत के लिए गंभीर खतरा बन सकती है।
उल्लेखनीय है कि प्रेस क्लब आफ इंडिया और एडिटर्स गिल्ड इस पूरे मामले पर चुप्पी साधे हुए है क्योंकि ये पत्रकारों के हितों के लिए काम करने के बजाय, ऐसा प्रतीत होता है कि ये संस्थाएं किसी ‘विशेष’ समूह के लिए काम कर रहीं हैं। जब उस समूह से जुड़े किसी पत्रकार के साथ कोई अनहोनी होती है, तब प्रेस क्लब और एडिटर्स गिल्ड अचानक सक्रिय हो जाते हैं। पत्रकारों की संस्थाओं को कम से कम पत्रकारों के अधिकारों के लिए आवाज उठाते समय निष्पक्षता का परिचय देना चाहिए।
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