-सर्वेश कुमार सिंह
दिल्ली । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना को 100 साल पूरे हो गए हैं। इस संगठन की क्षमता और आन्तरिक ऊर्जा को विश्व ने पहचान लिया है। दुनिया का कोई देश और कोई भी विश्लेषक ऐसा नहीं है जिसने संघ को पहचाना न हो। वे संघ की अद्भुत कार्यप्रणाली का अध्ययन कर रहे हैं। लेकिन, कांग्रेस आज तक संघ को नहीं समझ सकी और न ही उसकी शक्ति को पहचान सकी है। वह आज भी उसी भ्रम में है, जिसमें 50 साल पहले थी। जब बार-बार संघ पर प्रतिबंध लगाये जाते थे। लेकिन इन प्रतिबंधों से क्या कांग्रेस और उसकी निरंकुश सरकारें संघ के कार्य विस्तार को रोक पायीं। संघ ने तीन प्रतिबंधों का सामना किया। लेकिन उसके काम पर कोई असर नहीं पडा। संघ जिस गति से चल रहा था, उसी से चलता हुआ और वटवृक्ष का रूप ले चुका है। लेकिन, कांग्रेस को लगता है कि वह अब भी उसे किसी प्रतिबंध या रोक टोक से प्रभावित कर देगी या उसका रास्ता रोक लेगी। यह कांग्रेस की बडी भूल है।
एक बार फिर यही कार्य कांग्रेस की कर्नाटक सरकार ने किया है। कर्नाटक की कांग्रेस सरकार अपनी ही पूर्ववर्ती केन्द्र सरकारों की गलतियों से कोई सबक नहीं ले रही है। बल्कि उन कामों को दोहरा रही है, जो कांग्रेस की पूर्ववर्ती नेहरू और इन्दिरा सरकारों ने किये थे।
कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सार्वजनिक स्थलों पर कार्यक्रमों को आयोजित करने पर रोक लगायी है। सरकार ने केबिनेट में प्रस्ताव पारित करके राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विविध कार्यक्रम, शाखाएं और पथ संचलन आदि को सार्वजनिक स्थल पर आयोजित करने की अनुमति नहीं देने का निर्णय लिया है। साथ ही संघ के कार्यक्रमों में भाग लेने वाले अधिकारियों को भी रोकने के लिए नियम बनाने का फैसला किया है। ये फैसले 16 अक्टूबर को केबिनेट की बैठक में लिये गए।
दरअसल संघ के कार्यक्रमों पर रोक और अधिकारियों, कर्मचारियों को संघ की शाखाओं में जाने से रोकने के लिए प्रदेश सरकार के सूचना और जैव प्रौद्योगिकी मंत्री प्रियांक खरगे ने पहल की। उन्होंने एक दिन पहले ही बयान दिया कि संघ के कार्यक्रमों को सार्वजनिक स्थलों पर रोकने के लिए कानून बनाया जाएगा। इसी तरह संघ की शाखाएं भी सार्वजनिक स्थलों, सरकारी विद्यालयों, सहायता प्राप्त विद्यालयों में नहीं लगने दी जाएंगी। उन्होंने इस आशय का एक पत्र मुख्यमंत्री सिद्दरमैया को लिखा। ज्ञातव्य है कि प्रियांक खऱगे कांग्रेस के अखिल भारतीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के पुत्र हैं। इसलिए उनका कांग्रेस और प्रदेश सरकार में प्रभाव है। इसी प्रभाव के चलते मुख्यमंत्री सिद्दरमैया ने अगले ही दिन केबिनेट बैठक में एक प्रस्ताव पारित करा दिया कि संघ की शाखाओं, कार्यक्रमों, पथसंचलन आदि को सार्वजनिक स्थलों पर आयोजित नहीं किया जा सकता है। इस फैसले की देश भर में कड़ी प्रतिक्रिया हुई है।
संघ पर इस तरह के प्रतिबंध लगाकर कांग्रेस नेतृत्व की कर्नाटक सरकार यह दिखाना चाहती है कि वह सबसे बड़ी संघ विरोधी सरकार है। शायद इससे मुख्यमंत्री सिद्दरमैया को कुछ राजनीतिक लाभ मिल जाए। क्योंकि उनके सामने डीके शिवकुमार की मुख्यमंत्री पद की दावेदारी हमेशा से बनी हुई है। सिद्धरमैया को हर समय कांग्रेस नेतृत्व को यह बताना पड़ता है कि वे ही कांग्रेस की नीतियों को सही और प्रभावी ढंग से लागू कर सकते हैं। हालांकि, अब विवाद और अधिक बढ़ गया है क्योंकि प्रिंयाक खरगे ने दीपावली के दिन यह बयान भी दे दिया है कि वे संघ पर राज्य में प्रतिबंध भी लगा सकते हैं। हालांकि यह फैसला लेने के लिए कर्नाटक सरकार को अपने आला कमना से अनुमति लेनी होगी।
किन्तु संघ पर इन सब प्रतिबंधों का कोई असर नहीं होने वाला है। संघ तीन प्रतिबंधों का सामना कर चुका है। हर बार इसके स्वयंसेवकों ने साहस और कुशलता से इन प्रतिबंधों का सामना किया और संघ को निरंतर प्रगति के पथ पर आगे बढ़ने में योगदान किया। जब-जब संघ पर प्रतिबंध लगे तब तब संघ के कार्य में विस्तार ही हुआ है। इस बार भी कर्नाटक में ऐसा ही होगा। कांग्रेस वहां अपनी राजनीतिक ताकत को बढाना चाहती है लेकिन, प्रतिबंधों की राजनीति से उसे उलटा नुकसान ही होगा। इसके जिम्मेदार भी मुख्यमंत्री सिद्दरमैया और मंत्री प्रियांक खरगे होंगे।



