कल “ बिहार फ़ाउंडेशन नीदरलैंड (BFNL) जिसके अध्यक्ष दया शंकर कुमार उपाध्यक्ष दर्शन राज आशुतोष, द्वारा नीदरलैंड के भारतीय दूतावास Indian Ambassy Nederland के सांस्कृतिक केन्द्र Gandhi Center DenHaag में “ बिहार दिवस “ का आयोजन किया गया। इस अवसर पर भारतीय राजदूत आदरणीय डॉ. कुमार तुहिन जी उनकी धर्म पत्नी श्रीमति तुहिन, फ़र्स्ट सेक्ट्री व भारतीय सांस्कृतिक केन्द्र के निदेशक आदरणीय Kris Gupta ji ,भारतीय दूतावास के अताशय आदरणीय राजेश कुमार सिन्हा , Stichting Maitry ( मैत्री) Vriendschap voor iedereen ‘ के संस्थापक डव सूरीनाम गिरमिटिया की चौथी पीढ़ी डॉ. दिनेश ननंन पाँडे व अंतरराष्ट्रीय हिन्दी संगठन नीदरलैंड की अध्यक्ष डॉ ऋतु शर्मा ननंन पाँडे उपस्थित रहीं।
कार्यक्रम का आरंभ “ बिहार फ़ाउंडेशन “ के अध्यक्ष दया शंकर कुमार व उपाध्यक्ष दर्शनराज व जयंत शांडिल्य के साथ भारत के माननीय राजदूत डॉ कुमार तुहिन जी व उनकी धर्मपत्नी जी द्वारा दीप प्रज्वलित करके किया गया। श्रीमती रुचि सौम्या द्वारा भगवान श्री गणेश स्तुति की गई और इसके बाद माननीय राजदूत डॉ कुमार तुहिन जी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में सांस्कृतिक केन्द्र के सभागार में उपस्थित अतिथियों को बिहार की संस्कृति से परिचित कराया साथ ही आज के समय में बिहार एक तेज़ी से आधुनिक व प्रगतिशील राज्य के रूप में भारत व विदेशों में अपनी पहचान बनाने में सफल रहा है।इसके साथ ही उन्होंने आर्थिक विकास,कृषि, महिला सशक्तिकरण,डिजिटल प्रशासन और जलवायु परिवर्तन जैसे बिन्दुओं पर भी प्रकाश डाला। बिहार को पर्यटन से जड़ने और बिहार में विदेशी व आधुनिक नई-नई तकनीकों का आदान-प्रदान किस प्रकार किया जाएँ, व युवाओं की प्रतिभाओं को किस प्रकार बिहार को और ज़्यादा सशक्त बनाने में किस प्रकार उपयोग किया जाए इस पर भी ध्यान आकर्षित किया गया। उन्होंने बताया की भारत के बिहार केवल बौद्ध सर्किट या संस्कृति तक ही सीमित नहीं है वहाँ राम सर्किट, सीता जन्मभूमि,नालंदा विश्वविद्यालय मधुबनी चित्रकला , टिकुलि, आदि चित्रकला यहाँ की शान है।
इस अवसर पर सूरीनाम से ऑनलाइन भारतीय दूतावास के राजदूत आदरणीय डॉ सुभाष प्रसाद गुप्ता जी ने भी इस अवसर पर बिहार दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ प्रेषित की और अपने वक्तव्य में बताया की पहला डाइसपोरा तो 151 साल पहले भारत से सूरीनाम आए भारतीयों द्वारा आरंभ हुआ । सूरीनाम के भारतीयों ने ही सही अर्थों में बिहार की संस्कृति को पाँच पीढ़ी से संजोए कर रखा है। मैं सूरीनाम में आ कर बिहार को भारत को बहुत ज़्यादा याद नहीं करता क्योंकि यहाँ सूरीनाम में एक छोटा बिहार बसता है।
इस अवसर पर बिहार की कोकीला मैथिली ठाकुर भी ऑनलाइन कार्यक्रम से जुड़ी उन्होंने सभी को बिहार दिवस की शुभकामनाएँ अपने एक गीत के साथ प्रेषित करी । इस बीच आभासी पटल पर बिहार की सासंकतिक , साहित्यिक व शैक्षणिक संस्थानों के विषय में जानकारी प्रदान की। कार्यक्रम में भारतीय सूरीनामी कवि, गायक सतेफन रविनदर पिकार ने अपनी सरनामी हिन्दी में एक गीत “तीन देश तीन संस्कृति “ प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया ।इसके बाद डॉ ऋतु शर्मा ननंन पाँडे ने बिहार की संस्कृति पर आधारित कविता “पूरा विश्व हमारा आभारी है” ने सभागार में बैठे दर्शकों से भूरी भूरी प्रशंसा बटोरी ।
रंगारंग कार्यक्रम के अंतर्गत श्वेता वर्मा जी, रुचि सौम्या जी व सुनीता रॉय जी ने बिहार के प्रसिद्ध लोकगीत झिझरी को सुना कर पूरे सभागार को झूमने पर विवश कर दिया। इस समारोह में भारतीय राजदूत माननीय डॉ. कुमार तुहिन जी व भारतीय सांस्कृतिक केन्द्र के निदेशक व बिहार फ़ाउंडेशन नीदरलैंड के सदस्यों के साथ “अंतरराष्ट्रीय हिन्दी संगठन नीदरलैंड “अध्यक्ष डॉ ऋतु शर्मा व Stichting Maitry मैत्री Vriendschap voor iedereen “ के संस्थापक व सूरीनाम भारतीयों की चौथी पीढ़ी डॉ दिनेश ननंन पाँडे “ रविन्द्रनाथ टैगोर विश्व विद्यालय द्वारा विश्व हिन्दी ओलंपियार्ड का विमोचन किया गया साथ ही डॉ ऋतु शर्मा ननंन पाँडे की नीदरलैंड की संस्कृति पर आधारित लेखन में तीसरी पुस्तक “ नीदरलैंड की चर्चित कहानियाँ “ व काव्य संग्रह “संदुकची “ का लोकार्पण हुआ। भारतीय दूतावास के सांस्कृतिक केन्द्र में इन पुस्तकों सहित डॉ ऋतु शर्मा ननंन पाँडे की पाँच पुस्तकें रजिस्टर्ड कर दी गई हैं। सांस्कृतिक केन्द्र में मधुबनी चित्रकला की प्रदर्शनी भी लगाई गई ।इस अवसर पर बच्चों के लिए एक ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता भी रखी गई।जिसके विजेताओं व कार्यक्रम के सभी प्रतिभागियों को कार्यक्रम के अंत में राजदूत महोदय द्वारा प्रमाण पत्र दे कर सम्मानित किया गया। इसके बाद बिहार राज्य का राजकीय गीत गाया गया।
कार्यक्रम का आभार ज्ञापनज्ञापन करते हुए कहा कि आज बिहार दिवस मनाने के पीछे एक बड़ा उद्देश्य नीदरलैंड में पीहर संस्कृति का प्रचार प्रसार करना है । हमें बिहार को भी यूरोप व अन्य विकसित देशों की सूची में लाने के लिए हमें ही प्रयास करने होंगे ।हम सभी को समाज में परिवर्तन लाना है। जिसकी पहल हमें स्वयं से करनी होगी।बिहार के उत्पादन को विदेश में भी व्यवसायिक रूप में उतारना होगा। जितना ज़्यादा हो सके वर्तमान और आने वाली पीढ़ी तक अपनी संस्कृति और भाषा पहुँचाना हमारा ही कर्तव्य है। बिहार के निवासी जो नीदरलैंड में रह कर यहाँ के उत्पादन व आर्थिक विकास में सहयोग कर रहें हैं यह हमारे लिए बहुत सम्मान की बात है । इसके बाद बिहार के लोकप्रिय व्यंजनों के आनन्द के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ ।