दिल्ली : आज के दौर में पत्रकारिता एक जटिल और चुनौतीपूर्ण क्षेत्र बन चुकी है। सूचना के असीमित प्रवाह और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के विस्तार ने जहां एक ओर पत्रकारिता को व्यापक पहुंच दी है, वहीं दूसरी ओर पूर्वाग्रह और पक्षपात ने इसके मूल स्वरूप को धूमिल किया है। हर समाचार माध्यम, चाहे वह पारंपरिक हो या डिजिटल, अपने स्वर और पक्ष को लेकर चर्चा में रहता है। ऐसे में सवाल उठता है कि पूर्वाग्रह से ग्रस्त इस माहौल में पत्रकारिता कैसे बचेगी और अपनी विश्वसनीयता कैसे कायम रखेगी?
पत्रकारिता का मूल उद्देश्य है तथ्यों को निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से जनता तक पहुंचाना। लेकिन वर्तमान में कई समाचार संगठन व्यावसायिक हितों, राजनीतिक दबावों और वैचारिक झुकाव के चलते इस उद्देश्य से भटक गए हैं। कुछ चैनल और अखबार खुले तौर पर किसी राजनीतिक दल या विचारधारा का समर्थन करते हैं, जिससे उनकी खबरें तथ्यों से अधिक राय बन जाती हैं। सोशल मीडिया ने इस समस्या को और बढ़ाया है, जहां सनसनीखेज हेडलाइंस और आधे-अधूरे तथ्य वायरल हो जाते हैं। ऐसे में पाठक और दर्शक भ्रमित होकर सत्य को समझने में असमर्थ हो जाते हैं।
पत्रकारिता को बचाने के लिए सबसे पहले इसकी नींव को मजबूत करना होगा। पत्रकारों को अपनी नैतिकता और निष्पक्षता पर अडिग रहना होगा। इसका मतलब है कि खबरों को प्रस्तुत करते समय व्यक्तिगत या संगठनात्मक पूर्वाग्रह को दरकिनार करना। तथ्यों की जांच (फैक्ट-चेकिंग) और स्रोतों की विश्वसनीयता सुनिश्चित करना पत्रकारिता का आधार होना चाहिए। इसके लिए स्वतंत्र फैक्ट-चेकिंग संस्थानों और ओपन-सोर्स डेटा का उपयोग बढ़ाना होगा। साथ ही, पत्रकारों को प्रशिक्षण देना जरूरी है ताकि वे जटिल मुद्दों को संतुलित और गहराई से समझ सकें।
दूसरा, पत्रकारिता को जनता के साथ फिर से जुड़ना होगा। आज जनता का एक बड़ा हिस्सा समाचार माध्यमों पर भरोसा नहीं करता। इसे पुनर्जनन के लिए पारदर्शिता जरूरी है। समाचार संगठनों को यह स्पष्ट करना चाहिए कि उनकी खबरें कैसे तैयार होती हैं, स्रोत कौन हैं, और क्या प्रक्रिया अपनाई जाती है। साथ ही, जनता की भागीदारी बढ़ाने के लिए इंटरैक्टिव प्लेटफॉर्म बनाए जा सकते हैं, जहां लोग अपनी राय और सुझाव दे सकें। यह न केवल विश्वसनीयता बढ़ाएगा, बल्कि पत्रकारिता को अधिक समावेशी भी बनाएगा।
तीसरा, तकनीक का सही उपयोग पत्रकारिता को नया जीवन दे सकता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करके समाचार संगठन पूर्वाग्रह को कम कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, एआई आधारित टूल्स खबरों में पक्षपातपूर्ण भाषा का पता लगा सकते हैं। साथ ही, ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग करके समाचारों की प्रामाणिकता को सुनिश्चित किया जा सकता है। हालांकि, तकनीक का उपयोग सावधानी से करना होगा ताकि यह पत्रकारिता की स्वतंत्रता को प्रभावित न करे।
अंत में, पत्रकारिता को बचाने के लिए समाज की भी जिम्मेदारी है। पाठकों और दर्शकों को चाहिए कि वे समाचारों को आलोचनात्मक दृष्टिकोण से देखें। अलग-अलग स्रोतों से जानकारी लेना, तथ्यों की जांच करना और सनसनीखेज खबरों से बचना जरूरी है। पत्रकारिता तभी जीवित रहेगी जब जनता इसे जवाबदेह बनाए रखे।
पूर्वाग्रह वाली पत्रकारिता के बीच पत्रकारिता का भविष्य चुनौतीपूर्ण है, लेकिन असंभव नहीं। निष्पक्षता, पारदर्शिता, तकनीक का सही उपयोग और जनता की जागरूकता मिलकर इसे बचा सकती है। पत्रकारिता समाज का दर्पण है, और इसे साफ रखना हम सभी की जिम्मेदारी है।