राधिका खेड़ा का अपमान और कांग्रेस की राम विरोधी राजनीति

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आचार्य विष्णु हरि

राधिका खेडा कांग्रेस की कोई साधारण कार्यकर्ता नहीं थी, वह तो कांग्रेस की शीर्ष नेता रही है, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की रणनीतिक टीम में शामिल थी, साथ ही साथ कांग्रेस की राष्टीय प्रवक्ता थी, सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि उसने अपने जीवन का कोई एक-दो साल नहीं बल्कि पूरे 22 साल कांग्रेस को दिया था

सनातन विरोध की परिधि में कांग्रेस के अंदर अपमानित होने वाली राधिका खेडा अकेली नहीं है, शाब्दिक छेड़खानी की शिकार होकर कांग्रेस से इस्तीफा देने वाली भी राधिका अकेली नहीं है। याद कीजिये प्रियंका दूबे को। राधिका की तरह प्रियंका दूबे भी कांग्रेस की राष्टीय प्रवक्ता थी। उत्तर प्रदेश के मथुरा में कांग्रेसियों ने प्रियंका दूबे के साथ शारीरिक छेड़खानी हुई थी, शिकायत के बावजूद भी छेडखानी करने वाले कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को सजा नहीं मिली। प्रियंका दूबे ने कांग्रेस छोडी थी। अभी प्रियंका दूबे शिवसेना की नेता हैं। आचार्य प्रमोद कृष्णन ने सनातन विरोधी राजनीति की बढती करतूत के विरोध में बयानबाजी कर कांग्रेस छोडी थी। इसी कडी में तत्कालीन कांग्रेस प्रवक्ता रोहन गुप्ता और अन्यों का नाम भी शामिल है।

राधिका खेडा कांग्रेस की कोई साधारण कार्यकर्ता नहीं थी, वह तो कांग्रेस की शीर्ष नेता रही है, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की रणनीतिक टीम में शामिल थी, साथ ही साथ कांग्रेस की राष्टीय प्रवक्ता थी, सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि उसने अपने जीवन का कोई एक-दो साल नहीं बल्कि पूरे 22 साल कांग्रेस को दिया था, यानी की अपने जीवन की एक चैथाई हिस्सा कांग्रेस के लिए बलिदान कर दिया था। इतने बडे, समर्पित और अनुभवी नेता के साथ धर्म पर आधारित अपमान और पीडा के साथ ही साथ लगातार फब्तियां और शाब्दिक छेड़खानियों का शिकार बना कर रखना बहुत ही पीडा दायक, निंदनीय और अमानवीय है। कई प्रश्न खडे हो जाते हैं। सबसे बडा प्रश्न धार्मिक आजादी का है। किसी महिला या अन्य लैंगिक व्यक्ति की धार्मिक आजादी कोई पार्टी तय नहीं कर सकती है, धार्मिक आजादी को कोई पार्टी अपनी नीति और कार्यक्रम की परिधि में कैद नहीं कर सकती है। फिर राधिका खेडा की धार्मिक आजादी को कैद करने का अधिकार कांग्रेस के नेताओं को कैसे हो सकता है? राधिका खेडा ही क्यों बल्कि हर संवेदनशील व्यक्ति अपनी इच्छा के अनुसार किसी धर्म को मान सकता है, उस धर्म के प्रतीकों के प्रति प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष सम्मान दर्शा सकता है। यही काम राधिका खेडा ने किया था। पर कांग्र्रेस के भगवान राम विरोधी और सनातन विरोधी नेताओं को यह स्वीकार नहीं हुआ और वे राधिका खेडा का मजाक उड़ाते रहे और पार्टी कार्यालयों से गेट आउट कह कर भगाया जाने लगा। यह प्रक्रिया लगातार जारी रही। आखिर धीरज का बांध तो टूटना ही था। जब राधिका खेडा के धीरज का बांध टूटा तब कांग्रेस न केवल बेपर्द हो गयी बल्कि यह भी प्रमाणित हो गया कि कांग्रेस अभी भी नहीं चैती है और उसकी घृणा वैसी ही जारी है जैसी कि यूपीए वन और यूपीए टू के दौर में हुआ करती थी। पर ऐसी घटनाओं को लेकर कांग्रेस पार्टी के अंदर न्याय की उम्मीद थी। सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे की चुप्पी तक नहीं टूटी है। लडकी हूं, लड सकती हूं, कहने वाली प्रियंका गांधी की भी खामोशी बहुत कुछ कहती है।

अब हम यहां विचार करते हैं कि राधिका खेडा का अपराध क्या था? उसका अपराध सिर्फ इतना भर ही था कि उसनें भगवान राम के प्रति आस्था दिखायी थी, सम्मान दिखाया था और दर्शन की थी। राधिका भगवान राम के दर्शन के लिए अयोध्या गयी थी। भगवान राम के दर्शन के बाद राधिका ने गर्व की अनुभूति की थी और कहा था कि दर्शन मात्र से उनकी जिंदगी धन्य हो गयी है, मानवीय संवेदनाएं उनके अंदर समृद्ध हुई हैं, क्योंकि भगवान राम मानवीय संवेदना के प्रतीक है, अनुकरणीय है। भगवान राम के प्रति राधिका की यह अनुभूति सोशल मीडिया पर खूब चर्चित हुई थी और सनातन विरोधियों ने इसकी खूब आलोचना की थी। खासकर जिहादियों ने सोशल मीडिया पर राधिका के प्रति खूब शाब्दिक अपमान किये थे और उन्हें दंगाई की पदवि भी दिया गया था। इतना ही नहीं बल्कि राधिका को मुस्लिम विरोधी भी साबित करने की कोशिश की गयी थी। लेकिन राधिका ने स्वयं को सिर्फ भगवान राम के दर्शन की परिधि में ही रखा था। राधिका का एक भी ऐसा बयान नहीं है, राधिका का एक भी ऐसा काम नहीं है, राधिका की एक भी ऐसी सक्रियता नहीं है जिससे यह लगे कि वह मुस्लिम विरोधी हैं या फिर दंगाई है। कांग्रेस में रहते हुए राधिका ने हमेशा कांग्रेस की कथित धर्मनिरपेक्षता का पालन किया था और भाजपा की तथ्यपरख आलोचना करने से भी कभी भी पीछे नहीं रही थी। सबसे बडी बात यह भी है कि कांग्रेस ने ऐसी कोई लक्ष्मण रेखा भी नहीं खींची थी कि राधिका खेडी जैसी कोई कांग्रेसी हस्तियां अयोध्या में भगवान राम का दर्शन करने न जायें?

वास्तव में कांग्रेस की हिडेन एजेंडा दोषी है। कांग्रेस का हिडेन एजेंडा क्या है? कांग्रेस का हिडेन एजेंडा हिन्दुत्व विरोध है, भगवान राम के प्रति अपमान और घृणा प्रदर्शित करना है। विश्व हिन्दू परिषद ने कांग्रेस के इतिहास को देखते हुए भी भगवान राम की मूर्ति स्थापना के समय कांग्रेस को आमंत्रित किया था, सोनिया गांधी और राहुल गांधी, प्रियंका गांधी ही नहीं बल्कि कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे को भी आमंत्रण भेजा था। लेकिन कांग्रेस ने राममंदिर मूर्ति स्थापना समारोह में जाने से इनकार कर दिया था। एक तरह से कांग्रेस का यह बहिष्कार ही था। कांग्रेस का कहना था कि इसका श्रेय नरेन्द्र मोदी और संघ के लोग क्यों ले रहे हैं, संघ और मोदी ने भगवान राम का चुनावी हथकंडा बना दिया। कांग्रेस की यह अवधारणा काफी झृणित थी और भगवान राम के प्रति अनादर भी था। संघ और मोदी को श्रेय तो जाता ही है। मोदी और संघ का राममंदिर आंदोलन कौन नहीं जानता है? कांग्रेस तो राममंदिर के विरोध में खडी थी। राममंदिर पर फैसला नहीं आये इसके लिए कांग्रेस ने कपिल सिब्बल सहित दर्जनों वकीलों को अप्रत्यक्ष तौर खडी कर रखी थी। कांग्रेस के बहिष्कार के बावजूद श्रीराम मंदिर की मूर्ति स्थापना शानदार और जींवत रूप से साकार हुआ, भगवान राम की मूर्ति स्थापना की परिधि में भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का डंका पूरे विश्व में बजा। दुनिया से करोडों लोग भगवान राम के दर्शन के लिए अयोध्या पहुंच रहे हैं। राधिका खेडा भी इसी परिधि में भगवान राम के दर्शन के लिए अयोध्या गयी थी।

राधिका के अपमान में कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व दोषी है क्या? यह कहना मुश्किल है कि राधिका के अपमान में कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व दोषी है। सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी, राहुल गांधी या फिर मल्लिकार्जुन खडगे की कोई प्रत्यक्ष भूमिका शायद न हों। पर इस बात को हम इनकार नहीं कर सकते हैं कि केन्दी्रय नेतृत्व की उदासीनता और अप्रत्यक्ष समर्थन के बिना कांग्रेस के नेता इतने घृणित कार्य कैसे कर सकते हैं, इतने अमानवीय कार्य कैसे कर सकते हैं, एक संवेदनशील महिला को इस तरह से लगातार कैसे अपमानित कर सकते हैं? कांग्रेस के अंदर में सनातन विरोधी धाराएं बहती ही रहती है, कांग्रेस के उपर अभी कांग्रेस विरोधी शक्तियों का कब्जा हो गया है। ये शक्तियां मजहबी हैं और वामपंथी हैं। मजहबी और वामपंथी शक्तियां कांग्रेस की जडों में मठ्ठा डाल रही हैं, कांग्रेस को बेमौत मरने के लिए गढ्ढे खोद रही है। यही कारण है कि सनातन के पक्ष में बोलने से रोका जाता है, सनातन का पक्ष लेने पर दंगाई कह कर अपमानित किया जाता है। कभी कांग्रेस के लिए फायर ब्राॅड और हाई ब्रिड धार्मिक नेता आचार्य प्रमोद कृष्णन ने साफतौर पर कहा था कि कांग्रेस पर मुस्लिम समर्थकों और कम्युनिस्टों का कब्जा हो गया है ये कांग्रेस को सनातन से दूर ले जा रहे हैं। उन्हें भी कांग्रेस से बाहर जाने के लिए बाध्य किया गया। रोहन गुप्ता को भी इतना प्रताडित किया गया वह लोकसभा चुनाव का टिकट मिलने के बाद भी चुनाव लडने से इनकार कर दिया और साफतौर पर बयान दिया कि वे सनातन विरोधी राजनीति के लिए कांग्रेस का हथकंडा नहीं बन सकते है। किसी भी परिस्थिति में राधिका को अपमान का शिकार बनाने वाले कांग्रेसी कार्यकर्ताओं और नेताओं को संरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए, ऐसे वर्ग के घृणित नेताओं को कांग्रेस अगर बाहर करती तो अच्छा था।

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