एमएस डेस्क
टाइम्स आफ इंडिया ने 30 अप्रैल, दिल्ली संस्करण में प्रकाशित एक समाचार प्रकाशित किया है, समाचार में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के गांधीनगर के भाषण का उल्लेख है। भाषण में राहुल गांधी कहते हैं— ”श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा आयोजन में भारत की माननीय राष्ट्रपति महोदया को आदिवासी होने के कारण आमंत्रित नहीं किया गया।”
ऐसा लगता है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी इस तरह के तथ्यहीन बयान देकर, विवाद खड़ा करना चाहते हैं। भारतीय समाज को आदिवाीस—गैर आदिवासी में बांटना चाहते हैं। इस बयान का खंडन श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री चंपत राय ने किया। श्री राय के अनुसार— राहुल गाँधी का भाषण और राष्ट्रपति के संबंध में कहे हुए वाक्य पूर्णतः असत्य, निराधार व भ्रामक हैं।
श्री राय ने राहुल गांधी को याद दिलाया कि राष्ट्रपति द्रोपदी मूर्मू एवं पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविद दोनों को श्री रामजन्मभूमि मन्दिर में रामलला के नूतन विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के पावन अवसर पर तीर्थ क्षेत्र की ओर से आमन्त्रित किया गया था।
श्री राय ने अपने वक्तव्य में स्पष्ट किया कि कैसे श्री राम जन्मभूमि मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग समाज से जुड़े हुए संत, महापुरुष, गृहस्थजन और जीवन के भिन्न—भिन्न क्षेत्रों में यश प्राप्त करने वाले, भारत का गौरव बढ़ाने वाले सज्जनों को आमंत्रित किया गया था। मन्दिर में सेवारत श्रमिक कार्यक्रम में सम्मिलित रहे। अल्पसंख्यक उपस्थित रहे।
इतना ही नहीं प्राण प्रतिष्ठा पूजन विधि के समय मंदिर के गूढ़ मण्डप में अनुसूचित जाति, जनजाति व अति पिछड़ा वर्ग के गृहस्थों को पूजन करने का अवसर मिला।
तीन महीने पहले सम्पन्न हुए कार्यक्रम के बारे में तथ्यों की खोज बीन किए बिना राहुल गांधी द्वारा असत्य, निराधार व भ्रामक भाषण समाज में भेदभाव पैदा कर सकता है।
राहुल गांधी के भाषण में समाज को बांटने वाले अंश श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के लिए गम्भीर आपत्ति जनक हैं।