राहुल गांधी का भारतीय सेना पर टिप्पणी और कोर्ट में शक्ति प्रदर्शन

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दिल्ली : राहुल गांधी, जो कांग्रेस पार्टी के प्रमुख चेहरों में से एक हैं, ने हाल ही में लखनऊ की एमपी-एमएलए कोर्ट में गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ झड़प पर अपनी विवादास्पद टिप्पणी के लिए पेशी दी। उनकी यह टिप्पणी, जिसमें उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भारतीय सेना के बारे में कहा था कि “चीनी सैनिकों ने हमारे सैनिकों की पिटाई की,” न केवल गलत थी, बल्कि देश की सेना का अपमान करने वाली थी। भारतीय सेना ने 12 दिसंबर को आधिकारिक बयान जारी कर स्पष्ट किया था कि चीनी सेना के अतिक्रमण का हमारे जवानों ने मुंहतोड़ जवाब दिया और उन्हें वापस खदेड़ दिया। फिर भी, राहुल गांधी ने अपने बयान से न केवल सैनिकों का मनोबल तोड़ने की कोशिश की, बल्कि देश की जनता के बीच भ्रम फैलाया।

सीमा सड़क संगठन के सेवानिवृत्त निदेशक उदय शंकर श्रीवास्तव ने राहुल के इस बयान को मानहानिकारक बताते हुए उनके खिलाफ परिवाद दायर किया। यह बेहद दुखद है कि एक जिम्मेदार नेता, जो देश के एक प्रमुख राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं, ऐसी गैर-जिम्मेदाराना बात कहते हैं, जो हमारे सैनिकों की वीरता और बलिदान का अपमान करती है। लेकिन इससे भी ज्यादा शर्मनाक है राहुल गांधी का कोर्ट में पेश होने का तरीका। 15 जुलाई को लखनऊ कोर्ट में वे न केवल बिना किसी शर्मिंदगी के पहुंचे, बल्कि एक बड़ी भीड़ के साथ शक्ति प्रदर्शन करते हुए दिखे। कांग्रेस की आईटी सेल ने उनकी मुस्कुराती हुई तस्वीर को सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया, जैसे कि यह कोई गर्व का क्षण हो। कोर्ट जैसे गंभीर स्थान पर ऐसी पीआर तस्वीरें खिंचवाना और उन्हें प्रचारित करना क्या यह दर्शाता नहीं कि राहुल गांधी को अपने कृत्य पर कोई पश्चाताप नहीं है?

यूजर योगेश दूबे ने ठीक ही लिखा कि भारतीय सेना का अपमान करने वाले राहुल गांधी को बार-बार कोर्ट में बुलाए जाने के बावजूद वे समय पर हाजिर नहीं हुए। और जब हाजिर हुए, तो महज 20,000 रुपये की जमानत पर छूट गए। यह हमारी न्याय व्यवस्था पर सवाल उठाता है। क्या एक रसूखदार परिवार से होने के कारण राहुल को विशेष छूट मिल रही है? कोर्ट में उनकी तस्वीर और कथित तौर पर जज के साथ सेल्फी की बात जनता के बीच आक्रोश पैदा करती है। यह न केवल न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचाता है, बल्कि आम लोगों का भरोसा भी कमजोर करता है।

राहुल गांधी को समझना चाहिए कि भारतीय सेना देश का गौरव है। उनके जैसे नेताओं को अपनी वाणी पर संयम रखना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति को इस मामले में संज्ञान लेकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि न्याय व्यवस्था की गरिमा बरकरार रहे और कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना भी रसूखदार हो, देश की सेना का अपमान करने की हिम्मत न करे।

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आशीष कुमार अंशु

आशीष कुमार अंशु

आशीष कुमार अंशु एक पत्रकार, लेखक व सामाजिक कार्यकर्ता हैं। आम आदमी के सामाजिक सरोकार से जुड़े मुद्दों तथा भारत के दूरदराज में बसे नागरिकों की समस्याओं पर अंशु ने लम्बे समय तक लेखन व पत्रकारिता की है। अंशु मीडिया स्कैन ट्रस्ट के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं और दस वर्षों से मानवीय विकास से जुड़े विषयों की पत्रिका सोपान स्टेप से जुड़े हुए हैं

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