दिल्ली। राहुल गांधी के हालिया आरोपों ने एक बार फिर राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है, जहां उन्होंने चुनावी धांधली का आरोप लगाया है। हालांकि, इन आरोपों की पड़ताल करने पर एक स्पष्ट पैटर्न सामने आता है, जहां गांधी मुस्लिम-बहुल सीटों या कांग्रेस की जीत वाली सीटों पर चुप्पी साधे हुए हैं, जबकि हिंदू-बहुल सीटों को ही निशाना बनाया जा रहा है।
अमित मालवीय के ट्वीट में एक वीडियो शेयर किया गया है, जिसमें दावा किया गया है कि गांधी परिवार रायबरेली में लंबे समय से वोट चोरी के जरिए जीत हासिल करता रहा है। वीडियो में दिखाया गया है कि रायबरेली की वोटर लिस्ट में कई ऐसे वोटर हैं, जिनके पते शून्य (0) दर्ज हैं, और यह दावा किया गया है कि इन वोटों के जरिए चुनावी धांधली की गई।
जयप्रकाश सिन्हा के ट्वीट में एक वीडियो का हवाला दिया गया है, जिसमें उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान एक लड़की, जो अपना बुर्का नहीं हटाना चाहती थी, वोट डालने जाती दिखाई गई। वीडियो में दावा किया गया है कि जब बुर्का हटाया गया, तो पता चला कि वह आठवीं कक्षा की छात्रा है। इस घटना को वोट चोरी का उदाहरण बताया गया है, लेकिन राहुल गांधी ने अपने प्रेजेंटेशन में इस वीडियो को शामिल नहीं किया, न ही उन्होंने मुस्लिम-बहुल सीटों पर कोई सवाल उठाया।
शिवम त्यागी के ट्वीट में यह सवाल उठाया गया है कि अगर राहुल गांधी की तर्कशैली सही है, तो क्या इसका मतलब यह नहीं कि ममता बनर्जी, नवीन पटनायक, पिनराई विजयन, एम.के. स्टालिन और अन्य विपक्षी नेता, जो लंबे समय से सत्ता में हैं, भी वोट चोरी कर रहे हैं? साथ ही, अमेठी में राहुल गांधी की हार और जीत का विश्लेषण करते हुए कहा गया है कि 2014 में 2,38,000 वोट बढ़ने पर राहुल जीते, जबकि 2019 में 74,000 वोट बढ़ने पर स्मृति ईरानी जीत गईं। इस विरोधाभास को भी सवालों के घेरे में लाया गया है।
राहुल गांधी के प्रेजेंटेशन में दिए गए नामों और सीटों का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि इनमें से ज्यादातर हिंदू-बहुल सीटें हैं, जहां 80 से 90 फीसदी हिंदू वोटर हैं। मुस्लिम-बहुल सीटों या कांग्रेस की जीत वाली सीटों पर कोई चर्चा नहीं की गई, जो यह संकेत देता है कि उनका निशाना सिर्फ हिंदू वोटरों पर केंद्रित है।
इस पूरी बहस में एक सवाल उठता है: क्या राहुल गांधी deliberately उन सीटों की अनदेखी कर रहे हैं जहां कांग्रेस की जीत हुई है, क्योंकि वहां वोट चोरी का आरोप लगाना उनके लिए राजनीतिक रूप से फायदेमंद नहीं होगा? यह आरोप लगाना आसान है कि विपक्षी दल वोट चोरी कर रहे हैं, लेकिन जब खुद की सीटें सामने आती हैं, तो चुप्पी साध ली जाती है।
इसलिए, यह कहना गलत नहीं होगा कि राहुल गांधी का प्रेजेंटेशन एकतरफा और selective है, जहां वे सिर्फ हिंदू-बहुल सीटों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जबकि मुस्लिम-बहुल या कांग्रेस की जीत वाली सीटों पर चुप्पी साधे हुए हैं। यह उनकी रणनीति का एक हिस्सा लगता है, जहां वे सिर्फ एक समुदाय को निशाना बनाकर राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं।