राजद्रोह फंसी नेहा सिंह राठौर! UP पुलिस ने सारे रास्ते बंद कर कस दिया शिकंजा!

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लखनऊ: गायिका नेहा सिंह राठौर की मुश्किलें अब बढ़ गई हैं। पहलगाम आतंकी हमले के बाद सोशल मीडिया पर किए गए उनके भड़काऊ और राष्ट्र-विरोधी पोस्ट के मामले में यूपी पुलिस ने कमर कस ली है। दो नोटिस जारी होने, हाईकोर्ट के सख्त आदेश और अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बावजूद बयान दर्ज न कराने पर अब उनकी गिरफ्तारी तय मानी जा रही है। हजरतगंज कोतवाली पुलिस ने दो विशेष टीमें गठित कर दी हैं, जो नेहा के अंबेडकरनगर स्थित पैतृक गांव हीडी पकड़िया सहित संभावित ठिकानों पर लगातार दबिश दे रही हैं।

विवादित पोस्‍ट का पाकिस्‍तान ने किया इस्‍तेमाल

यह मामला 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए उस भयानक आतंकी हमले से जुड़ा है, जिसमें 26 निर्दोष भारतीय पर्यटकों की क्रूर हत्या कर दी गई थी। हमलावरों ने धार्मिक पहचान के आधार पर निशाना साधा था, जिससे पूरे देश में आक्रोश की लहर दौड़ गई। इसी संवेदनशील माहौल में नेहा सिंह राठौर ने अपने एक्स हैंडल से एक के बाद एक विवादित पोस्ट किए। इनमें उन्होंने केंद्र सरकार और भाजपा पर सीधा हमला बोला, हमले को खुफिया विफलता बताते हुए आरोप लगाया कि सरकार इसे वोटों के लिए भुनाएगी, जैसे पुलवामा हमले के बाद किया था। एक पोस्ट में उन्होंने लिखा, “पुलवामा का खून अभी सूखा भी नहीं, पहलगाम का खून बह रहा है। मोदी जी, क्या ये भी वोट बैंक है?”

एक वीडियो में तो उन्होंने प्रधानमंत्री पर तंज कसते हुए कहा, “रूस-यूक्रेन युद्ध रोक सकते हैं, लेकिन अपने देश में आतंकी हमला नहीं?”

इन पोस्ट्स ने न सिर्फ धार्मिक समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाने का काम किया, बल्कि पाकिस्तान में भारत-विरोधी प्रचार का हथियार भी बन गए।

तीन लोगों ने की थी शिकायत

इन पोस्ट्स के खिलाफ सबसे पहले कुर्सी रोड स्थित वुडलैंड पैराडाइज अपार्टमेंट के निवासी अभय प्रताप सिंह ने हजरतगंज कोतवाली में तहरीर दी। उन्होंने शिकायत की कि नेहा के पोस्ट राष्ट्रीय एकता को खतरे में डाल रहे हैं और एक खास समुदाय को निशाना बना रहे हैं।

इसके बाद रानीगंज के सौरव, दुर्विजयगंज के हिमांशु वर्मा और दुगांवा के अर्जुन गुप्ता ने भी अपनी शिकायतें दर्ज कराईं। पुलिस ने सभी तहरीरों को एक साथ जोड़ते हुए 27 अप्रैल को एफआईआर दर्ज की, जिसमें भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 152 (राजद्रोह के समकक्ष), आईटी एक्ट की धाराएं और अन्य प्रावधान शामिल हैं।

डिजिटल साक्ष्यों की प्रामाणिकता हुई सिद्ध

जांच के दौरान पुलिस ने नेहा के सभी डिजिटल साक्ष्यों-पोस्ट, वीडियो और कमेंट्स को एक पेन ड्राइव में संकलित कर विधि विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) भेजा। रिपोर्ट में इनकी प्रामाणिकता सिद्ध हुई, कोई छेड़छाड़ नहीं पाई गई।नेहा ने गिरफ्तारी की आशंका से बचने के लिए हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका दाखिल की, लेकिन कोर्ट ने इसे सिरे से खारिज कर दिया।

फिर भी, उन्होंने पुलिस नोटिस का पालन नहीं किया। अंबेडकरनगर पुलिस ने उनके गांव में नोटिस चस्पा किया, हाईकोर्ट ने पेशी का आदेश दिया, लेकिन नेहा ने बीमारी का बहाना बनाकर टालमटोल की। हजरतगंज के एसएचओ मुताबिक, “वे जांच से बच रही हैं, अब सारे रास्ते बंद हैं। टीमें उनके लोकेशन ट्रैक कर रही हैं।” सुप्रीम कोर्ट ने भी अक्टूबर में एफआईआर रद्द करने की याचिका ठुकरा दी, जिसमें नेहा ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हवाला दिया था।

विवादों से घिरी रही हैं नेहा

नेहा सिंह राठौर पहले भी विवादों से घिरी रही हैं। 2023 में ‘यूपी में का बा-सीजन 2’ गाने पर पुलिस नोटिस मिला था, जिसमें उन्होंने कानपुर देहात में बुलडोजर कार्रवाई के दौरान दो महिलाओं की मौत पर सवाल उठाए थे।

2020 के ‘बिहार में का बा’ और 2022 के ‘यूपी में का बा’ गानों से वे राजनीतिक कमेंट्री के लिए मशहूर हुईं, लेकिन आलोचकों का कहना है कि ये राष्ट्र-विरोधी प्रचार का माध्यम बन गए। अब पहलगाम मामले ने उनके पुराने कदमों को फिर उजागर कर दिया है। सोशल मीडिया पर उनके समर्थक उन्हें ‘आवाज’ बता रहे हैं, लेकिन ज्यादातर यूजर्स उन्हें ‘एंटी-नेशनल’ करार दे रहे हैं।

पुलिस का कहना है कि नेहा के पोस्ट्स ने न सिर्फ आंतरिक सुरक्षा को खतरा पैदा किया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि खराब की। गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में उनके अन्य पुराने मामलों की भी पड़ताल होगी। क्या नेहा अब भी ट्वीट्स से बच निकल पाएंगी, या कानून का शिकंजा उन्हें जकड़ लेगा? मामला गरमाता जा रहा है।

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