राष्ट्रीय जनता दल के विधायक भाई वीरेंद्र पर एफआईआर: दलित समाज के लिए क्या है राजद का संदेश

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पटना। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के मनेर से विधायक भाई वीरेंद्र एक बार फिर विवादों में हैं। उनके खिलाफ पंचायत सचिव संदीप कुमार ने पटना के एससी-एसटी थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई है। यह मामला एक वायरल ऑडियो से उपजा, जिसमें विधायक कथित तौर पर सचिव को धमकाते और अपशब्द कहते सुने गए। यह विवाद एक मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने को लेकर शुरू हुआ, जब सचिव ने विधायक को पहचानने से इनकार किया। ऑडियो में विधायक का गुस्सा साफ है, जहां वे कहते हैं, “जूता से मारूंगा” और “पूरा हिंदुस्तान मुझे जानता है, तुम कैसे नहीं जानते?” इस घटना ने बिहार की सियासत में तूफान खड़ा कर दिया है।

संदीप कुमार ने शिकायत में आरोप लगाया कि विधायक ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया, जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल किया और धमकी दी, जिससे उन्हें मानसिक उत्पीड़न सहना पड़ा। पुलिस ने एससी-एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया और जांच शुरू की, जिसमें ऑडियो की प्रामाणिकता और कॉल डिटेल्स की पड़ताल हो रही है। यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो भाई वीरेंद्र की गिरफ्तारी संभव है, क्योंकि यह एक्ट गंभीर धाराएं लगाता है। हालांकि, गिरफ्तारी से पहले पुलिस को ठोस सबूत और कानूनी प्रक्रिया पूरी करनी होगी।

इस घटना ने आरजेडी की कार्यशैली और दलित समाज के प्रति उसके रवैये पर गंभीर सवाल उठाए हैं। कुछ समय पहले लालू प्रसाद यादव का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वे कथित तौर पर बाबासाहेब आंबेडकर की तस्वीर को पैरों तले रखे हुए थे। इस वीडियो को पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं ने दलित समुदाय को यह संदेश देने के प्रयास के रूप में देखा कि बिहार में दलित वोट हासिल करने के लिए दबाव की रणनीति अपनाई जा सकती है। यह धारणा अब भाई वीरेंद्र के व्यवहार में भी झलकती है। एक दलित कर्मचारी के साथ उनका कथित दुर्व्यवहार और पार्टी की ओर से कार्रवाई का अभाव इस बात का संकेत देता है कि दलित समाज के प्रति सम्मानजनक रवैया अपनाने का संदेश शायद पार्टी के भीतर नहीं पहुंचा है। भाई वीरेंद्र का आचरण उसी मानसिकता को दर्शाता है, जो पार्टी आलाकमान से प्रेरित हो सकती है।

भाई वीरेंद्र ने फेसबुक पर सफाई दी कि सचिव ने शिष्टाचार नहीं दिखाया और जनता के काम में लापरवाही बरती, जिससे उनकी भाषा तल्ख हो गई। उन्होंने ऑडियो को विपक्ष द्वारा वायरल करने का आरोप लगाया। लेकिन यह सफाई उनकी छवि को बचाने में नाकाफी रही। तेज प्रताप यादव ने खुलकर उनकी आलोचना की और कार्रवाई की मांग की, जिससे पार्टी के भीतर मतभेद उजागर हुए।

जनप्रतिनिधि से समाज उच्च नैतिक आचरण की अपेक्षा करता है। यदि कोई कर्मचारी भूल करता है, तो शिकायत के लिए कानूनी और प्रशासनिक रास्ते हैं। धमकी और अभद्रता न समाधान है, न ही यह जिम्मेदार नेतृत्व का परिचय देता है। यह मामला न केवल भाई वीरेंद्र की साख पर सवाल उठाता है, बल्कि आरजेडी की दलित समाज के प्रति नीति और जवाबदेही पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।

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