राष्ट्रवादी अपनी लड़ाई में अकेले क्यों पड़ जाते हैं

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फोर पीएम यूपी ने दस लाख सब्सक्राइबर पूरे कर लिए। उसके सब्सक्राइबर का यह बेस तैयार करने में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, वामपंथी समूहों का बड़ा योगदान है। कभी सोचा है आपने कि कांग्रेसी इको सिस्टम का इन्फ्लूएंसर कभी अकेला क्यों नहीं पड़ता?

उत्तर प्रदेश के एक यू ट्यूबर हैं। दस लाख सब्सक्राइर्स वाले राष्ट्रवादी यू ट्यूबर। अपनी लड़ाई में वे बिल्कुल अकेले पड़ गए। दिल्ली रहते हैं और मुजफ्फरनगर से पंजाब की पुलिस किडनैप करके उन्हें ले गई। उनका यू ट्यूब चैनल तबाह कर दिया गया। यह पूरी घटना उनके अपने इको सिस्टम से बाहर ही नहीं जा पाई कभी। ना वे उस सब्सक्राइबर बेस को फिर से कभी हासिल कर पाए।

इसकी बड़ी वजह यह रही होगी कि यहां हर आदमी इस बात से डर रहा है कि दूसरा बड़ा ना बन जाए। कई वरिष्ठ पत्रकारों ने बातचीत में बताया कि कई बार लगता है कि बोलना चाहिए लेकिन चुप रह जाते हैं। सिर्फ इसलिए क्योंकि अकेले पड़ जाने का डर है। यहां कोई सपोर्ट के लिए साथ खड़ा नहीं होगा। वह पूरी लड़ाई मेरे अकेले की लड़ाई बन जाएगी।

एक वरिष्ठ राष्ट्रवादी पत्रकार पीछले दिनों उन पत्रकारों को लेकर चिंतित थे, जिनकी महीने की आमदनी पचास हजार से कम है। परिवार है, घर का किराया देना पड़ता है। या फिर ईएमआई के बोझ तले दबे हैं। इस बीच अचानक परिवार पर कोई संकट आ गया तो वे कैसे संभालेंगे? उन्होंने अच्छा विचार किया कि ऐसे कम आमदनी वाले पत्रकारों के पास रियायती प्रीमियम पर जीवन बीमा और हेल्थ इन्श्योरेन्स की व्यवस्था हो जाए तो कितना अच्छा होगा।

इसमें विचारधारा वाली कोई बात भी नहीं थी। लेकिन उन्हें किसी तरह का सहयोग नहीं मिला। सहयोग मतलब इसके प्रचार प्रसार में मित्रों का साथ मिलता तो बात दूर तक जाती। वह तक नहीं हो पाया। फिलहाल पूरा मामला धीरे धीरे आगे बढ़ रहा है। पत्रकार जुनूनी है इसलिए उन्होंने जो सोचा है, वह पूरा भी होगा लेकिन इसमें इको सिस्टम कहां है? सवाल तो यह उठता है।

बीजेपी के आईटी सेल की एक समय में खूब चर्चा होती थी। लेकिन आज की सच्चाई यह है कि वह सेल, आईटी प्रोफेशनल्स का एक समूह भर बन कर रह गया है।

इंडि अलायंस आईटी सेल जो कांग्रेस की निगरानी में ही चलता है, आज के समय में अधिक सक्रिय है। उसने अनऑफ़िशियल अपने साथ रवीश कुमार, अजीत अंजुम, संजय शर्मा, अशोक कुमार पांडेय, कुमकुम बिनवाल , साक्षी जोशी, नेहा सिंह राठौर, आरफा खानम जैसे मीडिया इफ्लूएंसर और यू ट्यूबर्स को भी जोड़ा है। इनके कंटेंट को बढ़ाने से लेकर सब्सक्राइबर्स बढ़वाने तक में आईटी सेल अपनी भूमिका निभाता है। पैसों की लेन देन की पक्की जानकारी होने के बावजूद लिखना इसलिए ठीक नहीं है क्योंकि इसे साबित करना मुश्किल होगा।

वैसे केन्द्र सरकार से लड़ने का दावा करने वाले क्रांतिकारी आंदोलनजीवी यू ट्यूबर्स रवीश कुमार, अजीत अंजुम, संजय शर्मा जैसों की कुंडली नहीं बैंक बैलेंस सारी कहानी कह देगा। मोदी सरकार के आने के बाद के ग्यारह साल और आने से पहले के ग्यारह साल के अपने बैंक स्टेटमेंट ये सभी सार्वजनिक कर दें, सब पब्लिक के सामने आ जाएगा।

इनकी सारी धूर्तता को समझते हुए, इनकी तारिफ इसलिए क्योंकि ये एक दूसरे के मुसीबत में साथ खड़े होते हैं। एक दूसरे की तरक्की से स्वाभाविक ‘ईर्ष्या’ के बावजूद बढ़ने का रास्ता नहीं रोकते। एक दूसरे की जहां तक हो मदद करते हैं। एक बात और, इस पूरे यू ट्यूबर्स गैंग के पीछे कांग्रेस का मजबूत बैकअप है। इसलिए ये कभी अकेले नहीं पड़ते और ना इन पर यू-ट्यूब छोड़कर मदद हासिल करने के लिए इंडि अलायंस में शामिल होने का कोई दबाव है।

ना चाहते हुए इसलिए सब लिखना पड़ा क्योंकि इस समय देश एक आपात स्थिति की तरफ बढ़ रहा है। सावधान रहिए, धूर्तों पर नजर रखिए और आपसी भाईचारा बिगड़ने मत दीजिए।

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आशीष कुमार अंशु

आशीष कुमार अंशु

आशीष कुमार अंशु एक पत्रकार, लेखक व सामाजिक कार्यकर्ता हैं। आम आदमी के सामाजिक सरोकार से जुड़े मुद्दों तथा भारत के दूरदराज में बसे नागरिकों की समस्याओं पर अंशु ने लम्बे समय तक लेखन व पत्रकारिता की है। अंशु मीडिया स्कैन ट्रस्ट के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं और दस वर्षों से मानवीय विकास से जुड़े विषयों की पत्रिका सोपान स्टेप से जुड़े हुए हैं

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