रायबरेली से जन्म प्रमाणपत्र फर्जीवाड़े का भयावह खुलासा

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रायबरेली : उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के सलोन क्षेत्र में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक वीडीओ (ग्राम विकास अधिकारी) विजय यादव के नेतृत्व में पिछले दो सालों में 19,184 जन्म प्रमाणपत्र फर्जी तरीके से जारी किए गए। सोशल मीडिया पर एक्स यूजर अनुपम मिश्रा ने एक समाचार पत्र की कटिंग लगाकर इस घोटोले की जानकारी दी।

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इनमें से 10,000 से अधिक प्रमाणपत्र केवल एक गांव नूरुद्दीन से संबंधित हैं, जहां पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड से आए लोग बसे हैं, और इनमें से ज्यादातर बांग्लादेशी तथा रोहिंग्या घुसपैठियों के नाम पर हैं।

इस घोटाले की भयावहता इस बात से समझी जा सकती है कि सरकारी दस्तावेजों का दुरुपयोग राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन गया है। जन्म प्रमाणपत्र जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों का फर्जीकरण न केवल प्रशासनिक व्यवस्था की कमजोरी को उजागर करता है, बल्कि देश में अवैध घुसपैठ को बढ़ावा देने का एक सुनियोजित षड्यंत्र भी प्रतीत होता है। सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं में लोगों ने इसकी तुलना देश को खोखला करने वाली ‘दीमक’ से की है, जो जनसांख्यिकीय संतुलन को बिगाड़ रही है। एक यूजर ने सुझाव दिया कि फर्जी दस्तावेज बनाने वालों की संपत्ति जब्त करने और कठोर सजा देने की जरूरत है, ताकि इस तरह की गतिविधियां रुक सकें।

स्थानीय निवासी सत्यव्रत त्रिपाठी के अनुसार, यह घटना पिछले साल की है, और जांच में पता चला कि वीडीओ विजय यादव ने अपने प्रेम प्रसंग के चलते जीशान नामक व्यक्ति को अपनी लॉगिन डिटेल्स सौंप दी थीं, जिसका फायदा उठाकर फर्जी प्रमाणपत्र बनाए गए। जीशान ने इस दौरान मकान और दुकानें भी बनवाईं, जो इस रैकेट की आर्थिक गहराई को दर्शाता है। दूसरी ओर, अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, पूरे जिले में 52,000 से अधिक जन्म प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए, जिसमें एक दिन में 500 से ज्यादा दस्तावेज बनाए गए। यह आंकड़ा स्थिति की गंभीरता को और बढ़ा देता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हाल ही में झारखंड में बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठ को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया था, जो इस मामले में एक समान चिंता को दर्शाता है। रायबरेली की यह घटना प्रशासनिक लापरवाही और सिस्टम की भ्रष्टाचार से जूझती तस्वीर पेश करती है। लोगों का गुस्सा इस बात पर है कि सरकारें महत्वपूर्ण दस्तावेजों को ‘दुकानों’ के भरोसे छोड़ रही हैं, जो देश विरोधी तत्वों के लिए खुला निमंत्रण बन गया है।

अब सवाल यह उठता है कि क्या इस मामले में त्वरित कार्रवाई होगी? मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्र सरकार से मांग उठ रही है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं, ताकि इस तरह के फर्जीवाड़े पर लगाम लग सके। अन्यथा, यह समस्या देश के लिए एक और गंभीर संकट बन सकती है।

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