बसावन
फ्रैंक हुज़ूर, जिनका असली नाम मनोज यादव था, का जन्म बिहार के बक्सर में हुआ था जाति व्यवस्था के कटु आलोचना के साथ फ्रैंक हुज़ूर ने न सिर्फ जातिवाद के खिलाफ कलम चलाई, बल्कि अपनी व्यक्तिगत जिंदगी में भी जाति की बेड़ियों को तोड़ते हुए अंतरजातीय विवाह किया। समाजवादी और प्रगतिशील विचारधारा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के चलते उन्होंने अपना नाम बदलकर फ्रैंक हुज़ूर रख लिया। फ्रैंक हुज़ूर ने सेंट जेवियर्स कॉलेज, रांची में अंग्रेज़ी साहित्य का अध्ययन किया और बाद में हिंदू कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में शिक्षा प्राप्त की दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्ययन के दौरान, उन्होंने नाटक और पत्रकारिता में गहरी रुचि दिखाई। फ्रैंक हुज़ूर ने कई प्रमुख हस्तियों पर पुस्तकें लिखीं, जिनमें शामिल हैं: इमरान खान: उन्होंने “Imran vs Imran: The Untold Story” शीर्षक से इमरान खान की जीवनी लिखी, जो उनकी राजनीतिक यात्रा को उजागर करती है।
मुलायम सिंह यादव: फ्रैंक हुज़ूर ने समाजवादी नेता मुलायम सिंह यादव जीवनी पर “Mulayam Singh Yadav: The Socialist” लिखकर कार्य किया, जिससे उनकी राजनीतिक विचारधारा को समझने में सहायता मिलती है। अखिलेश यादव: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की जीवनगाथा “Tipu Story” लिखी, जो उनकी राजनीतिक यात्रा को दर्शाती है। हिटलर: उनकी पुस्तक “Hitler in Love with Madonna” एक नाटक है, जो हिटलर के जीवन के अनछुए पहलुओं को प्रस्तुत करती है। लालू प्रसाद यादव:- फ्रैंक हुज़ूर ने लालू प्रसाद यादव पर आधारित एक नाटक लिखा था जिसका शीर्षक था “स्टाइल है लालू की ज़िंदगी”। यह नाटक बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के जीवन से प्रेरित था और उनकी शैली को रोचक ढंग से प्रस्तुत करता है। फ्रैंक हुज़ूर “सोशलिस्ट फैक्टर” नामक मासिक अंग्रेज़ी पत्रिका के संपादक थे, जो प्रगतिशील समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष विचारों का मंच बनी। उन्होंने अपने लेखन के माध्यम से समाजवादी मूल्यों को बढ़ावा दिया और उत्पीड़ित वर्गों की आवाज़ को बुलंद किया, बाद के दिनों में अपने आर्थिक हालातों के चलते उन्हें ‘सोशलिस्ट फैक्टर’ पत्रिका बन्द करनी पड़ी! फ्रैंक हुज़ूर की लड़ाई अब खत्म नहीं हुई, अब यह जिम्मेदारी उन सभी पर है, जो सच में सामाजिक न्याय और इंसाफ में यकीन रखते हैं! फ्रैंक हुज़ूर अपने पीछे पत्नी मुक्ता सिंह और 10 साल के बेटे मार्कोस को छोड़ गए हैं। उन्होंने अपनी पूरी ज़िंदगी सामाजिक न्याय, समाजवादी विचारधारा और पिछड़ों-दलितों के अधिकारों के लिए लगा दी लेकिन आज जब वे इस दुनिया में नहीं हैं, तो क्या वे नेता, जिनके लिए उन्होंने लिखा, उनके परिवार का ख्याल रखेंगे?