साहित्य अकादमी के पुस्तकायन में राजीव रंजन प्रसाद के उपन्यास ‘लाल अंधेरा’ पर चर्चा

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नई दिल्ली। साहित्य अकादमी के मंच पर पुस्तकायन कार्यक्रम के अंर्तगत लेखक राजीव रंजन प्रसाद के यश पब्लिकेशंस द्वारा प्रकाशित उपन्यास “लाल अंधेरा” पर चर्चा हुई। इस अवसर पर वरिष्ठ लेखक व भाषाविद कमलेश कमल, प्रसिद्ध टेलीविजन एंकर प्रखर श्रीवास्तव, सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी दुबे तथा वरिष्ठ पत्रकार आशीष कुमार अंशु ने इस उपन्यास पर अपने विचार रखे। माओवाद की सच्चाई को पेश करता उपन्यास ‘लाल अंधेरा’ उन घटनाओं और पात्रों का विवरण देता है, जिनकी कभी चर्चा भी नहीं होती। इस अवसर पर बोलते हुए लेखक राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि सरकारी व्यवस्था और माओवादियों के बीच पिसने वाले आदिवासियों का जीवन भी किसी दुविधा से कम नहीं है। यह बस्तर का ऐसा कड़वा सत्य है, जिसके विषय में हर किसी को अवश्य जानना चाहिए। साहित्यकार तथा आईटीबीपी में कमांडेन्ट कमलेश कमल ने अपने बस्तर पदस्थापना के अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि उपन्यास लाल अंधेरा लेखक के बस्तर पर केंद्रित गहन शोध और आत्मानुभव की अभिव्यक्ति है।

लेखक व टेलीविजन एंकर प्रखर श्रीवास्तव ने मीडिया की हिपोक्रेसी को उजागर करते हुए कई उदाहरण दे कर बताया कि कैसे नक्सल विभीषिका और आतंक की खबरों को मुख्यधारा के चैनल व अखबार सप्रयास दबा रहे हैं। संविधान और कानून के जानकार अश्विनी दुबे ने बताया कि किस तरह शहरी माओवादी कानून को ही गुमराह करते हैं। वे कहते हैं कि शहरी माओवादी हमारे सिस्टम के भीतर घुस आये हैं उसकी पहचान करना आवश्यक है। कार्यक्रम में मॉडरेटर की भूमिका आशीष कुमार अंशु ने निर्वहित की और धन्यवाद ज्ञापन प्रकाशक जतिन भारद्वाज ने किया।

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