संदर्भ –ब्राह्मणों के खिलाफ अनुराग कश्यप की अभद्र टिप्पणी और फिर उनकी माफी

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सुरेंद्र किशोर

जब मैं अपने गांव में रहता था कि तो एक दिन बाबू जी से

पंडित जी ने कहा कि

‘‘बाबू साहेब ,जो संस्कार आप में है,वह आपके बेटे में नहीं है।’’

बाबू जी ने मुझसे पूछा–वे ऐसा क्यों कह रहे थे ?

 मैंने बताया कि मैंने गुलाब का फूल तोड़ने से उन्हें रोका था।

(मैंने अपने दालान में सुंदर फुलवाड़ी बनाई थी।)

उस पर बाबूजी ने कहा कि तुमको नहीं रोकना चाहिए था।वे पूजा के लिए फूल तोड़ते हैं।अपने लिए नहीं तोड़ते।

पूजा वे जगत के कल्याण के लिए करते हैं।

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यह संस्कार लेकर मैं गांव से शहर आया था।

दस साल तक राजनीति में रहा।वहां से निराश हुआ तो पत्रकारिता शुरू की।

1977 में दैनिक ‘आज’ के पटना ब्यूरो चीफ थे श्री पारसनाथ सिंह।

  एक दिन उनसे मैंने कहा कि पत्रकारिता में ब्राह्मण भरे हुए हैं।

ऐसा क्यों ?

ऋषि तुल्य पत्रकार पारस बाबू ने,जिन्होंने पराड़कर जी के साथ काम किया था, बताया कि यह पेशा ब्राह्णों के स्वभाव के अनुकूल है।वे विद्याव्यसनी और विनयी होते हैं।

आपको भी यदि पत्रकारिता में आगे बढ़ना है तो विनयी और विद्याव्यसनी बनिए।यहां आपका लोहियावाद नहीं चलेगा

जहां आप सामाजिक संतुलन खोजंे।

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मैंने पारस बाबू के मंत्र- वाक्य को जीवन में अपनाया।उससे मुझे बड़ा लाभ हुआ।

मैंने पहले ही तय कर लिया था कि मैं कभी संपादक नहीं बनूंगा। क्योंकि मंै उस पद के योग्य नहीं।

जिस पद के आप योग्य नहीं,उस पर नहीं बैठना चाहिए।

इसके बावजूद बारी -बारी से देश के चार ब्राह्मण प्रधान संपादकों ने अपनी जाति के उम्मीदवारों को दरकिनार करके मुझे संपादक बनाने की भरपूर कोशिश की थी।

मैंने आदरपूर्वक अस्वीकार कर दिया।

अब आप ही बताइए,मैं ब्राह्मणों के बारे में कैसी

धारणा बनाऊं ?

यह मानते हुए कि हर जाति में अच्छे-बुरे लोग हैं,मैं ब्राह्मणों को आदर की दृष्टि से देखता हूं।

सभी जातियों का अपना -अपना महत्व है,समाज में अपने -अपने ढंग से उनका योगदान है।फिर किसी एक जाति को टारगेट पर क्यों रखा जाये ?

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पूर्व प्रधान मंत्री वी.पी.सिंह ने राम बहादुर राय को बताया था कि आजादी की लड़ाई में उत्तर प्रदेश से सबसे अधिक ब्राह्मण थे।

आजादी की लड़ाई से लेकर बौद्धिक जगत तक उनके योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

कुंठित और पूर्वाग्रहग्रस्त लोग ही पूरी की पूरी किसी जाति के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते हैं।

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19 अप्रैल 25

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और अंत में

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कुछ दशक पहले मैं टाटा सर्विसेज लिमिटेड द्वारा प्रकाशित स्टेटिस्टिकल आउटलाइन आॅफ इंडिया देख रहा था।उसमें यह पढ़ा कि भारत दुनिया में चार चीजों के उत्पादन को लेकर एक नंबर पर है।चार में से ढाई में योगदान इस देश के पशुपालकों का है।आप जानते ही है कि इस देश में पशुपालन का काम कौन सी जाति अधिक करती है।उसको आप महत्व देंगे या नहीं ?

(सोशल मीडिया से)

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