सम्पन्न हुआ संस्कार भारती का सदानीरा उत्सव -2022

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Gopalganj sanskar bharti event

जलज अनुपम

इसके बाद भोजपुरी कथा पाठ का आयोजन ‘यायावरी वाया भोजपुरी’ की ओर से सुधीर कुमार मिश्र ने किया। जिसमें उन्होनें सर्वेश तिवारी श्रीमुख की कहानी ‘अंतिम प्रार्थना’ का पाठ किया। जिसका भोजपुरी अनुवाद अनुराग रंजन ने किया था। इस भावुक प्रस्तुति ने सबका मन मोह लिया और सारे लोग अपनी आंखें पोंछते दिखे

इसके बाद भोजपुरी कथा पाठ का आयोजन ‘यायावरी वाया भोजपुरी’ की ओर से सुधीर कुमार मिश्र ने किया। जिसमें उन्होनें सर्वेश तिवारी श्रीमुख की कहानी ‘अंतिम प्रार्थना’ का पाठ किया। जिसका भोजपुरी अनुवाद अनुराग रंजन ने किया था। इस भावुक प्रस्तुति ने सबका मन मोह लिया और सारे लोग अपनी आंखें पोंछते दिखे।

संस्कार भारती, बिहार द्वारा आयोजित सदानीरा उत्सव-2022, 26 मार्च को गोपालगंज के करवतही गाँव में सम्पन्न हो गया। ऐसा लग रहा था कि राष्ट्रीय हित का चिंतन और मनन करने वाले लोगों का यह समूह वेद वाक्य ‘उप सर्प मातरं भूमिम्।’ अर्थात जैसे भी हो मातृभूमि की सेवा कर का भाव रखकर कार्य करता है।

गोपालगंज, बिहार के जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर करवतही गाँव जहाँ दस वर्ष पहले तक गूँजती थी गोलियों की गड़गड़ाहट वहाँ पर सदानीरा उत्सव का सम्पन्न होना और उसमें लेखन के समक्ष चुनौतीयाँ और हिन्दू इकोसिस्टम के बहाने बदलती तस्वीर जैसे विषयों पर विमर्श का होना इसको विशिष्ट बनाता है। प्रो. अरुण भगत जैसे बुद्धिजीवी लोगों के साथ महाराष्ट्र, हरियाणा, दिल्ली, उत्तरप्रदेश और बिहार के अनेक जिलों से युवा राष्ट्रवादी लेखकों के साथ साथ बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय और प्रयागराज विश्वविद्यालय से शोधार्थी युवा बच्चों की आयी भीड़ यह बताने के लिए काफी थी कि हिन्दुस्तान गाँवों तक पहुँचने लगा है।

सदानीरा उत्सव -2022 के स्मारिका का लोकार्पण

इस मौके पर साहित्य अकादमी समेत देश के अनेक बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य प्रो अरुण कुमार भगत, गोपालगंज के विधान पार्षद श्री आदित्य नारायण पाण्डेय, पूर्व विधायक मिथिलेश तिवारी, पूर्व प्रमुख श्री रवि प्रकाश मणि त्रिपाठी, संस्कार भारती के संगठन मंत्री श्री वेद प्रकाश, प्रान्त मंत्री दिवाकर राय,अनिल कुमार मिश्रा, जिला पार्षद ओमप्रकाश सिंह और संस्कार भारती गोपालगंज ईकाई के अध्यक्ष सर्वेश तिवारी श्रीमुख उद्घाटन सत्र में शामिल हुए। प्रो. अरुण कुमार ने बोलते हुए कहा कि साहित्य संवेदना के धरातल पर पुष्पित, पल्लवित और फलित होता है, हमें अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए सबसे पहले मानवीय संवेदना की रक्षा करनी होगी।” ऐसे आयोजन समाज को सशक्त और समृद्ध करने की दिशा में कदम‌ होते हैं। सर्वेश तिवारी श्रीमुख ने कहा कि हम सभी इसके लिए प्रयासरत हैं कि सिर्फ एक समूह और विचारधारा का कब्जा साहित्य और कला जगत में न हो! गाँव से गाँव लिखना ही सुखद है।कार्यक्रम का सन्चालन चंपारण के प्रसिद्ध युवा साहित्यकार जलज कुमार अनुपम ने किया।

उद्घाटन सत्र के बाद मंच से हिन्दी के उभरते युवा लेखक कृपा शंकर मिश्र की बेस्टसेलर हॉरर उपन्यास ‘मधुबाला’ के दूसरे संस्करण, सूर्यांश द्विवेदी ‘मिहिर’ के आने वाले उपन्यास “कैम्पस वाला प्यार” का आवरण पृष्ठ और उसके साथ सदानीरा उत्सव -2022 के स्मारिका का भी लोकार्पण हुआ। इस अवसर पर पतरकी और बाला सेक्टर जैसे बेस्टसेलर उपन्यास के युवा लेखक आशीष त्रिपाठी को सदानीरा सम्मा‌न -2022 से सम्मानित किया गया!

साहित्य को शहरों के वातानुकूलित कमरों से निकाल कर खेतों की मेड़ तक ले जाने के उद्देश्य से प्रारम्भ हुए इस आयोजन में देश के अलग अलाग कोने से राष्ट्रवादी लेखक और कवि सम्मिलित हुए। कार्य्रकम के वैचारिक सत्र के दौरान ‘नए रचनाकारों के समक्ष चुनौतियाँ’ युवा साहित्यकार विकास कुमार, आशीष त्रिपाठी, अमृता प्रकाश ने अपने अपने विचार रखे इस सत्र में संचालक की भूमिका में सिद्धार्थ अरोड़ा ‘सहर’ रहे।

इसके बाद भोजपुरी कथा पाठ का आयोजन ‘यायावरी वाया भोजपुरी’ की ओर से सुधीर कुमार मिश्र ने किया। जिसमें उन्होनें सर्वेश तिवारी श्रीमुख की कहानी ‘अंतिम प्रार्थना’ का पाठ किया। जिसका भोजपुरी अनुवाद अनुराग रंजन ने किया था। इस भावुक प्रस्तुति ने सबका मन मोह लिया और सारे लोग अपनी आंखें पोंछते दिखे।

कार्यक्रम के अगले पड़ाव पर ‘हिन्दू इकोसिस्टम के बहाने हिन्दुस्तान की बदलती तस्वीर’ विषय पर परिचर्चा का आयोजन हुआ जिसमें वक्ता के तौर पर जलज कुमार अनुपम और आनंद कुमार शामिल थे।

कार्यक्रम के अंतिम सत्र में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ जिसमें देर रात तक काव्यधारा बहती रही। मंच से कविताओं, गीतों का गायन होता रहा और मुग्ध श्रोता झूमते और वाह वाह करते रहे। कवि सम्मेलन का प्रारम्भ बस्ती, उत्तरप्रदेश की प्रसिद्ध कवयित्री शिवा त्रिपाठी सरस ने माता सरस्वती की वंदना “हे माँ विराजो कंठ में सूचि ज्ञान को विस्तार दो” से किया । उसके बाद प्रशान्त सौरभ ने संस्कृत में काव्यपाठ कर के मंच को ऊंचाई दी। प्रशांत ने संस्कृत और भोजपुरी मिला कर जो “नागेन्द्र हाराय त्रिलोचनाय…” का पाठ किया उसने लोगों को वाह वाह करने पर विवश कर दिया! उसके बाद अवध की धरती से आये वरिष्ठ कवि ज्ञान प्रकाश आकुल ने भगवान राम और भरत के भातृत्व पर छन्द पढ़कर कवि सम्मेलन को अगले स्तर पर पहुँचाया। गोरखपुर की धरती से आये संदीप सिंह श्रीनेत ने अपनी कविता “छोटा सा शहर हूँ मगर छोटा किरदार नही” पढ़कर खूब वाहवाही बटोरी। जिले के वरिष्ठ कवि संजय मिश्र संजय ने अपना प्रसिद्ध गजल ‘मैं समझता था कि वो किस्सा पुराना हो गया” पढ़ कर समा बांधा, तो बनारस से आये सुशांत शर्मा ने अपने खण्डकाव्य जटायु से “भक्त से नाता छूटे भगवान के, छूटे न भाई से भाई के नाता” सुना कर श्रोताओं को भाव विह्वल कर दिया। इनके अतिरिक्त छपरा के कवि निर्भय नीर, दिल्ली से आये नित्यानन्द नीरव, बलिया से आये अशोक तिवारी और आलोक पाण्डेय और जिले के कवि सत्यप्रकाश शुक्ल ने अपनी कविताओं से लोगों को झुमाया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता गोपालगंज जिले के वरिष्ठ कवि सुभाष संगीत ने की और इस सत्र का मंच संचालन संजय मिश्रा संजय ने किया।

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