सावरकर की महानता पर कांग्रेस का नया ड्रामा, बेचारे राहुल गांधी फंसे!

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दोस्तों, तैयार हो जाइए एक और तमाशे के लिए! वीर सावरकर, जिनका नाम एक समय भारतीय संसद से लेकर राष्ट्रपति भवन तक सम्मान से लिया जाता था, आज कांग्रेस के कुछ “ज्ञानी” नेताओं और उनके पसंदीदा यूट्यूब कथावाचकों के निशाने पर हैं। लेकिन अरे भाई, इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करने वाले ये “कुपढ़” (मुकेश कुमार, अजीत अंजुम, साक्षी जोशी, आरफा खानम, अभिसार शर्मा) आखिर कहां ले जा रहे हैं बेचारे राहुल गांधी को? इनके व्यूज और पैसों की भूख ने तो रिसर्च और पढ़ाई-लिखाई को कब का ताला लगा दिया। और परिणाम? सावरकर को गलत तरीके से पेश कर कांग्रेस का इतिहास बोध भी कहीं खो गया!

आइए, थोड़ा इतिहास की किताब खोलते हैं, जो इन यूट्यूब महारथियों ने शायद कभी नहीं पढ़ी। पुराने समय में, चाहे वो सर्वपल्ली राधाकृष्ण हों, जाकिर हुसैन हों, लाल बहादुर शास्त्री हों या इंदिरा गांधी, सभी ने सावरकर के शौर्य और देशभक्ति को सलाम किया। संसद की कार्यवाहियां और सरकारी दस्तावेज आज भी इसकी गवाही देते हैं। लेकिन आज की कांग्रेस? लगता है वोट बैंक की चिंता में इतिहास की किताबें फाड़ दी गईं!

अब बात करते हैं नेहरू जी और सावरकर के जेल जीवन की, जो इन कथावाचकों की पसंदीदा डिबेटिंग पॉइंट है। नेहरू जी अहमदनगर किले में रहे, जहां लाइब्रेरी, बागवानी (गुलाब के बाग की कहानी तो मशहूर है!), नौकर-रसोइया, प्राइवेट टॉयलेट और परिवार से मिलने की सुविधा थी। वहीं, सावरकर ने 11 साल काल कोठरी में गुजारे, जहां हालात जानवरों से भी बदतर थे। सश्रम कारावास में कैदियों को बैल की तरह नारियल तेल निकालने के लिए जोता जाता था। 90% कैदी मौत के मुंह में चले जाते थे। और निकलने के बाद भी 27 साल की नजरबंदी और जिलाबंदी!

यहां दी गई तस्वीर सावरकर की उस काल कोठरी की है-एक छोटा सा कमरा, जहां तकलीफों की कहानी दीवारों में समाई हुई है।

लेकिन आज के कांग्रेसियों को ये फर्क दिखाई नहीं देता। उनके ‘गाइडेड टूर’ वाले इतिहास में सावरकर को अपमानित करना ही मकसद बन गया है। राहुल गांधी, जो शायद इन यूट्यूब कथावाचकों के चक्कर में पड़ गए, को भी ये ‘इको सिस्टम’ गुमराह कर रहा है। अरे भाई राहुल, थोड़ा सा वक्त निकालो, किताबें पढ़ो, दस्तावेज देखो-सावरकर का सम्मान करने वालों में तुम्हारी दादी इंदिरा गांधी भी थीं!

इन यूट्यूब महाशयों को तो बस व्यूज चाहिए। रिसर्च? वो क्या होता है? सावरकर के बारे में गलत राय बनाकर वे कांग्रेस के ‘नए इतिहास’ को हवा दे रहे हैं। लेकिन सच्चाई ये है कि कांग्रेस के अपने नेता भी कभी सावरकर को सम्मान देते थे। अब वोट बैंक की राजनीति ने सब बदल दिया।

तो कांग्रेसियों, जागो! इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने से पहले थोड़ा पढ़ाई-लिखाई कर लो। और राहुल भाई, इन कुपढ़ यूट्यूबर्स की सलाह छोड़ो, सावरकर की काल कोठरी जाकर देख आओ-शायद आंखें खुल जाएं! वरना ये “इको सिस्टम” तुम्हें भी उसी गड्ढे में धकेल देगा, जहां ये खुद पड़े हैं-ज्ञान के अंधेरे में!

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