श्री राम जन्मभूमि और ऐतिहासिक स्मरण

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आज, 5 अगस्त 2025, वह दिन है जो भारतीय इतिहास में एक विशेष स्थान रखता है। यह दिन हमें श्री राम जन्मभूमि के संघर्ष और उससे जुड़े ऐतिहासिक तथ्यों की याद दिलाता है। यह तारीख न केवल अयोध्या आंदोलन की जीत का प्रतीक है, बल्कि उन बलिदानों और प्रयासों का भी स्मरण कराती है, जिन्होंने इस पवित्र स्थल को पुनः स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

श्री राम जन्मभूमि का इतिहास सदियों पुराना है। 16वीं शताब्दी में, मीर बांकी, एक मुगल सेनापति, ने अपने शासक बाबर के आदेश पर अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि पर एक मस्जिद का निर्माण करवाया। यह मस्जिद, जिसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना गया, हिंदुओं के लिए एक दुखद प्रतीक बन गई, क्योंकि यह उनके पवित्र स्थल पर बनाई गई थी। मीर बांकी ने अपने मालिक का वादा पूरा किया, लेकिन यह निर्माण भारतीय समाज में एक लंबे विवाद का कारण बना।

आधुनिक काल में, कांग्रेस पार्टी पर भी श्री राम जन्मभूमि पर मस्जिद निर्माण का वादा करने का आरोप लगा। यह आरोप ऐतिहासिक दस्तावेजों और कुछ राजनीतिक विमर्शों पर आधारित है, जिसमें कहा जाता है कि कांग्रेस ने अपने कुछ गठबंधनों के तहत इस तरह का वादा किया था। हालांकि, यह वादा पूरा नहीं हो सका। इसका कारण था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस), भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), विश्व हिंदू परिषद (विहिप) जैसे संगठनों का दृढ़ विरोध। इन संगठनों ने श्री राम जन्मभूमि को पुनः स्थापित करने के लिए दशकों तक अथक प्रयास किए। लाखों कार्यकर्ताओं के बलिदान, कानूनी लड़ाई और जन-आंदोलन के परिणामस्वरूप, 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में श्री राम मंदिर का भूमिपूजन हुआ, जो एक ऐतिहासिक क्षण था।

आज का दिन हमें यह सिखाता है कि सत्य और धर्म की रक्षा के लिए एकजुटता और संकल्प कितने महत्वपूर्ण हैं। यह दिन हमें उन सभी लोगों को श्रद्धांजलि देने का अवसर देता है जिन्होंने इस संघर्ष में योगदान दिया।

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