छह वरिष्ठ पत्रकारों और कांग्रेस नेता शशि थरूर को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने इन सबकी गिरफ्तारी पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत ने जिन लोगों को राहत दी है, उनमें कांग्रेस सांसद शशि थरूर, ‘इंडिया टुडे’ समूह के सलाहकार संपादक राजदीप सरदेसाई, ‘नेशनल हेराल्ड’ की वरिष्ठ संपादकीय सलाहकार मृणाल पाण्डेय, उर्दू अखबार ‘कौमी आवाज’ के मुख्य संपादक जफर आगा, ‘कारवां’ पत्रिका के मुख्य संपादक-प्रकाशक परेशनाथ, एडिटर विनोद के जोस और इसके कार्यकारी संपादक अनंतनाथ शामिल हैं। इसके अलावा इन सभी पर यूपी समेत अन्य दूसरे राज्यों में दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग पर भी सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर और पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने पिछले हफ्ते 26 जनवरी पर किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान एक प्रदर्शनकारी की मौत के बारे में कथित तौर पर असत्यापित खबर शेयर करने के आरोप में अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को लेकर सुप्रीम कोर्ट की शरण ली थी। पत्रकार मृणाल पांडे, जफर आगा, परेश नाथ और अनंत नाथ ने भी इन एफआईआर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एस. ए. बोबडे की अगुआई वाली बेंच में जस्टिस ए. एस. बोपन्ना और जस्टिस वी. रामसुब्रमणियन भी थे। इन्होंने शशि थरूर और छह पत्रकारों की याचिका पर मंगलवार को सुनवाई की। उनकी पैरवी मशहूर वकील कपिल सिब्बल ने की। दूसरी ओर, सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने दिल्ली पुलिस का पक्ष रखा।
30 जनवरी को थरूर, राजदीप, ‘कारवां’ पत्रिका और अन्य के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने मामला दर्ज किया था। इससे पहले थरूर और छह पत्रकारों पर नोएडा पुलिस ने दिल्ली में ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा को लेकर और अन्य आरोपों के साथ राजद्रोह का मामला दर्ज किया था। मध्य प्रदेश पुलिस ने भी दिल्ली में ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा पर भ्रामक ट्वीट करने के आरोप में थरूर और छह पत्रकारों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।