सोशल मीडिया पर भारत का डिजिटल ज्वार: युवाओं का मनोरंजन, बुजुर्गों का समाचार

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नई दिल्ली: भारत का सोशल मीडिया परिदृश्य एक जीवंत मंच बन चुका है, जहां 70 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ता प्रतिदिन घंटों बिताते हैं। हालिया आंकड़ों के अनुसार, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और व्हाट्सएप जैसे प्लेटफॉर्म्स पर सबसे अधिक पढ़ा और साझा किया जा रहा कंटेंट मनोरंजन, समाचार और शिक्षा का मिश्रण है। मेल्टवाटर की 2025 रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय इंटरनेट उपयोगकर्ताओं में 55.4 प्रतिशत संगीत वीडियो, 44.1 प्रतिशत कॉमेडी/मेम/वायरल क्लिप्स और 37.2 प्रतिशत एजुकेशनल वीडियो सबसे लोकप्रिय हैं। लेकिन उम्र के आधार पर यह वर्गीकरण और स्पष्ट हो जाता है—युवा पीढ़ी हंसने-हंसाने वाली रील्स में डूबी हुई है, जबकि वरिष्ठ नागरिक समाचार और राजनीति पर नजर रखे हैं।

18-24 वर्ष की युवा पीढ़ी, जो सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं का 60 प्रतिशत हिस्सा है, का झुकाव शॉर्ट-फॉर्म कंटेंट की ओर है। इंस्टाग्राम रील्स और यूट्यूब शॉर्ट्स पर बॉलीवुड गॉसिप, क्रिकेट अपडेट्स और वायरल चैलेंजेस छाए रहते हैं। ग्लोबल स्टैटिस्टिक्स 2025 के अनुसार, क्रिकेट और बॉलीवुड टॉपिक्स सबसे ज्यादा सर्च किए जाते हैं—जैसे एशिया कप मैचों पर ट्रेंडिंग पोस्ट्स ने करोड़ों व्यूज हासिल किए। एक हालिया एआई एनालिसिस में पाया गया कि राहुल गांधी जैसे नेताओं के वीडियो युवाओं में 72 प्रतिशत पॉपुलरिटी हासिल कर रहे हैं, जबकि नरेंद्र मोदी के पोस्ट्स पर 58 प्रतिशत सपोर्ट मिला। टिकटॉक पर भारत-संबंधित वीडियो ने अगस्त में 7.2 बिलियन व्यूज रिकॉर्ड किए, जिनमें से अधिकांश मनोरंजन और सांस्कृतिक क्लिप्स थे। यह पीढ़ी न केवल कंज्यूम करती है, बल्कि क्रिएट भी करती है—रामायण-महाभारत की रीटेलिंग्स और क्षेत्रीय स्टोरीज जैसे ‘कांतारा’ स्टाइल कंटेंट वायरल हो रहे हैं।

दूसरी ओर, 35 वर्ष से ऊपर के उपयोगकर्ता—जो 32 प्रतिशत सोशल मीडिया यूजर्स हैं—समाचार और राजनीति पर फोकस्ड हैं। रिपोर्ट्स बताती हैं कि 41.9 प्रतिशत लोग दोस्त-रिश्तेदारों से जुड़ने के लिए प्लेटफॉर्म्स यूज करते हैं, लेकिन दूसरा बड़ा कारण (32 प्रतिशत) न्यूज स्टोरीज पढ़ना है। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर राजनीतिक बहसें, जैसे जम्मू-कश्मीर या विदेशी फंडिंग पर पोस्ट्स, बुजुर्गों में सबसे ज्यादा शेयर होते हैं। हूटसूट की 2025 ट्रेंड रिपोर्ट में उल्लेख है कि एआई-ड्रिवन पर्सनलाइज्ड न्यूज फीड्स इस ग्रुप को आकर्षित कर रही हैं, जहां सोशल कॉमर्स और हेल्थ टिप्स भी उभर रहे हैं।

यह डिजिटल विभाजन भारत की विविधता को दर्शाता है। युवा एंटरटेनमेंट से तरोताजा होते हैं, जो मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है, जबकि वरिष्ठ समाचार से जागरूक रहते हैं। लेकिन चुनौतियां भी हैं—फेक न्यूज और एडिक्शन। विशेषज्ञों का कहना है कि एजुकेशनल कंटेंट को बढ़ावा देकर इस बैलेंस को साधा जा सकता है। जैसे, यूट्यूब पर लॉन्ग-फॉर्म एजुकेशनल वीडियो अब 3 मिनट तक के हो गए हैं, जो दोनों ग्रुप्स को जोड़ सकते हैं। कुल मिलाकर, सोशल मीडिया भारत का आईना है—जहां हंसी, बहस और सीख एक साथ ट्रेंड कर रही है।

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