सोशल मीडिया पर हो रही है, सुप्रिया श्रीनेत (आईटी सेल) की खूब छीछालेदर

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रणविजय सिंह की पहचान कांंग्रेस दरबार के पत्रकारी पत्रकार की है। पूरे दिन में उसे दर्जन भर टवीट कांग्रेस पार्टी के नेताओं को खुश करने के लिए करना होता है। रणविजय के टवीटर हैंडल पर जाकर यह बात कोई भी वेरीफाय कर सकता है कि वहां कांग्रेस पार्टी या सुप्रिया श्रीनेत को नाराज करने वाली कोई बात कितने महीनों से नहीं लिखी गई है। सुप्रिया श्रीनेत और पवन खेरा पार्टी के आईटी सेल की देखभाल करते हैं। कांग्रेस पार्टी में यह विभाग मोटे बजट वाला विभाग माना जाता है। इस शक्ति की वजह से सुप्रिया श्रीनेत पत्रकारों को अधिक महत्व नहीं देती। जबकि वे खुद एक समय कांग्रेस परिवार से निकली पत्रकार थीं। उन दिनों इन्हें कांग्रेस परिवार की लाडली पत्रकार कहा जाता था, इन दिनों सुप्रियाजी के शब्दों में लाडला—लाडली का अनुवाद गोदी पत्रकार और चरण चुंबक है।

विपक्ष के नेता राहुल गांधी की अमरीका यात्रा के दौरान एक भारतीय पत्रकार के साथ मारपीट के मामले को लेकर आज दिल्ली में विभिन्न मीडिया संस्थानों के पत्रकारों ने प्रेस क्लब के सामने विरोध प्रदर्शन किया और इसके बाद पत्रकारों के एक प्रतिनिधिमंडल ने केन्द्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव से मुलाकात की और उन्हें एक ज्ञापन सौंपा।

इस प्रदर्शन से कांग्रेस पार्टी में बेचैनी होनी स्वाभाविक थी। फिर आईटी सेल परेशान क्यों ना हो? उन्होंने अपना एक चंपु रणविजय सिंह को काम पर लगाया। सिंह का दावा भी है कि वे पत्रकार हैं। जैसे सुप्रिया का भी दावा है कि वे एक जमाने में कथित तौर पर पत्रकारिता करती थीं।

वर्तमान पत्रकार हो या फिर पूर्व पत्रकार, यदि उसने ईमानदारी से इस काम को किया है तो किसी पत्रकार पर हुए हमले को सेलीब्रेट नहीं करेगा। रणविजय सिंह और सुप्रिया श्रीनेत दोनों सोशल मीडिया पर प्रदर्शन का मजाक उड़ाते हुए दिखे। सुप्रिया की इस हरकत पर सोशल मीडिया पर उनकी खूब छीछालेदर हो रही है। सुप्रिया सभी पत्रकारों को रवीश कुमार, अजीत अंजुम, पूण्य प्रसून वाजपेयी, विनोद शर्मा, आशुतोष गुप्ता, साक्षी जोशी, अभिसार शर्मा समझने की भूल ना करें। अभी भी ऐसे पत्रकार दिल्ली में हैं जो गलत को उनके सामने खड़े होकर गलत बोल सकते हैं। रवीश कुमार और अजीत अंजुम की तरह वे कांग्रेस की लल्लो—चप्पो करने के लिए यू ट्यूब पर चैनल नहीं चलाते। ना विनोद शर्मा की तरह चैनलों पर कांग्रेस को डिफेंड करने के लिए जाते हैं और ना संदीप चौधरी की तरह कांग्रेस आईटी सेल को खुश करने वाला एंकरिंग करते हैं। पढ़िए, सुप्रिया श्रीनेत के लिए वरिष्ठ पत्रकारों, सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने क्या लिखा?

वरिष्ठ पत्रकार हषवर्धन त्रिपाठी लिखते हैं, ”सुप्रिया श्रीनेत अभी कांग्रेस की आईटी सेल प्रमुख हैं, लेकिन पहले पत्रकार रहीं हैं। जब टिकट पक्का हो गया तो नौकरी छोड़ दी। अब इन्हें आनंद आ रहा है कि, कांग्रेस पार्टी के गुंडे पत्रकारों के साथ बदसलूकी कर देते हैं और विरोध में कितने कम लोग आए हैं। इस चित्र में भले कम लोग दिख रहे हों, लेकिन इस विरोध का स्वर इतना तेज था कि, पूरे कांग्रेस #EcoSystem को सक्रिय करना पड़ा। शायद यही वजह रही कि, प्रेस क्लब और पत्रकार संगठनों ने एक पत्रकार से बदसलूकी का ठीक से विरोध तक नहीं किया। (भारत का प्रेस क्लब आफ इंडिया चुप्पी साधे बैठा रहा) वाशिंगटन स्थित प्रेस क्लब डीसी ने भी विरोध किया है।

राजनीतिक कार्यकर्ता राहुल सिंह सोलंकी साफ साफ लिखते हैं— ”चुनाव में मोहतरमा की ज़मानत जब्त हो गई थी।
अब पिछले दरवाजे से “राज्यसभा” जाने के लिए तपस्या कर रहीं हैं।”

सुप्रिया श्रीनेता का वीडियो पिछले दिनों वायरल हुआ था। जिसमें वे राहुल प्रियंका का सान्निध्य पाने के लिए भागी जा रहीं थीं और सुरक्षाकर्मियों ने उनके पास आने नहीं दिया। एक एक्स यूजर ने इस वीडियो का शीर्षक ‘चरण चुंबक’ दिया था।

प्रमोद कुमार सिंह इंडिया टुडे के पत्रकार पर डलास में हुए हमले के विरोध में हुए प्रदर्शन में शामिल थे। सिंह लिखते हैं — मैं उन लोगों में से एक था जिन्होंने डलास, अमेरिका में इंडिया टुडे के पत्रकार रोहित शर्मा के साथ हुए बुरे व्यवहार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम संख्या में कम थे। हमारा उद्देश्य अपना विरोध दर्ज कराना और 24 अकबर रोड तक संदेश पहुंचाना था। सुप्रिया श्रीनेत और कांग्रेस के दरबारियों की प्रतिक्रिया देखकर मुझे लगता है कि हमारा प्रदर्शन सफल रहा।

प्रदर्शन में शामिल वरिष्ठ पत्रकार स्मिता मिश्र लिखती हैं — खुद पत्रकार रह चुकी महिला एक पत्रकार के उत्पीड़न पर अपनी पार्टी को रोक तो पाई नहीं उल्टा हमने आवाज उठाई तो बेशर्मी से हंस रहीं हैं।

पत्रकार विनोद मिश्र लिखते हैं — कांग्रेस की सुप्रिया श्रीनेत इसे सदी का सबसे बड़ा प्रदर्शन कह कर मजाक उड़ा रही है।क्योंकि सवाल बांग्लादेश में हिंदुओं के उत्पीड़न को लेकर पूछा तो पत्रकार रोहित शर्मा को राहुल गांधी की टीम ने पीट दिया। जिसका ज़मीर जिंदा है उसने बैनर उठा लिया,इकोसिस्टम को इनाम चाहिए सो हुआ तो हुआ।

स्वतंत्र पत्रकार आशीष कुमार अंशु लिखते हैं — कांग्रेस की गोद में पली बढ़ी आप देश की फाउंडर गोदी जर्नलिस्ट्स में से एक रहीं हैं सुप्रिया श्रीनेत मैडम। आपके पिता कांग्रेस के सांसद, आपका पूरा परिवार कांग्रेस परिवार का वफादार। यह वफादारी अखबार से लेकर टीवी चैनल में जाने तक कम थोड़े ना हुई होगी। आपको टीवी और अखबार में भी कांग्रेस परिवार की लाडली पत्रकार कहा जाता था। सुनिए सूचना प्रसारण मंत्री अश्वनी वैष्णव जी ने मिलने आए पत्रकारों से आज क्या कहा है? मंत्रीजी से थोड़ी भाषा की मर्यादा ही सीख लीजिए।

कांग्रेस पार्टी के आईटी सेल के हमले के बाद आज कांग्रेस ट्रोल आर्मी वरिष्ठ पत्रकार अशोक श्रीवास्तव के खिलाफ सक्रिय हो गई। श्री श्रीवास्तव ने पूरे कांग्रेस इको सिस्टम को अच्छा जवाब दिया। उन्होंने लिखा — जब सुधीर चौधरी के खिलाफ लैंड जेहाद के मामले में कांग्रेस की सरकारों ने देश भर में FIR की थीं तब अशोक श्रीवास्तव एक अकेला ही विरोध कर रहा था। और आज तो हम एक और एक ग्यारह थे। और हम 11 तानाशाह की चूलें हिलाने के लिए काफी हैं। अगर कांग्रेस का पूरा इको सिस्टम और खुद सुप्रिया श्रीनेत हमारे खिलाफ ट्वीट करने उतरी हैं तो मतलब चोट सही जगह हुई है।

अशोक श्रीवास्तव आगे लिखते हैं — वैसे इतना तो मानना पड़ेगा कि कांग्रेस की तानाशाही का खौफ इतना है कि पत्रकार की पिटाई के विरोध में एडिटर्स गिल्ड,प्रेस क्लब किसी की हिम्मत नहीं हुई बोलने की, और बहुत से पत्रकारों की हिम्मत नहीं हुई हमारे साथ खड़े होने की। लेकिन मेरे पिता टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप में अकेले इंदिरा गांधी की तानाशाही के खिलाफ खड़े थे और आज मैं भी तानाशाही और पत्रकार पर हमले के खिलाफ खड़े होने का साहस रखता हूं, भीड़ नहीं तो अकेले सही।

कांग्रेस आईटी सेल अपने एक इशारे पर वफादारों की पूरी ट्रोल आर्मी खड़ी कर लेती है। रवीश कुमार और अजीत अंजुम जैसे पत्रकार भी कांग्रेस के लिए ट्रोल की भूमिका निभाने को तैयार हो जाते हैं लेकिन अभी ऐसे पत्रकार हैं समाज में जो अकेले खड़े होकर सुप्रिया श्रीनेत और पवन खेड़ा की कांग्रेस के पूरे ट्रोल आर्मी से लड़ने को तैयार हैं। इन्हीं की वजह से देश में पत्रकारिता सलामत है।

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