शोध पत्रिका ‘समागम’ रजत जयंती वर्ष में ‘भारतीय ज्ञान परम्परा एवं अनुसंधान की दृष्टि’ पर राष्ट्रीय संगोष्ठी

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भोपाल. शोध एवं संदर्भ की मासिक पत्रिका ‘समागम’ का प्रकाशन के 25वें वर्ष में प्रवेश कर जाना एक सुखद अनुभूति है. वर्ष 2000 में ‘समागम’ का प्रकाशन आरंभ हुआ था और आहिस्ता-आहिस्ता अपने सीमित संसाधनों में यह सफर तय किया.मीडिया, हिन्दी साहित्य एवं सामाजिक सरोकार पर केन्द्रित ‘समागम’ ने उन विषयों को चुना जिन्हें आमतौर पर स्थान नहीं मिलता है. ‘समागम’ के संपादक एवं वरिष्ठ पत्रकार प्रोफेसर मनोज कुमार ने कहा कि यह हमारे लिए खास बात यह है कि देशभर के शिक्षाविद्, शोधार्थी एवं मीडिया के ख्यातनाम लोग जुड़े हुए हैं. सुपरिचित साहित्यकार बालकवि बैरागी, डॉ. विकास दवे, डॉ. विजय बहादुर सिंह, डॉ. सोनाली नरगुंदे, एवं डॉ. कमलकिशोर गोयनका का समय-समय पर मार्गदर्शन मिलता रहा है. ‘समागम’ की शक्ति इस बात में है कि सुधिजन समय-समय पर गलतियों की ओर ध्यान आकृष्ट करते रहे हैं.

‘समागम’ केवल प्रकाशन तक ही सीमित नहीं रहा बल्कि अनेक राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सेमीनार में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज की. सिकलसेल पर केन्द्रित अंक का विमोचन मध्यप्रदेश के गर्वनर श्री मंगूभाई पटेल ने किया वहीं खादी पर केन्द्रित अंक एवं राष्ट्रीय संगोष्ठी में सुप्रसिद्ध समाजवादी विचारक श्री रघु ठाकुर एवं वरिष्ठ पत्रकार श्री गिरिजाशंकर की सहभागिता रही.

‘समागम’ ने विविध विषयों यथा सिनेमा के सौ वर्ष, महिला सशक्तिकरण के सौ वर्ष, चम्पारण आंदोलन के सौ वर्ष, महात्मा गांधी के ड़ेढ सौ वर्ष पूर्ण होने के साथ लोकमाता देवी अहिल्या के 300 वर्ष पर विशेष अंक का प्रकाशन किया गया. मीडिया के विविध विषयों के साथ पत्रकारिता के पुरखा यथा राजेन्द्र माथुर, प्रभाष जोशी, राहुल बारपुते सहित अनेक पर अंक का प्रकाशन किया गया. सामाजिक सरोकार से जुड़े विषयों पर भी ‘समागम’ के अंक का प्रकाशन किया गया.

संपादक प्रोफेसर मनोज कुमार का कहना था कि 25वें वर्ष का सफर टीम समागम के लिए आल्हादित करने का अवसर है. उन्होंने बताया कि जल्द ही ‘भारतीय ज्ञान परम्परा एवं अनुसंधान की दृष्टि’ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन ‘समागम’ के बैनर तले किया जाएगा.

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