वरिष्ठ बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी पहले ही आरोप लगा चुके हैं कि सोनिया गांधी के नाम पर ‘लांगेस्ट टाइपिंग मिस्टेक’ का विश्व रिकॉर्ड हो सकता है। उन्होंने दावा किया था कि सोनिया ने संसद को अपनी शिक्षा के बारे में गलत जानकारी दी थी। मौजूदा विवाद ने इन दावों को फिर से चर्चा में ला दिया है।
बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने हाल ही में दावा किया कि सोनिया 1980 में वोटर लिस्ट में शामिल की गईं, जबकि उनकी भारतीय नागरिकता 1983 में मिली, जो चुनावी कानून का उल्लंघन हो सकता है।
कांग्रेस ने पलटवार करते हुए बीजेपी पर डेटा हेरफेर का आरोप लगाया। पार्टी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय पर 1992 में बनी “नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली” का उल्लेख करने वाले कथित फर्जी दस्तावेज साझा करने का आरोप लगा। इस बीच, कांग्रेस के अनौपचारिक प्रवक्ता अशोक पांडेय ने बीजेपी के दस्तावेज को फर्जी करार दिया, लेकिन उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं।
पांडेय पर पैसे लेकर सोशल मीडिया पर कांग्रेस के पक्ष में टिप्पणी करने के गंभीर आरोप लगते रहे हैं। उनकी कांग्रेस नेताओं के साथ तस्वीरें इस संदेह को और बढ़ाती हैं। अशोक कुमार पांडेय को कांग्रेस पार्टी के आईटी सेल के लिए ही काम करना है। यह उनका निर्णय हो सकता है लेकिन इस काम को सम्मानजनक तरीके से भी किया जा सकता है। जैसे पवन खेड़ा और सुप्रिया श्रीनेत कर रहे हैं।
जैसे प्रो. रतन लाल, प्रो. रविकांत और सरदार इंद्रजीत सिंह ने आज से तय किया कि वे कांग्रेस पार्टी का हिस्सा होंगे और खुलकर कांग्रेस के पक्ष में बात करेंगे। अशोक कुमार पांडेय भी किसी शुभ मुहूर्त पर किसी कांग्रेसी पार्षद के हाथ से कांग्रेस का पट्टा गले में डलवाकर कांग्रेस के लिए खुलकर लिखें। पांडेय के आलोचकों का कहना है कि अगर उन्हें अफवाह फैलानी है तो वे कांग्रेस ज्वॉइन कर लें या बड़े नेताओं जैसे पवन खेड़ा से सलाह लेकर लिखा करें।
बहरहाल सोनिया गांधी की नागरिकता पर जो सवाल उठ रहे हैं, उसका जवाब तो पवन खेड़ा के पास भी नहीं है।