स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी ने समृद्ध भारत का अद्भुद विजन प्रस्तुत किया है

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दिल्ली। किसी भी आधुनिक घर के निर्माण के लिए विकास के लिए प्लंबिंग अत्यधिक आवश्यक है। प्लंबिंग यानि कि बिजली, जल एवं मल-मूत्र के आवागमन के लिए तार, पाइपलाइन, वाल्व, सम्बंधित उपकरण, टैंक इत्यादि का जाल बिछाना। यह प्लंबिंग अदृश्य होती हैं। लेकिन इसके बिना न तो बिजली-पानी आएगा, न ही मल-मूत्र निकासी होगी। और यह प्लंबिंग करना परिश्रम का कार्य हैं, बोरिंग होता हैं।

यही प्लंबिंग राष्ट्र निर्माण के लिए बिछानी पड़ती है। जैसे कि सभी नागरिको के लिए आधार, बैंक अकाउंट, घर, शौचालय, बिजली, नल से जल, गैस प्रदान करना। निर्धनों एवं बुजुर्गो के लिए फ्री अन्न एवं आयुष्‍मान स्वास्थ्य उपलब्ध कराना।

इस नींव, इस प्लंबिंग को बिछाये बिना आप घर नहीं बना सकते है; उसे सुन्दर नहीं बना सकते। प्लास्टर एवं पेंट नहीं कर सकते है। टॉयलेट सीट, पंखा, बल्ब, टीवी, कंप्यूटर, AC पंखा नहीं लगा सकते है।

अब जब मूलभूत प्लंबिंग समाप्त होने वाली है या हो चुकी है, इस स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी ने भारत को नयी तकनीकी का प्रयोग करके समृद्ध बनाने का आह्वान किया है।

इसके पूर्व के सम्बोधन में वे अधिकतर समय भारत में “प्लंबिंग” डालने की बात करते थे।
प्रधानमंत्री मोदी बतलाते है कि इस समृद्धि का आधार होगा नयी टेक्नोलॉजी। मिशन मोड में सेमीकंडक्टर के काम के आगे बढ़ाया है। इसी वर्ष भारत की बनी हुई, भारत में बनी हुई, भारत के लोगों द्वारा बनी हुई मेड इन इंडिया चिप्स, बाजार में आ जाएगी।

ऊर्जा में आत्मनिर्भर बनाना बहुत जरूरी है। हम परमाणु ऊर्जा क्षमता 10 गुना से भी अधिक बढ़ाने का संकल्प लेकर के आगे बढ़ रहे हैं। मिशन ग्रीन हाइड्रोजन में हजारों करोड़ रुपए इन्वेस्ट हो रहा है। सोलर एनर्जी 30 गुणा बढ़ चुकी है। समुद्र के भीतर के तेल के भंडार, गैस के भंडार, उसको खोजने की दिशा में एक मिशन मोड में काम करना चाहते हैं और इसलिए भारत नेशनल डीप वाटर एक्सप्लोरेशन मिशन शुरू करने जा रहा है।

नेशनल क्रिटिकल मिनरल (जो कंप्यूटर, सेल फोन, लड़ाकू विमान, मिसाइल, इलेक्ट्रिक वाहन, CAT एवं MRI इत्यादि में लगता है) मिशन हमने लॉन्च किया है, 1200 से अधिक स्थानों पर खोज का अभियान चल रहा है, और हम क्रिटिकल मिनरल में भी आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
देश के 300 से ज्यादा स्टार्टअप्स अब स्पेस सेक्टर में काम कर रहे हैं। हम स्पेस में भी अपने दम पर आत्मनिर्भर भारत गगनयान, अपना स्पेस स्टेशन बनाने की दिशा में हम काम कर रहे हैं।
मेड इन इंडिया फाइटर जेट्स के लिए जेट इंजन हमारा होना चाहिए।

मेडिसिन में रिसर्च और डेवलपमेंट में और ताकत लगाएं, हमारे अपने पेटेंट हो, हमारे अपनी बनाई हुई सस्ती और सबसे कारगर नई-नई दवाइयों की शोध हो। BioE3 (Biotechnology for Economy, Environment, and Employment) पॉलिसी भारत सरकार ने बनाई है जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास, पर्यावरणीय स्थिरता और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए जैव प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना है।

ऑपरेटिंग सिस्टम से लेकर के साइबर सुरक्षा तक, डिप टेक से लेकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तक, सारी चीजें हमारी अपनी हो।
भारत की आवश्यकता के अनुसार हम अपना फर्टिलाइजर तैयार करें, हम औरों पर निर्भर ना रहे।
ईवी बैटरी, सोलर पैनल, इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल्स के लिए जिन-जिन चीजों की आवश्यकताएं है, वो हमारी अपनी होनी चाहिए।

जो युवा मैन्युफैक्चरिंग के बारे में सोचते हैं, उभे अगर सरकार के नियमों में बदलाव करना है, तो प्रधानमंत्री जी को बताइए।

अगर हमें विश्व बाजार में अपने सामर्थ्य का लोहा मनवाना है, तो हमें क्वालिटी में निरंतर नहीं ऊंचाइयों को पार करना है। हमारे हर प्रोडक्ट का दम ज्यादा हो, लेकिन दाम कम हो।

हम स्वदेशी मजबूरी में नहीं, मजबूती के साथ उपयोग करेंगे। यह हमारी ताकत होनी चाहिए।

प्रधानमंत्री मोदी अपने अनुभव से कहते है कि किसी दूसरे की लकीर छोटी करने के लिए अपनी ऊर्जा हमें नहीं खपानी है, हमें पूरी ऊर्जा के साथ हमारी लकीर को लंबा करना है।

स्ट्रक्चरल रिफॉर्म्स की बात हो, रेगुलेटरी रिफॉर्म्स की बात हो, पॉलिसी रिफॉर्म की चर्चा हो, प्रोसेस रिफॉर्म की चर्चा हो, कांस्टीट्यूशनल रिफॉर्म करने की जरूरत हो, हर प्रकार के रिफॉर्म्स (इन सभी रिफॉर्म्स पर अलग पोस्ट लिखी जा सकती है), ये हमारा लक्ष्य हैं।

नेक्स्ट जनरेशन रिफॉर्म्स के लिए हमने एक टास्क फोर्स गठित करने का निर्णय किया है। यह टास्क फोर्स समय सीमा में इस काम को पूरा करें। वर्तमान नियम, कानून, नीतियां, रीतियां 21वीं सदी के अनुकूल, वैश्विक वातावरण में अनुकूल हो।

एक बहुत बड़ा रिफॉर्म इनकम टैक्स एक्ट में हुआ है। करीब 280 से ज्यादा धाराएं हमने समाप्त करने का निर्णय किया है।

अगर सुरक्षा के प्रति उदासीनता बरतते हैं, तो समृद्धि भी किसी काम की नहीं रहती है।
राष्ट्र के सभी महत्वपूर्ण स्थलों को टेक्नोलॉजी के नए प्लेटफॉर्म द्वारा पूरी तरह सुरक्षा का कवच दिया जाएगा।

आत्मनिर्भरता का नाता हमारे सामर्थ्य से जुड़ा हुआ है और जब आत्मनिर्भरता खत्म होने लगती है, तो सामर्थ्य भी निरंतर क्षीण होता जाता है।

अंत में प्रधानमंत्री मोदी कहते है कि गरीबी क्या होती है, यह मुझे किताबों में पढ़ना नहीं पड़ा है।
यही एक स्वीकृति उन्हें पप्पू पॉवरपॉइंट एवं अन्य अति समृद्ध पॉलिटिशियन्स से अलग कर देती है।

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