स्वदेशी 2.0: आत्मनिर्भर भारत का आधार, राष्ट्र निर्माण का संकल्प

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दिल्ली। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने देशवासियों से एक ऐसी अपील की है, जो न केवल हमारी अर्थव्यवस्था को सशक्त कर सकती है, बल्कि राष्ट्रीय गौरव और आत्मनिर्भरता की भावना को भी जागृत कर सकती है। उन्होंने कहा, “हम वो सामान खरीदें, जो मेड इन इंडिया हो, जिसमें हमारे देश के नौजवानों की मेहनत लगी हो, हमारे देश के बेटे-बेटियों का पसीना हो।” यह आह्वान केवल एक नारा नहीं, बल्कि भारत को वैश्विक मंच पर एक मजबूत और आत्मनिर्भर राष्ट्र के रूप में स्थापित करने का संकल्प है। स्वदेशी 2.0 का यह मंत्र देश की तकदीर बदलने की क्षमता रखता है। स्वदेशी का अर्थ और महत्वस्वदेशी का अर्थ है अपने देश में बने उत्पादों को प्राथमिकता देना। यह न केवल आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में एक कदम है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक पहचान और राष्ट्रीय गौरव को भी मजबूत करता है। प्रधानमंत्री मोदी ने बार-बार ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘मेड इन इंडिया’ का आह्वान किया है, क्योंकि यह समझना जरूरी है कि जब हम स्वदेशी उत्पाद खरीदते हैं, तो हमारा पैसा भारत में ही रहता है। यह पैसा एक भारतीय के हाथ से दूसरे भारतीय के हाथ में जाता है, जिससे हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत होती है।
उदाहरण के लिए, पतंजलि जैसे ब्रांड का उदय इस बात का जीवंत प्रमाण है कि जब देशवासी स्वदेशी उत्पादों को अपनाते हैं, तो स्थानीय उद्यम न केवल फलते-फूलते हैं, बल्कि वैश्विक मंच पर भी अपनी पहचान बनाते हैं। पतंजलि ने न केवल भारतीय उपभोक्ताओं का विश्वास जीता, बल्कि यह भी दिखाया कि स्वदेशी उत्पाद गुणवत्ता और नवाचार में किसी से कम नहीं हैं। जब हम स्वदेशी चुनते हैं, तो हम स्थानीय कारीगरों, किसानों और उद्यमियों को सशक्त करते हैं, जो अंततः देश की अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करते हैं।स्वदेशी और अर्थव्यवस्था का गहरा नाताअर्थशास्त्र का एक साधारण सिद्धांत है: आप जिससे सामान खरीदते हैं, उसे लाभ होता है। यदि हम विदेशी कंपनियों के उत्पाद खरीदते हैं, तो हम अनजाने में उनकी अर्थव्यवस्था को मजबूत करते हैं। इससे विदेशी मुद्राएं, जैसे डॉलर, मजबूत होती हैं, और भारतीय रुपये पर दबाव बढ़ता है। इसके विपरीत, जब हम भारतीय कंपनियों के उत्पाद खरीदते हैं, तो हम अपने देश की अर्थव्यवस्था में योगदान देते हैं। यह न केवल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को बढ़ाता है, बल्कि आयात पर निर्भरता को भी कम करता है।
स्वदेशी उत्पादों की मांग बढ़ने से देश में नए उद्योग स्थापित होते हैं, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ते हैं। अधिक रोजगार का अर्थ है अधिक परिवारों की आर्थिक स्थिति में सुधार, ग्रामीण क्षेत्रों का विकास और पूंजी का प्रवाह। यह एक सकारात्मक चक्र बनाता है, जहां स्वदेशी उत्पादों की खरीद से अर्थव्यवस्था मजबूत होती है, और मजबूत अर्थव्यवस्था से स्वदेशी उद्योगों को और प्रोत्साहन मिलता है। इससे न केवल रुपये की कीमत स्थिर होती है, बल्कि भारत की वैश्विक ब्रांड वैल्यू भी बढ़ती है।स्वदेशी 2.0: एक आंदोलन, एक संकल्पस्वदेशी का विचार नया नहीं है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी ने स्वदेशी आंदोलन को एक शक्तिशाली हथियार बनाया था। उस समय स्वदेशी का अर्थ था विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार और स्थानीय उत्पादों को अपनाना। आज, स्वदेशी 2.0 का अर्थ है आत्मनिर्भर भारत का निर्माण। यह केवल विदेशी उत्पादों के बहिष्कार तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारतीय उत्पादों की गुणवत्ता, नवाचार और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने का आह्वान है।प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है, “गर्व से कहो ये स्वदेशी है।” यह नारा हमें यह याद दिलाता है कि हमें अपने उत्पादों पर गर्व करना चाहिए। बाजार में कई ऐसे उत्पाद हैं, जिन्हें हम बिना सोचे-समझे खरीद लेते हैं, यह जाने बिना कि वे विदेशी हैं। स्वदेशी अपनाने के लिए सबसे पहले जागरूकता जरूरी है। हमें यह जानना होगा कि कौन से उत्पाद भारतीय हैं और उनकी खरीद से हम अपने देश को कैसे मजबूत कर सकते हैं।स्वदेशी अपनाने के लाभस्वदेशी अपनाने के लाभ केवल आर्थिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक भी हैं। जब हम भारतीय उत्पाद खरीदते हैं, तो हम निम्नलिखित क्षेत्रों में योगदान देते हैं:

रोजगार सृजन: स्वदेशी उत्पादों की मांग बढ़ने से अधिक कारखाने और उद्योग स्थापित होते हैं, जिससे लाखों युवाओं को रोजगार मिलता है।
ग्रामीण विकास: स्थानीय कारीगरों और छोटे उद्यमियों को प्रोत्साहन मिलने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होती है।
तकनीकी उन्नति: स्वदेशी उत्पादों की मांग से भारतीय कंपनियां अनुसंधान और नवाचार में निवेश करती हैं, जिससे तकनीकी विकास को बढ़ावा मिलता है।
राष्ट्रीय गौरव: स्वदेशी अपनाने से हम अपनी सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करते हैं और वैश्विक मंच पर भारत की छवि को निखारते हैं।
आयात पर निर्भरता में कमी: विदेशी उत्पादों की खरीद कम होने से विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव कम होता है, और रुपये की कीमत स्थिर रहती है।
हमारी जिम्मेदारीप्रधानमंत्री का यह आह्वान केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह हर भारतीय नागरिक का कर्तव्य है। हम अक्सर बढ़ती कीमतों और आर्थिक समस्याओं के लिए सरकार को दोष देते हैं, लेकिन क्या हमने कभी सोचा कि हमारी खरीदारी की आदतें भी इन समस्याओं का हिस्सा हो सकती हैं? हर बार जब हम विदेशी उत्पाद चुनते हैं, हम अनजाने में अपनी अर्थव्यवस्था को कमजोर करते हैं। इसके विपरीत, हर बार जब हम स्वदेशी चुनते हैं, हम अपने देश को मजबूत करते हैं।स्वदेशी अपनाना केवल एक खरीदारी का निर्णय नहीं है, बल्कि यह राष्ट्र निर्माण का एक कदम है। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम जागरूक उपभोक्ता बनें और उन उत्पादों को चुनें, जो भारत में बने हैं। हमें अपने स्थानीय कारीगरों, किसानों और उद्यमियों को प्रोत्साहित करना होगा, क्योंकि उनकी मेहनत और पसीने से ही भारत का भविष्य उज्ज्वल होगा।

स्वदेशी 2.0 का आह्वान भारत को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने का एक सुनहरा अवसर है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह संदेश हर भारतीय के लिए एक प्रेरणा है कि हम अपने देश के उत्पादों को अपनाएं, अपने देशवासियों की मेहनत को सम्मान दें और भारत को वैश्विक मंच पर एक मजबूत अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित करें। स्वदेशी अपनाना केवल आर्थिक स्वावलंबन का मार्ग नहीं, बल्कि यह हमारी राष्ट्रीय पहचान, गौरव और एकता का प्रतीक है। आइए, हम सब मिलकर इस संकल्प को साकार करें और हर खरीद के साथ कहें, “गर्व से कहो, ये स्वदेशी है!” यह छोटा सा कदम भारत को एक आत्मनिर्भर, समृद्ध और गौरवशाली राष्ट्र बनाने में बड़ा योगदान दे सकता है।

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आशीष कुमार अंशु

आशीष कुमार अंशु

आशीष कुमार अंशु एक पत्रकार, लेखक व सामाजिक कार्यकर्ता हैं। आम आदमी के सामाजिक सरोकार से जुड़े मुद्दों तथा भारत के दूरदराज में बसे नागरिकों की समस्याओं पर अंशु ने लम्बे समय तक लेखन व पत्रकारिता की है। अंशु मीडिया स्कैन ट्रस्ट के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं और दस वर्षों से मानवीय विकास से जुड़े विषयों की पत्रिका सोपान स्टेप से जुड़े हुए हैं

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