तेजस्वी का सपना: चोर-चोर खेल में बिहार की कुर्सी!

2-1-29.jpeg

बिहार की सियासत में तेजस्वी यादव का एक नया कारनामा सामने आया है। एबीपी न्यूज के इंटरव्यू में उन्होंने राहुल गांधी को 2029 का पीएम उम्मीदवार घोषित कर दिया, मानो बिहार की जनता ने उन्हें दिल्ली का ताज सौंपने का ठेका दे दिया हो। लेकिन तेजस्वी का असली गेम तो कुछ और था। सोचा कि राहुल को पीएम का तमगा देकर वे कांग्रेस से बिहार में सीएम का ताज छीन लेंगे। मगर कांग्रेस ने तो चुप्पी साध ली, जैसे कह रही हो, “भाई तेजस्वी, पहले अपने घर की तो सफाई कर लो!” परिवार का सर्टिफायड चोर तुम्हारा अध्यक्ष बना बैठा है।

तेजस्वी का सपना है बिहार का मुख्यमंत्री बनना, लेकिन नीतीश कुमार तो कुर्सी को सुपर-ग्लू से चिपकाए बैठे हैं। ऊपर से कांग्रेस भी तेजस्वी को सीएम फेस बनाने के मूड में नहीं। अब बेचारे तेजस्वी के सामने धर्मसंकट है। एक तरफ नीतीश, जो कुर्सी छोड़ने को तैयार नहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस, जो तेजस्वी को गंभीरता से लेने को तैयार नहीं। और तो और, उनकी अपनी पार्टी का हाल देखिए! राष्ट्रीय अध्यक्ष, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने ‘सुप्रीम चोर’ का सर्टिफिकेट थमा दिया, वो पार्टी के भविष्य का ‘चमकता सितारा’ बने बैठे हैं। तेजस्वी को लगता है कि चोरी का इल्ज़ाम तो सारी दुनिया पर लग सकता है, बस उनका परिवार तो पवित्र गंगा की तरह निष्कलंक है। लेकिन बिहार की जनता को यह ‘चोर-चोर’ का खेल कहां पसंद आने वाला? वह तो चारा चोर, चारा चोर पुकार रही है।

बिहार के लोग स्वाभिमानी हैं। कानून और संविधान को मानते हैं। अगर कानून ने किसी को चोर ठहराया, तो वो बिहारी जनता के लिए चोर ही रहेगा, चाहे वह कितना ही बड़ा ‘सुप्रीम’ क्यों न हो। तेजस्वी को लगता है कि एक चोर के मार्गदर्शन में वे बिहार की गद्दी हथिया लेंगे, लेकिन जनता का मूड तो कुछ और कह रहा है। बिहार की जनता को चाहिए विकास, रोजगार, और सुशासन, न कि ‘मैं भी चोर, तू भी चोर’ का खेल। तेजस्वी का यह सपना शायद सपना ही रह जाए, क्योंकि बिहार की जनता सियासी ड्रामों से ज्यादा अपने स्वाभिमान को तरजीह देती है। अब देखना यह है कि तेजस्वी इस ‘चोर-चोर’ खेल में कितने प्यादे बचाते हैं, या फिर जनता ही उन्हें शह-मात दे देगी!

Share this post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

scroll to top