इस बयान को सुनने के बाद राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की बेटी और राज्यसभा सांसद रोहिणी आचार्य ने अपना आपा खो दिया और पटना के विवादास्पद पत्रकार कन्हैया भेल्लारी पर बेहद तीखा व्यक्तिगत हमला बोलते हुए कहा कि “कन्हैया भेल्लारी जैसे बेटे को जन्म देकर उनकी माँ को शर्मिंदगी महसूस हो रही होगी।”
यह बयान एक निजी न्यूज़ चैनल के प्राइम टाइम शो में आया, जब कन्हैया भेल्लारी ने रोहिणी आचार्य पर टिप्पणी की थी कि “वे अपने पति के घर (ससुराल) में रहें, मायके में कुंडली मारकर क्यों बैठी हैं?” इसके जवाब में रोहिणी ने पहले फोन पर कन्हैया को खूब खरी खोटी सुनाया। दूसरी तरफ कन्हैया इतना सब सुनने के बाद जी, जी के अलावा कुछ बोल नहीं पा रहे थे। ऐसा लग रहा था कि रोहिणी ने उनके झूठ को पकड़ के सार्वजनिक तौर पर उन्हें नंगा कर दिया हो। उस कॉल का ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है। कन्हैया को डांटते हुए इसी वायरल आडियो में रोहिणी ने कहा — कन्हैया भेल्लारी की मां को शर्म आ रहा होगा उनके जैसा बेटा पैदा करके।

विवाद की जड़
चुनाव के दौरान कन्हैया भेल्लारी पर आरोप लगे थे कि वे राजद के इशारे पर काम करते हैं। कई भाजपा प्रवक्ताओं ने खुलेआम कहा था कि राज्यसभा सदस्य संजय यादव के पे-रोल पर रहते हुए भेल्लारी ने पूरे लोकसभा चुनाव में बिहार में राजद की फील्डिंग की। लालू प्रसाद को वे बार-बार “मित्र” बताते रहे। लेकिन जैसे ही रोहिणी आचार्य ने सारण से चुनाव लड़ने की घोषणा की, भेल्लारी ने उन पर व्यक्तिगत टिप्पणियाँ शुरू कर दीं। उन पर सोशल मीडिया पर “नागिन”, “कीड़नी दान का ढोंग” जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया। रोहिणी ने पलटवार में कहा, “आप जैसे लोग किसी को एक बोतल खून भी नहीं देंगे।”
21वीं सदी में सामंती फरमान?
भेल्लारी की उस टिप्पणी ने खासा गुस्सा भड़काया जिसमें उन्होंने कहा था कि शादीशुदा बेटी को ससुराल में रहना चाहिए, मायके में “कुंडली मारकर” नहीं बैठना चाहिए। महिला अधिकार कार्यकर्ताओं और सोशल मीडिया यूज़र्स ने इसे खुली सामंती सोच करार दिया। एक यूज़र ने लिखा, “प्रगतिशील होने का दावा करने वाले खुद औरत की जगह तय कर रहे हैं।”
कन्हैया भेल्लारी ने अब तक कोई जवाब नहीं दिया है। उनके करीबी कहते हैं कि वे “मर्यादा बनाए रखना चाहते हैं” और माँ को घसीटे जाने पर भी चुप रहेंगे। वहीं राजद खेमे में कुछ लोग इसे “अपनों का विश्वासघात” बता रहे हैं तो कुछ रोहिणी के बयान को “ज़रूरत से ज़्यादा व्यक्तिगत” मान रहे हैं।
महिला vs पत्रकार स्वतंत्रता का सवाल
जहाँ एक तरफ रोहिणी आचार्य को महिलाओं की गरिमा की रक्षा के लिए समर्थन मिल रहा है, वहीं दूसरी तरफ कई पत्रकार संगठनों ने इसे “पत्रकारिता पर हमला” बताया है। बिहार वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन ने बयान जारी कर कहा, “व्यक्तिगत जीवन और परिवार को डिबेट का हथियार नहीं बनाया जाना चाहिए, चाहे गलती किसी की भी हो।”
फिलहाल यह विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। सोशल मीडिया पर #शर्मिंदगी_किसे और #माँ_को_मत_घसीटो ट्रेंड कर रहे हैं। बिहार की राजनीति में एक बार फिर साबित हो गया कि टीवी डिबेट अब नीति की जगह निजी गाली-गलौज की अखाड़ा बन चुकी है।



