लोकतंत्र बचाने की बात हो या फिर संविधान बदलने की। यह सारी बातें पिछले चुनाव में भी की जा रही थी। मोदी आएगा तो लोकतंत्र खत्म हो जाएगा। संविधान बदल देंगे। चुनाव खत्म कर देंगे। पांच साल निकल गए। अब फिर वही अभियान फिर एक बार। लिंचिंग को बड़ा मुद्दा बनाया गया था उन दिनों। कांग्रेस पोषित पत्रकारों, उदारवादियों, प्रगतिशीलों और निष्पक्षों की चुनिंदा संवेदनशीलता को आइए समझते हैं। पांच साल पहले 2019 में मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं का हवाला देकर कला, चिकित्सा, शिक्षा जगत की 49 हस्तियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। पत्र में देश में भीड़ द्वारा लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त की गई है। पीएम मोदी को लिखे लेटर में मणिरत्नम, अदूर गोपालकृष्णन, रामचंद्र गुहा, अनुराग कश्यप जैसी हस्तियों के हस्ताक्षर हैं. उन्होंने पीएम मोदी से एक ऐसा भारत बनाने की मांग की है, जहां असहमति को कुचला नहीं जाए।
फिर जागे लिबरल : ऐसा क्यों कर रहें है तथाकथित लिबरल ?
- कांग्रेस समर्थक वुद्धजीवीयों का एक वर्ग बीजेपी पर हिंदू बहुसंख्यकों की पार्टी का तमगा चस्पा पहले से ही किये हैं
- ये लोग बीजेपी की बढ़ती ताकत को अपने विचारधारार और राजनैतिक सोच के खिलाफ मानते है ।
- बीजेपी को देश के सेक्यलर ताने बाने के खिलाफ दिखाने के लिए ये वर्ग भी भी चुन- चुन कर उन्ही घटनाओं को देश- विदेश में उठाता है जिससे बीजेपी और पीएम मोदी कटघरे में खड़ा किये जा सकें
मॉबलिंचिंग ऐसी ही घटनाओं के एक सुनियोजित कैंपेन का नाम है ।
- ये लिबरल लोग , मॉबलिंचिंग नैरेटिव से देश के युवा, आकांक्षी वर्ग को भी बीजेपी से दूर करने की कोशिश करने में लगातार लगे है
- और इससे बीजेपी की विचारधार को देश की धार्मिक एकता के खिलाफ और देश विरोधी करार दे सकें ।
- विपक्ष दुनिया में बीजेपी को बदनाम करने के लिए अब फिर से ऐसे तथा कथित लिबरल लोंगों को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है ।
- 2002 के बाद से मोदी के सीएम रहते भी विपक्ष ने इसी फेक नैरेटिव को खड़ा किया लेकिन मोदी करीब 13 साल तक सीएम रहे और 2014 में देश की जनता ने पीएम बनाया
- 2013 -14 के लोक सभा चुनाव प्रचार में विपक्ष ने ये खतरा खड़ा किया था कि मोदी के आने के बाद मुसलमानों पर अत्याचार बढ़ जाएगा , संवैधानिक संस्थाएं बिखर जाएंगी , लोकतंत्र देश में नहीं बचेगा । पर जनता ने इसे बुरी तरह खारिज किया
- बीते पांच साल तक विपक्ष ने मॉब लिंचिंग, का फेक कैंपेन चलाया एवार्ड वापसी कैंपेन चलाया लेकिन 2019 में जनता ने प्रचंड जनादेश दिया
इसके पहले भी लिबरल लोगों का खास वर्ग ने कैंपेन चलाया है
150 से अधिक वैज्ञानिकों ने मतदाताओं से मॉब लिंचिंग के खिलाफ वोट देने की अपील की
(April 2019)
- देश के 150 से अधिक वैज्ञानिकों ने मॉब लिंचिंग (भीड़ द्वारा हत्या) से जुड़े लोगों को वोट न देने की अपील की है। इसके साथ ही असमानता, भेदभाव और डर के माहौल के खिलाफ वोट देने का निवेदन किया है।
थियेटर जगत के 600 कलाकारों ने की बीजेपी को वोट ना देने की अपील
(April 2019)
- थियेटर जगत के 600 से ज्यादा कलाकारों ने 12 भाषाओं में बयान जारी करते हुए देश की जनता से अपील की है कि वे लोक सभा चुनाव 2019 में बीजेपी को वोट
ना दें।
200 से अधिक लेखकों और 100 से अधिक फिल्म निर्देशक ने बीजेपी को वोट ना देने की अपील
- देशभर के 200 से अधिक लेखकों ने भी नफरत की राजनीति के खिलाफ वोट करने की अपील की थी। अपील पर हस्ताक्षर करने वाले 210 लेखकों ने कहा था, ‘आगामी लोकसभा चुनाव में देश चौराहे पर खड़ा है।
तब कहां थे ये खास लिबरल लोग ?
- यूपी के मुजफ्फर नगर का दंगा तब हुआ जब मोदी पीएम नहीं थे यानी यूपीए के समय हुआ तब ये कहां थे जबकि इनके आरोप के उलट मोदी के पीएम रहते बीते पांच साल में देश में एक भी दंगा नहीं हुआ
- 23 मई के चुनाव नतीजों के बाद पश्चिम बंगाल में हुए राजनीतिक हत्याओं पर इन लोगों ने क्यों नही कोई खुला खत लिखा
- मथुरा में 18 मई को कुछ मुसलमान युवकों ने दुकानदार भारत और पंकज यादव से लस्सी के पैसे मांगने पर हमला कर दिया,बाद में एक युवक की मृत्यु हो गई।
26 मई 2019
त्रिपुरा में भाजपा कार्यकर्ता की हत्या
त्रिपुरा में चुनाव नतीजों के बाद से जारी हिंसा, BJP कार्यकर्ता की हत्या, अब तक 100 से ज्यादा घायल
- 25 मई को त्रिपुरा में सत्तारूढ़ बीजेपी के समर्थक शिबू दास की पश्चिम त्रिपुरा जिले में हत्या कर दी गयी।
- 24 मई को बीजेपी कार्यकर्ता बीजू भौमिक की त्रिपुरा के फतीकचेरा में हत्या कर दी गई।
कुछ मामले और…
- बिहार के औरंगाबाद में 25 जुलाई 2019 को रजिया, मदीना, कासिम, साहनी खातून ने पीट—पीटकर अशोक की हत्या कर दी लेकिन इस खबर का सज्ञान लेने की लिंचिंग के नाम पर सक्रिय अहिष्णुता-गिरोह ने जरूरत भी नहीं समझी।
- हरियाणा के नूह जिले में 19 जुलाई 2019 को पेशे से अधिवक्ता नवीन यादव को घर जाते समय अख्तर, जैकम, साजिद,मकसूदन, रूकसाना, सरजीना शेकुल ने पीट-पीट कर मार डाला। इस पर जाति की राजनीति करने वाले तमाम सेकुलर गिरोह खामोश रहे क्योंकि मारने वाले मुसलमान थे और जिसकी लिंचिंग हुई वह यादव समाज से आता था।
- महाराष्ट के पुणे में जुलाई 2019 में हितेश मूलचंदानी नाम के युवक को अगवा किया गया और बाद में उसका जला हुआ शरीर बरामद हुआ। हितेश की हत्या सिर्फ इसलिए कर दी गई क्योंकि बार के बाहर उसने फिरोज खान को पेशाब करने से रोका था।
अपराध में भी सांप्रदायिक चश्मा
- यूपीए सरकार के दौरान भी पशु-चोरी और चोरी के मामलों में भीड़ ने ऐसे वारदात के कई मामले किए। पर तब इन मामलों को सामान्य अपराध मान कर नजरअंदाज करने वाली मीडिया का एक खास तबका अब इसे सांप्रदायिक मोड़ देने में क्यों जुट जाती है ?
मध्य प्रदेश में गौ- रक्षकों के वारदात के लिए सीएम कमलनाथ की जगह पीएम मोदी जिम्मेदार कैसे ?
- मध्यप्रदेश के सिवनी जिले में लोकसभा चुनाव के वोटों की गिनती से ठीक एक दिन पहले गोमांस के शक में मुस्लिम युवक को पेड़ से बांधकर बुरी तरह से पीटने का मामला सामने आया है।– 22 मई 2019
फर्जी आरोप पर भी हाय तौबा
गरुग्राम में मुस्लिम युवक से मारपीट का आरोप बेबुनियाद निकले
- हरियाणा के गुरुग्राम में जामा मस्जिद के पास 25 मई को कथित तौर पर मुस्लिम युवक की टोपी फेंकने और उससे जबरन ‘जय श्रीराम’ बुलवाने वाले आरोप फर्जी निकले । इस मामले की जांच के लिए पुलिस ने इलाके में लगे करीब 50 सीसीटीवी की फुटेज खंगाली, जिसमें सामने आया है कि मुस्लिम युवक से सिर्फ मारपीट हुई थी। न तो किसी ने उसकी टोपी फेंकी और न ही उसकी शर्ट फाड़ी गई। सीसीटीवी फुटेज के मुताबिक, मुस्लिम युवक को आरोपी ने नहीं, बल्कि एक दूसरे युवक ने रोका था। हालांकि, आरोपी के साथ उसकी कहासुनी जरूर हुई थी, जिसके बाद दोनों में हाथापाई भी हुई। उस वक्त मुस्लिम युवक की टोपी गिर गई थी, जिसे उसने खुद ही उठाकर जेब में रख लिया था। किसी अन्य युवक ने टोपी को हाथ तक नहीं लगाया था।
‘जय श्री राम‘ न बोलने पर आतिब की पिटाई की खबर थी झूठी
- मामला यूपी के कानपुर का है, नवजीवन ने 4 जुलाई को वेबसाइट पर खबर प्रकाशित की — तीनों युवक आतिब को जय श्री राम का नारा लगाने के लिए मजबूर करने लगे। आतिब ने जब इसका विरोध किया तो आरोपियों ने उसे पास के ही शुलभ शौचालय में बंधक बना लिया और ईंट पत्थरों से पीट—पीट कर उसे जख्मी कर दिया। न्यूज़ रिपोर्ट में आरोपियों का नाम सुमित सिंह ,राजेश सिंह और शिवा कुमार बताया गया है. कुछ अन्य मीडिया हाउस ने भी इस मामले में कुछ इसी तरह की खबर चलाई थी।
अब खबर की सच्चाई पर बात करते हैं, इस मामले में सच यह है कि मोहम्मद आतिब को ‘जय श्री राम’ ना बोलने पर पीटने वाली खबर गलत थी. मोहम्मद आतिब को तीन लोगों ने पीटा जरुर था लेकिन उसका ‘जय श्री राम का नारा लगाने या न लगाने से कोई लेना—देना नहीं था. आतिब ने खुद इस बात से एक टीवी चैनल के पत्रकारों से बात करते हुए इंकार किया और कहा है कि उसे जिन लोगों ने मारा उन्होंने उसे कोई नारे लगाने को नहीं कहा था. मोहम्मद आतिब के अनुसार उनको इसलिए पीटा गया क्योंकि उन्होंने आरोपियों को अपने ऑटो में बिठाने से मना कर दिया था. आतिब के अनुसार— तीनों लोग नशे में थे और ऑटो पर न बिठाने के सवाल पर तीनों आरोपियों से उसकी कहा सुनी हो गई। जिसके बाद उसे को ईंट पत्थर से बुरी तरह पीटा गया. आतिब ने ये बात साफ़ कर दी की ‘जय श्री राम’ ना बोलने पर पीटने वाली बात झूठी है।
प्रिंसपल मिस्बाही ने फैलाया जय श्रीराम का झूठ
- उन्नाव जिले में एक मदरसे के छात्रों से जबरदस्ती ‘जय श्री राम’ के नारे लगवाए जाने की खबर जुलाई के दूसरे सप्ताह में सामने आई। इस मामले में जब पुलिस ने पड़ताल की तो पाया कि मदरसे के छात्रों से मारपीट व जबरन जय श्री राम के नारे लगवाने की बात झूठी निकली। उन्नाव पुलिस के मुताबिक जिन्हें आरोपी बता कर रिपोर्ट दर्ज कराई गई वह घटनास्थल के आस—पास भी नहीं थे। नामित आरोपियों के मोबाइल के लोकेशन व दूसरे स्थान पर मौजूदगी की फुटेज की जांच करने के बाद पुलिस ने उन्हें क्लीनचिट दे दी। दोनों को कोतवाली से छोड़ दिया गया। वास्तव में मदरसा दारुल उलूम फैजेआम के प्रिंसिपल मौलाना निसार अहमद मिस्बाही ने 11 जुलाई को छात्रों के मजहबी नारे न लगाने पर मारपीट की रिपोर्ट झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
ना बागपत में दाढ़ी नोची गई और ना जय श्रीराम कहलवाया गया
- बागपत में मौलाना की जय श्री राम का नारा ना लगाने पर पिटाई के मामले में नया मोड़ आ गया है. पुलिस की जांच में सामने आया है कि मौलाना ने झूठा आरोप लगाया है. मौलाना की ना तो दाढ़ी नोची गई और ना ही जय श्री राम का नारा लगाने के लिए उन्हें कहा गया। मौलाना ने बाद में अपना बयान बदल लिया, जब मौलाना की पिटाई हुई तो इसकी सूचना मौलाना द्वारा जिसमें मौलाना ने कहा था कि 10 से ज्यादा लोगों ने ये उस पर छेड़छाड़ का आरोप लगाकर उसकी पिटाई की है. जिसके बाद सीओ बुढ़ाना ने मामला बागपत का बताकर उन्हें बागपत भेज दिया. बागपत में थाना दौघट पुलिस के सामने मौलाना ने बयान बदल दिए और कहा कि जय श्री राम का नारा न लगाने पर पिटाई की गई है. जिसका मुकदमा दर्ज किया गया है. सीओ के मुताबिक पहले मौलाना ने छेड़छाड़ की बात कहकर पिटाई की बात कही थी. हालांकि पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया था और जाँच में मुजफ्फरनगर जिले के बुढ़ाना कोतवाली क्षेत्र नगवा गाँव के युवको के पिटाई में शामिल होने बात सामने आई थी.
कुछ मामले और…
- तेलंगाना के करीमनगर के एक मामले में 2 जून 2019, प्रेम प्रसंग के एक मामले में हुई मारपीट को जय श्री राम के नाम से जोड़ा गया।
- यूपी के बरेली में 01 जून 2019 को चार युवकों को मंदिर में मांस खाने के आरोप में लोगों ने पीटा था। जिसके बाद सोशल मीडिया पर अभियान चलाया गया कि मुसलमानों को पीटा गया। जिसमें यह नहीं बताया गया कि मंदिर में वे मांस खा रहे थे। ना यह बताया गया कि जिन युवकों की पीटाई हुई उनमें दो हिन्दू युवक
शामिल थे। - महाराष्ट्र औरंगाबाद में 20 जुलाई 2019 को इमरान नाम के युवक ने कहा कि उससे मारपीट करने के बाद उसे जय श्रीराम बोलने के लिए कहा गया। उस लड़ाई में इमरान को बचाने वाले व्यक्ति ने ही उसकी पोल खोल दी।
- महाराष्ट्र के औरंगाबाद में ही 23 जुलाई 2019 को दूसरा मामला, जिसमें मारपीट की एक खबर सामने आई। जिसमें जय श्री राम बाद में जोड़ दिया गया। जिस शेख आमेर को कथित तौर पर जय श्रीराम ना बोलने के नाम पर पीटा गया, उस बयान से वह खुद पलट गया। बकौल शेख आमेर— यह झूठ उसने समाज में अपना कद बढ़ाने के लिए बोला था।
- 20 जून 2019 को रोहिणी में मोहम्मद मोमिन ने आरोप लगाया कि जय श्री राम ना बोलने की वजह से उनकी पीटाई कर दी गई जबकि पुलिस तहकीकात में उनके आरोप में सच्चाई नहीं पाई गई।
- पश्चिम बंगाल के कूच बिहार के एक मामला है, 29 जून 2019 को सोशल मीडिया पर एक शख्स से जबरन जय श्रीराम बुलवाने का वीडियो वायरल हुआ। लेकिन तहकीकात में पाया गया कि दोनों ही शख्स मुसलमान थे।